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All around the world, thousands of markets have millions of tents, and an Arabic tent still lists at the top position and astonishing part of Arabic tents.

Taaza Tadka

हे गाँधी बाबा तू काहें नाहिं अउरो चरखा बनवा देहला ? देशो चलत, सरकारो चलत

गांधी बाबा के का पता कि उनके मुअले के बाद उनकर चरख्वा करोड़ों में बिकाइ, नाहिं त कुछ जादा ही बनवा देहले होते | अबहि तक ई लोग एतना भिखारी बायन कि १२ रुपिया

रामनाम पंडित भुनभुनाये जा रहे थे ,

गांधी बाबा क चश्मा सौ बरिस धूम मचवलस लइका पढ़े जाय त कबूत्तर खरहां के साथे च से चरखा पढ़ावल जाय

वो समईया चरखा खोजे के न रहल ।अब त लईकवा कुल जान खाय जात हवे की इ चरखा का होला, अब कहा से चरखा लियाय के देखाई इनहन के ई बवाल बा। येही बड़े लगत हाउ अंगरेजी माध्यम वाले च से चम्मच बतावे न , अजदिया के बाद चमचावा त घर घर पहुच गईल।

गांधी बाबा के का पता कि उनके मुअले के बाद उनकर चरख्वा करोड़ों में बिकाइ, नाहिं त कुछ जादा ही बनवा देहले होते|

कासे कि, वो ही के बेच के सरकार चालत। अबहीं के सरकार का कउन भरोसा, अनगिनती धन बैभव बा लेकिन सरवा लोगन के पइसवे के कमी बा |

आपन नगर हवेली और एक जउन बाहरवा बैंक हौ , स्विस ओहमें ले जाए खातिर केतना अधिक पैसा हौ, लेकिन जनता खातिर कोष नाही बा |

अबहि तक ई लोग एतना भिखारी बायन कि १२ रुपिया प्लेट का खाना खात हउवन |
हे गाँधी बाबा तू काहें नाहिं अउरो चरखा बनवा देहला ? हमहुँ लोगन क तनी कुछ हो जात|

तब तक कल्लू चाचा का धैर्य टूटा ,,का ये रामनाम ? का बडबडात हुआ मरदवा?

‘इहां आव इ देखा बाइस लाख त खली टेक्स लेहलस सरकार गाँधी बाबा के चरखा क ।अब्बो कहे की महगाई हाउ ,त गांधी बाबा क राज्घत्वा से कुछ हाड मॉस खोजे शायद कवनो बड़हर खरीददार मिल जाय’ ,

‘अरबों खरबों के साथ तेक्सवो ढेर मिली ,देशो चली सरकारो चली’।