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All around the world, thousands of markets have millions of tents, and an Arabic tent still lists at the top position and astonishing part of Arabic tents.

Taaza Tadka

भ्रष्टाचार की हदें: सरकारी लूट और निठल्लेपन के दारोमदार कर्मचारी

इनकी औकात की थाली में, क्योंकि 7वें वेतन आयोग के बाद सरकारी नौकरों के मन का बढ़ना लोकशाही का बढ़ना है, जो सत्य का नुमैन्दगार नहीं हो सकता। इनके खिलाफ सड़कों

किसी भी देश में भ्रष्टाचार की हदें तब पार कर जाती है,जब नीचे से ऊपर तक इसके फंदे बीछे हुए होते हैं। किसको सही कहें और विश्वास का स्वाँस भरें समझना कठिन है। चाँद पैसे की खातिर गलत करना तक ही यहाँ गलत नहीं रह गया है,सरकारी महकमों से जुड़े लोग कुछ भी करना चाहते ही नहीं,उनका सारा समय एफडी और वित्तीय सुविधाओं की जानकारी करने में लग जाता है,कारण उनको इतना अधिक पैसा मिलने लगा है।

अभी एड्स दिवस पर कई बड़े डॉक्टरों की कलई खुली,जो कैसा व्यवहार करते है,वो अपने रोगियों के साथ ,जिनकी सेवा की रोटी खाते हैं वो। सर सुन्दर लाल अस्पताल बीएचयू जिसके विषय में अखबार वाले भी छपने से कतराते हैं की स्थिति ये है की वहां पहुचने वाले रोगियों के साथ ये डाक्टर साहब लोग ऐसा व्यवहार करते है,मानो ये किसी दुसरे गृह से आये हों।

सब तो सब जो रेसिडेंट अभी पीजी का छात्र होता है,और ट्रेनिंग के लिए रेजिडेंट डाक्टर के रूप में कार्यरत होता है,उसकी गति यह है की किसी बुजुर्ग को भी आप नहीं कह सकता तुम तो मानो उनकी छठी में दाल दिया गया हो। ये है सरकारी छुआछूत का ऐठन।

ऐसे में सबसे पहले जरूरी है , बढाई हुई ७वाँ वेतन की तनख्वाह वापस करना तो हवा-हवाई हो जाएगा लेकिन कसम खा लेना की इनको अगले पच्चीस सालों तक अब इसी वेतन पर काम करना है, नीचे से ऊपर तक सारे महकमों के सारे कर्मचारियों के साथ। उसके बाद बदली तस्वीर  सामने होगी, इनकी औकात की थाली में, क्योंकि सरकारी नौकरों का मन का बढ़ना लोकशाही का बढ़ना है, जो कभी सत्य का नुमैन्दगार नहीं हो सकता। इनके खिलाफ भी सड़कों पर देर सबेर उतरना ही होगा,तभी सच्चा भारत दिखेगा।