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All around the world, thousands of markets have millions of tents, and an Arabic tent still lists at the top position and astonishing part of Arabic tents.

Taaza Tadka

एक अनसुनी प्रेम कहानी: ‘मैं अपने कसम को नहीं निभा पायी’

ये बात सुनते ही मेरी आँखे भर आयी मैं सोचने लगा और मेरी आखो से आंसू बहने लगे वो समझाती रही फिर भी ऐसा लग रहा था जैसे शरीर तो है पर प्राण नहीं है

बनारसी गलियों के चर्चे तो हर जगह मशहूर हैं |
आज भी मैं उस गली में जाता हूँ तो मेरी दिल की धड़कने तेज़ हो जाती, बात उन दिनों की है जब मैं बनारस रह कर पढता था, तक़रीबन ६ साल पहले अस्सी का मोहल्ला में मैं रहता था | सब कुछ अच्छा चल रहा था, अचानक एक दिन महसूस हुआ की मुझे कोई देख रहा है |

जब भी मै अपने छत पे जाता एक लड़की जो कि मेरे पड़ोस में रहती थी वो देखती रहती थी | मै काफी दिनों तक ध्यान नहीं दिया पर अंदर ही अंदर खुश था क्योकि कोई तो है जो देख रहा है, पहली बार मुझे एहसास होने लगा कि मुझे भी उसके प्रति लगाव सा महसूस हो रहा था |

गर्मी का दिन था अक्सर छत पर या बालकनी में रहता था, जब वो देखती मुझे वो भी बालकनी में आके एक स्माइल कर देती थी| धीरे धीरे बात बढ़ती गई एक दिन उसने इशारे से मोबाइल नंबर माँगा तो मैंने भी इशारे से दस डिजिट का नंबर बता दिया| नंबर पाते ही उसने मेरे मोबाइल पे रिंग कर दिया तब समझ में आया लड़किया कितनी इंटेलीजेंट होती है |

फिर क्या था शुरू हो गया बातो का सिलसिला पहली बार जब उसने मिलने की लिए बोला मुझसे रहा नहीं गया क्योकि प्यार तो हमें भी था | हम सज धज के चल पड़े नए विश्वनाथ मंदिर जो बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में है |अकसर सभी स्टूडेंट की प्रेम कहानी वही से शुरू होती है मेरी भी हुई जैसे वह पहुँचा मेरी साँसे तेज़ चलने लगी क्योकि पहली बार किसी लड़की से मिलने गया था मन में तरह तरह के ख्याल उठ रहे थे कही कुछ पूछेगी तो नहीं , डरा भी था क्योकि उनदिनों मैं ट्यूशन पढ़ाता था , सोच रहा था किसी बच्चे के माता पिता न देख ले|

ये सब सोच ही रहा था की उसने कहा मैं आपने बहुत प्यार करती हूँ ( I Love You ) उस टाइम तो मैं कुछ बोला नहीं क्योकि मुझे भी समझ में नहीं आ रहा था मैं बहुत ही शर्मिला इंसान हूँ इसलिए फिर मैं बोला सोच कर बताऊंगा पर मन में लड्डू फुट रहे थे, फिर हम चले आये वापस अपने रूम पे काफी सोचता रहा, तभी कॉल आया मुझसे भी नहीं रहा गया मैंने भी हाँ बोल दिया फिर क्या था प्यार मोहब्बत की बाते शुरू हो गई | न जाने कितनी कस्मे खाई गई साथ निभाने की पर होता वही है जो गॉड को मंजूर होता है या जो हमारे किस्मत में लिखी होती है |

वो सबसे बुरा दिन था मेरे लिए जब ये बात उसने अपने मम्मी को बताई फिर उसके पापा को पता चला | मुझे यकीं नहीं होता उनके पापा हमसे मिलने रूम पे आ गए तब मैं उनको बताया यहाँ किसी को पता नहीं है आप कही और चले मैं सारी बात बताऊंगा | सारी बाते हुई पर पहले तो धमकाया गया हमें पर एक प्रेमी को भला मौत डरा नहीं सकती तो इंसान क्या डरायेगा ?

एक दिन उसके पापा जल्लादो वाला काम किये उस लड़की को इतना मारे , जब मैं ये सुना तो मेरा रोम रोम सिहर उठा इसलिए की मेरी वजह से उसे मर पड़ी मैं बड़ा उदास हो गया | आखिर ये समाज प्यार को नहीं समझती है सिर्फ अपने खानदान और अपनी जिद्द के लिए दूसरे का गला घोट देते है | उस दिन समझ में आया रिश्ते भी अपने से बराबरी वालो के साथ जोड़ना चाहिए |

क्योकि उस रिश्ते का कोई मोल नहीं होता जो अपने से बराबरी में नहीं | उसको ये समाज हेय दृष्टि से देखता है | उस समय मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या करना चाहिए | उसका उसके बाद भी कॉल आया मिलने के लिए बोली और हम हॉस्पिटल के कैम्पस में मिले वो बोली “मैं अपने कसम को नहीं निभा पायी” | ये बात सुनते ही मेरी आँखे भर आयी मैं सोचने लगा और मेरी आखो से आंसू बहने लगे वो समझाती रही फिर भी ऐसा लग रहा था जैसे शरीर तो है पर प्राण नहीं है| मैं सिथिल हो गया अपने आप को संभालना मुश्किल लग रहा था पर जैसे तैसे संभाला मैंने उनको समझाया “आप अपनी शादी अपने पापा के पसंद के लड़के से ही करना, मैं खुश रहूंगा तुमको और तुम्हारे परिवार की ख़ुशी देख कर” |

मैंने उनसे आखरी शब्द यही कहा “आप जहा भी रहो खुश रहो मेरा प्यार तुम्हारे साथ हैं” |

मैंने उसके बाद बनारस छोड़ दिया लखनऊ आ गए और अपनी आगे की पोस्ट ग्रेजुएशन की स्टडी में लग गए | एक भाभी है जो सब जानती थी उसी के यहाँ रहती थी वो बोली की उसकी शादी हो गई | ख़ुशी भी हुई और दुःख भी हुआ ख़ुशी इस वजह से उसके पापा हमसे अच्छा पैसे वाले लड़के से शादी की, दुःख इसलिए हुआ कि वो उतनी खुश नहीं रह पायेगी जितना मेरे साथ थी कही न कही हमको हमेशा याद करती रहेगी |

समय ऐसी दवा है जो हर ज़ख़्म को भर देता है

मैं कुछ दिन पहले वाराणसी गया था, मन हुआ उस सभी जगह पर घूमूँ जहा मैं और वो बहुत सारे पल साथ बिताते थे भले ही वो मेरे साथ नहीं पर प्यार का वो एहसास तो है जो उसने उन दिनों हमें दिया था |

बनारस की उस गली से जब मैं गुजरा जहा मेरी दिलरुबा रहती थी कसम से सारी की सारी यदि ताज़ा हो गई जो मैं ताज़ा तड़का के माध्यम से शेयर कर रहा हूँ |

दुःख नहीं कि वो नहीं मिली, बस दुःख तो इस बात का है कि क्या समाज में प्यार करना गुनाह है क्या लड़के लड़कियों को अपने पसंद का जीवनसाथी चुनने का भी अधिकार नहीं है | वाह रे समाज जो दो दिलो को मिलाने के बजाय अलग कर देती है |