Site icon Taaza Tadka

एक सेक्युलर मुसलमान का संसद रत्न असदुद्दीन ओवैसी जी को खुला पत्र

हैदराबाद से सांसद और लगभग 15 साल से भारतीय लोकतंत्र में सक्रिय सांसद असदुद्दीन ओवैसी से मैं ये अपील करना चाहता हूँ कि राजनितिक रोटियां सेकनी तो सबको आती हैं

संसद रत्न , माननीय असदुद्दीन ओवैसी जी,

हैदराबाद से सांसद और लगभग 15 साल से भारतीय लोकतंत्र में सक्रिय सांसद असदुद्दीन ओवैसी से मैं ये अपील करना चाहता हूँ कि आपने बहुत हद तक भारतीय मुसलमानों को गर्त में ले जाने का काम किया है।

आपके नफरत भरे भाषणों का वीडियो यूट्यूब पर आये दिन ट्रेंड करता रहता है जिसमे प्रयोग किये गए शब्द निश्चित तौर पर एक सांसद और शालीन व्यक्ति के नहीं हो सकते हैं।

क्योंकि, जब मैं उन शब्दों को स्वीकार नहीं कर सकता तो दूसरों के लिए सुनने की क्षमता भी मुझ में नहीं है, हालांकि आप 2014 में संसद रत्न के अवार्ड से भी नवाज़े जा चुके हैं |

एक मुसलमान होने के नाते मुझे गर्व भी होता है और जब भी मैं आपको संसद में प्रश्न पूछते सुनता और देखता हूँ एक सम्मान का नजरिया लाता है मुझ में तो मुझे लगता है कि इस देश में अल्पसंख्यकों की आवाज़ उठाने वाले नेता हैं |

लेकिन साथ में जैसे ही मैं आपके द्वारा जनता के बीच दिए गए भाषणों को सुनता हूँ एक अलग व्यक्तित्व नज़र आता है जो लगता है समाज को दो हिस्सों में बाँट देगा।

आप की पार्टी 2017 उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बाहुल्य इलाको से कुछ सीटों पर चुनाव लड़ी लेकिन आपकी पार्टी का क्या हाल हुआ ?

शायद कोई तो वजह रही होगी कि आपको उत्तर प्रदेश के मुसलमानों ने नकार दिया और आपकी कट्टर छवि ने भाजपा को और मजबूती दी और उन क्षेत्रों में चुनाव को हिन्दू बनाम मुस्लिम बना दिया |

हालांकि कारण और भी थे लेकिन आपकी कट्टर छवि वाली पार्टी का चुनाव लड़ना भी एक कारण था । भारत के मुसलमान को किसी भी कट्टर छवि के नेता का प्रतिनिधत्व नहीं चाहिए ।

मैं मानता हूँ कि और भी बहुत से लोग समाज में ज़हर उगलने का काम करते हैं लेकिन आप भी उस लिस्ट से कहाँ अलग हैं और अगर अलग हैं तो कम से कम एक मुसलमान को तो वो फर्क दिखना ही चाहिए।

भारतीय मुसलमानों ने कभी नहीं चाहा कि उनकी अपनी कोई पार्टी हो इसलिए मुसलमानों ने कभी किसी मुस्लिम नेता का प्रतिनिधत्व स्वीकार नहीं किया क्योंकि वो सभी धर्मों के साथ कंधे से कंधा मिला कर चलने में विश्वास रखता है क्यूंकि इस देश की नींव सेकुलरिज्म पर ही रखी गयी थी।

हाँ ये अलग बात हो सकती है मुसलमान वोटों को राजनितिक पार्टियों ने हमेशा से सिर्फ वोट बैंक समझा है ,और यदि आप यानी असद्दुद्दीन ओवैसी जी सच में मुसलमानों और पिछड़ों का प्रतिनिधत्व करना चाहते तो जहाँ उनके हैदराबाद में 10 से ज्यादा मेडिकल और इंजीनियरिंग और अन्य कॉलेजो और 2 अस्पतालों के मालिक हैं वहां कम से कम एक अस्पताल और एक मेडिकल कॉलेज बना कर इस प्रदेश के गरीब और पिछड़ी जनता को कम खर्च में शिक्षा देकर अगर शुरुवात करते तो एक सकारात्मक संदेश जरूर पहुँचता |

लेकिन राजनितिक रोटियां सेकनी तो सबको आती हैं और वो रोटियां एक तरफ से हमेशा जली हुई होती है जो की एक साफ़ सुथरी राजनीति के सिद्धांत को मुंह चिढ़ाती हैं ।

Read More: 

चुप रहो, भगवा रंग पहनने से कोई साधु नहीं हो जाता, औकात में रहो