दिल तो पागल है
क्या सचमुच दिल पागल होता है ? परंतु ये तो मीठा सच है कि किसी के इश्क़ में पद कर यह दिल पागल, दीवाना और भी न जाने क्या क्या हो जाता है |
मैंने भी मुहब्बत कि है …
बेपनाह मुहब्बत |
मेरे पाप बैंक में कार्यरत थे | उनका इस बार जब ट्रांसफर हुआ , तो हम बोरिया – बिस्तर समेट कर दार्जिलिंग बेहद खूबसूरत जगह है , लेकिन यहाँ पहुच कर तो हम जैसे प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज यहाँ कि ख़ूबसूरती में खोते चले गए | हम लोग यहाँ खूब एन्जॉय कर रहे थे | एक हफ्ते बाद ही पाप के ज्वाइन करने की ख़ुशी में एक वेलकम पार्टी थी | हम सपरिवार वहां आमंत्रित थे | पार्टी काफी अच्छी थी | कुछ ही देर में एक दूसरे से परिचय का दौर भी शुरू हो गया |
“मिस्टर गाँधी , यह है मेरा बीटा विश्वजीत ,” पापा के बैंक में सीनियर मेनेजर ने अपनने बेटे से पापा को मिलवाते हुए बोला | “और जीत ये हैं हमारे नए अफसर मिस्टर गाँधी | “ विश्वजीत ने झट से मुस्कुराते हुए पापा को नमस्ते कहा | मैंने कनखियों से उस खूबसूरत नौजवान को देखा तो बस देखते ही रह गयी | लंबा कद , घुंघराले बाल , शरारती परंतु गहरी ऑंखें … उसका चुम्बकीय व्यक्तित्व मेरे दिल में उतरता चला गया … पूरी पार्टी के दौरान वह सबसे बड़ी गर्मजोशी से मिलता रहा और मैं भी नजरें बचा कर उसे देखने का कोई मौका नही छोड़ रही थी |
घर आ कर यह कमबख्त दिल उसी के बारे में सोच कर जोरों से धड़कता रहा | आखिर कुछ तो था उसमे , जो ना छह कर भी उसी के ख्यालों में खोयी रहती थी | ४ दिन बाद मैं एमबीए में एडमिशन लेने के लिए कॉलेज गयी , तो देखा सामने विश्वजीत खड़ा था | बार – बार पलकें झपक कर देखा कहीं यह सपना तो नहीं … पर यह सपना नहीं, हकीकत थी | इसका मतलब वो भी इसी कॉलेज में था | अचानक उसने दूर से ही हाथ हिलाया | मैं जैसे वापस से अपनी दुनिया में लौटी | वो बोले जा रहा था और मैं मंत्रमुग्ध होके बस उसको सुनते जा रही थी | आनन- फानन में कागज़ी कार्यवाही निबटा कर उसने मेरा एडमिशन अपने कॉलेज में करवा दिया और एक विजयी मुस्कान के साथ बोला , “चलिए , कैंटीन चल कर एक – एक कप कॉफी पी जाए |” उसके ये शब्द सुन कर लगा जैसे किसी ने कानों में मिश्री घोल दी हो और मन किया की काश , यह वक़्त यहीं ठहर जाए …
बस, फिर शुरू हुआ हमारी मुलाकातों का सिलसिला | हम एक-दूसरे से काफी जुड़ गए थे | धीरे – धीरे मुझे महसूस हुआ की जीत भी मेरी तरफ उतने ही आकर्षित हैं | उनके मन में भी मेरे लिए प्रेम की भावनाएं हैं | हमारी मुलाकातें जल्द ही प्रेम के खूबसूरत बंधन में बंधने लगीं |
हमारे घरवालों को भी शायद हमारे प्रेम की भनक लग गयी थी और वे हमारे पवित्र प्रेम से खुश थे | मेनेजर अंकल स्वयं ही एक दिन पापा से कहने लगे , ” मिस्टर गाँधी , सिर्फ २ वर्ष इंतज़ार करना होगा | जीत हायर स्टडीज के लिए अमेरिका जाना चाहता है , उसके बाद आपके घर की लाडली हमेशा के लिए हमारे घर में खुशबु बिखेरेगी … “ हम सबकी ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं था |
और ….
कल ही जीत अमेरिका के लिए रवाना हुआ है | मेरे अविरल बहते आंसुओ को अपनी हथेलियों में समेटे , भीगे स्वर में कल उसने सिर्फ इतना कहा था , ” मेरा इंतज़ार करना चन्नी , मैं जल्द ही लौटूंगा | ” हिचकियों में मेरे मुँह से सिर्फ इतना निकला , ” हम इंतज़ार करेंगे |”