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All around the world, thousands of markets have millions of tents, and an Arabic tent still lists at the top position and astonishing part of Arabic tents.

Taaza Tadka

बातें ये कभी न तू भूलना कोई तेरी खातिर है जी रहा

भीगे स्वर में कल उसने सिर्फ इतना कहा था , " मेरा इंतज़ार करना चन्नी , मैं जल्द ही लौटूंगा | " हिचकियों में मेरे मुँह से सिर्फ इतना निकला , " हम इंतज़ार करेंगे |"
Blog Kahi Ankahi 15 October 2016
बातें ये कभी न तू भूलना कोई तेरी खातिर है जी रहा

दिल तो पागल है 

क्या सचमुच दिल पागल होता है ? परंतु ये तो मीठा सच है कि किसी के इश्क़ में पद कर यह दिल पागल, दीवाना और भी न जाने क्या क्या हो जाता है |
मैंने भी मुहब्बत कि है …
बेपनाह मुहब्बत |
मेरे पाप बैंक में कार्यरत थे | उनका इस बार जब ट्रांसफर हुआ , तो हम बोरिया – बिस्तर समेट कर दार्जिलिंग बेहद खूबसूरत जगह है , लेकिन यहाँ पहुच कर तो हम जैसे प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज यहाँ कि ख़ूबसूरती में खोते चले गए | हम लोग यहाँ खूब एन्जॉय कर रहे थे | एक हफ्ते बाद ही पाप के ज्वाइन करने की ख़ुशी में एक वेलकम पार्टी थी | हम सपरिवार वहां आमंत्रित थे | पार्टी काफी अच्छी थी | कुछ ही देर में एक दूसरे से परिचय का दौर भी शुरू हो गया |

“मिस्टर गाँधी , यह है मेरा बीटा विश्वजीत ,” पापा के बैंक में सीनियर मेनेजर ने अपनने बेटे से पापा को मिलवाते हुए बोला | “और जीत ये हैं हमारे नए अफसर मिस्टर गाँधी | “ विश्वजीत ने झट से मुस्कुराते हुए पापा को नमस्ते कहा | मैंने कनखियों से उस खूबसूरत नौजवान को देखा तो बस देखते ही रह गयी | लंबा कद , घुंघराले बाल , शरारती परंतु गहरी ऑंखें … उसका चुम्बकीय व्यक्तित्व मेरे दिल में उतरता चला गया … पूरी पार्टी के दौरान वह सबसे बड़ी गर्मजोशी से मिलता रहा और मैं भी नजरें बचा कर उसे देखने का कोई मौका नही छोड़ रही थी |

घर आ कर यह कमबख्त दिल उसी के बारे में सोच कर जोरों से धड़कता रहा | आखिर कुछ तो था उसमे , जो ना छह कर भी उसी के ख्यालों में खोयी रहती थी | ४ दिन बाद मैं एमबीए में एडमिशन लेने के लिए कॉलेज गयी , तो देखा सामने विश्वजीत खड़ा था | बार – बार पलकें झपक कर देखा कहीं यह सपना तो नहीं … पर यह सपना नहीं, हकीकत थी | इसका मतलब वो भी इसी कॉलेज में था | अचानक उसने दूर से ही हाथ हिलाया | मैं जैसे वापस से अपनी दुनिया में लौटी | वो बोले जा रहा था और मैं मंत्रमुग्ध होके बस उसको सुनते जा रही थी | आनन- फानन में कागज़ी कार्यवाही निबटा कर उसने मेरा एडमिशन अपने कॉलेज में करवा दिया और एक विजयी मुस्कान के साथ बोला , “चलिए , कैंटीन चल कर एक – एक कप कॉफी पी जाए |” उसके ये शब्द सुन कर लगा जैसे किसी ने कानों में मिश्री घोल दी हो और मन किया की काश , यह वक़्त यहीं ठहर जाए …

बस, फिर शुरू हुआ हमारी मुलाकातों का सिलसिला | हम एक-दूसरे से काफी जुड़ गए थे | धीरे – धीरे मुझे महसूस हुआ की जीत भी मेरी तरफ उतने ही आकर्षित हैं | उनके मन में भी मेरे लिए प्रेम की भावनाएं हैं | हमारी मुलाकातें जल्द ही प्रेम के खूबसूरत बंधन में बंधने लगीं |

हमारे घरवालों को भी शायद हमारे प्रेम की भनक लग गयी थी और वे हमारे पवित्र प्रेम से खुश थे | मेनेजर अंकल स्वयं ही एक दिन पापा से कहने लगे , ” मिस्टर गाँधी , सिर्फ २ वर्ष इंतज़ार करना होगा | जीत हायर स्टडीज के लिए अमेरिका जाना चाहता है , उसके बाद आपके घर की लाडली हमेशा के लिए हमारे घर में खुशबु बिखेरेगी … “ हम सबकी ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं था |

और ….

कल ही जीत अमेरिका के लिए रवाना हुआ है | मेरे अविरल बहते आंसुओ को अपनी हथेलियों में समेटे , भीगे स्वर में कल उसने सिर्फ इतना कहा था , ” मेरा इंतज़ार करना चन्नी , मैं जल्द ही लौटूंगा | ” हिचकियों में मेरे मुँह से सिर्फ इतना निकला , ” हम इंतज़ार करेंगे |”