रामनाम गुरु क पारा कुछ खासे गरम रहा…
शुरुआते क बरसात देखकर नया छाता जो खरीद लिए थे ,,अ ई मौसम बेईमान हो गया ,,,,छाता कंधे पे रख ,,बड़बड़ाये जा रहे थे , “ई ससुरा हमके पता रहल कि अगर हम अब्बे छाता कीन लेब त इनकर कुल पानी जरि जाई ,,,केसे ,केसे लड़े अकेले रामनाम | हाँ नाही त| सबकर दुश्मनी बस एक हमहि से रहेला” |
तब तक उनसे कभी न पटने वाले लंगोटिया यार चियां परधान टकराइये गए | चियां आपन गाय भैस किसी के खेत में घुसा के खेत क सूपड़ा साफ कर देने के लिए विख्यात थे | एक बार गांव में अधिक विद्वान लोग चुनाव लड़ गए आपसे में , तो गांव वाले चिंया को ही जमकर वोट देके परधान बना दिए कि कम से कम खेतवा त बख्शे रहेगा |
चिंया काहे माने ,उवाची दिए ,,,
“का मर्दवा रामनाम सबरवे सबेरे का बरबरात हौआ ,,,,,देखत हौवा दिल्लीया में देवर भौजाई के तरह सब लड़त हउए ,अ तू इहा छतवे पे कुर्बान बाड्या” |
रामनाम ऐसे खिसिआए जैसे किसी दारूबाज का पहिला पैग मुह लगाते ही छीन लिया जाय ,,,
“सुना ये चिंया ,एक बेर परधान का हो गइला कि समझदार क पोछे बूझे लागला का ? रातभर सूते के नहीं मिळत हाउ |रोड़े पे चले में डरे लगत हौ ससुरा कि कही किडनी सरक के ये कोना से वो कोना न चली जाये | अ तोहके खाली दिल्लीए देखात हव”
चिंया बोले ,,,तू बुड़बके रही जैबा का मर्दे ,,,,देशवा दील्लीए से न चली ,,,,
रामनाम को कोई बुड़बक कह दे इतनी मजाल कहाँ ,,,,फायर ,,,,
“सुना, मरे एक त छाता क पैसा बेजाए गईल ,,अब तू मत सुलगावा ,,,बाप मरे अन्हारे घरे बेटवा क नांव पावर हॉउस”
चिंया समझ गए , कई पुस्त नेवति देयी गुरुआ भागो ,,,
रामनाम दौड़ा लिए ,,,“सुना ,सुना,,,ले चली कथा स्वयम्बर क,,कहि डालि हाल जनकपुर क”
भला अब कहाँ चिंया टिकने वाले ,,,,