ज्ञात हो कि केंद्र सरकार द्वारा कि गयी नोटेबंदी को देश में एक देशभक्ति की मुहीम के रूप में प्रस्तुत किया गया था , जिसमें यूँ तो आम इंसान घंटों तक लाइन में लगा था लेकिन उसने इस बात के ऊपर गर्व महसूस किया |
बता दें कि इतना ही नहीं यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान हुए सर्वे में जब आम जनता से नोटेबंदी पर राय मांगी गयी तो ज्यादातर आम जनता जो चाहे जिस भी पार्टी को सपोर्ट करती हो , उन्होंने मोदी सरकार की इस निति की जमकर तारीफ़ की |
उनका कहना था कि केंद्र सरकार ने ये लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू की है और ये काला धन वापस लाने की मुहीम है इसलिए हम अपने देश के विकास के लिए इतना कष्ट अवश्य उठाएंगे |
कुछ के तो ऐसे तंज़ थे कि, यदि हम पिज़्ज़ा और जिओ का सिम लेने के लिए लाइन में लग सकते हैं तो क्या एक इंसान अच्छा काम कर रहा है उसके समर्थन में लाइन में नहीं लग सकते हैं ?
भारत एक ऐसा देश है जहाँ पर कोई भी राजनितिक पार्टी बड़े ही आसानी से यहाँ की आम जनता के भाव और उम्मीद के साथ खेलती है कभी धर्म और कभी समुदाय के नाम पर बेवकूफ बनाती है तो कभी जुमलों के चक्कर में |
बहरहाल नोटेबंदी का दौर ख़त्म हो गया जहाँ कुछ लोग उसकी तारीफ़ तो कुछ उससे हुए नुकसान के बारे में चर्चा कर रहे हैं , और उस पर अपने हिसाब से विश्लेषण कर रहे हैं |
लेकिन लाइन में १८० जान गवां कर भी इस भारत देश की जनता जिस देशभक्ति के नाम पर नोटेबंदी का समर्थन आज भी कर रही है उसी आम जनता के भाव का बीजेपी दिल्ली के नेता और अध्यक्ष मनोज तिवारी बीजेपी के अन्य नेताओं के साथ मिलकर किस तरह मजाक उड़ा रहे हैं यह देख कर काफी दुःख होता है |