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पूरी दुनिया के लोग ही नास्तिक हो जाये तो पूरी समस्या ही खत्म हो जाएगी

भारत में कहते हैं धर्म हमें जिंदगी जीने की राह बताता है। यह हमें रोज एक नयी ऊर्जा प्रदान करता है, जिससे हम अपने रोज के कार्य को कर पाते हैं।

किन्तु अगर आप से कोई यह पूछे कि पहले धर्म आया या उसको मानने वाला आदमी तो आपका क्या जवाब होगा?

आज धर्म सबसे ऊपर हो गया है और होना भी चाहिये, लेकिन जब यह अंधविश्वास बन जाता हैं तो बड़ी मुसीबत बन जाता हैं।

आज बहुत सारे धर्म बन गये हैं, बन इसलिये गये है, क्योकि कोई भी धर्म इंसान के आने से पहले नहीं बना है। पहले इंसान ही आया है, इसलिये मेरा यह मानना है कि किसी भी धर्म को इंसान ने ही बनाया है। शुरू में इंसान ने पेड़, आकाश, सूर्य, चन्द्रमा, वायु आदि को मानना शुरू किया। धीरे-धीरे उसमे पीढ़ी दर पीढ़ी कहानियां जुड़ती गयी और नये-नये धर्म बनते गये। आज धर्म हमारे ही ऊपर हावी हो गया है।

Image Courtesy: Struggle for Hindu Existence
Image Courtesy : YouTube

पूरी दुनिया मे असंख्य लोग हैं जो कोई ना कोई धर्म के अनुयायी हैं, कुछ ऐसे भी लोग जो किसी भी धर्म को नही मानते है, उन्हें हमारा समाज नास्तिक कहता है |

बड़ी अजीब बात है कि दो आस्तिक जो अलग-अलग धर्म को मानते हैं, धर्म को लेकर मरने मारने को उतारू हो जाते है। फिर भी वो आस्तिक है, और वो व्यक्ति जो किसी भी तरह के ईश्वर में विश्वास नही रखता है, लेकिन हमेशा सबकी मदद करता है, वो नास्तिक हैं।

यह तो बड़ी अच्छी बात है।

मुझे लगता हैं अगर पूरी दुनिया के लोग ही नास्तिक हो जाये तो पूरी समस्या ही खत्म हो जाएगी, क्योंकि जब कोई धर्म को मानने वाला ही नही होगा तो कोई धर्म ही कहाँ होगा? और अगर कोई धर्म ही नही होगा तो यह दंगा-फसाद, धर्म के नाम पर आतंकवाद, बवाल-फसाद इत्यादि कहाँ होगा?

धर्म के ही नाम पर राजनेता अपनी रोटी सेकते हैं। दंगे-फसाद इत्यादि में अक्सर सामान्य लोग ही मारे जाते है, इन नेताओं के परिवार के या खुद नेता लोग शायद ही मारे जाते है। फिर भी सामान्य जनता आंखे बंद करके इन पर विश्वास करती है और अपने ही लोगो का खून करके खुद को गौरवान्वित महसूस करती है |

जी हाँ, मैं ऐसे अकल के अंधों से सिर्फ ये पूछना चाहता हूँ कि,

प्रकृति ने हम सभी को बनाया है। एक-एक पत्ता, एक-एक कण उसने बनाया है। यह आकाश, धरती, जल, पेड़-पौधे, जीव- जन्तु सभी को उसने ही बनाया है। यही सत्य है बाकी सब झूठ है।

और हम सभी इसी झूठ में ही जी रहे कि हमारा धर्म सबसे अच्छा है या सबसे पुराना है या ज्यादा अनुयायी हैं।
जबकि बिना धर्म के भी जिंदगी को जिया जा सकता है।

बस सबकी सोच यही हो जाये कि जियो और जीने दो।