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आतंकवाद का सबसे बड़ा इलाज़ शिक्षा है या नहीं ?

आज के समय में शिक्षा का बहुत ही महत्व है। शिक्षा ही एक ऐसा हथियार है, जो बिना खून खराबे किये ही अपनी मंजिल को पा लेता हैं। जितने ही विकसित देश है, वहाँ का शिक्षा प्रतिशत बहुत ज्यादा है, इसके विपरीत जितने भी गरीब देश या आतंकवाद से पीड़ित देश है, वहाँ का शिक्षा प्रतिशत कम है। जैसे भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सीरिया, इराक आदि।
शिक्षा ही एकमात्र ऎसा साधन है, जिससे आतंकवाद जड़ से समाप्त हो सकता हैं। शिक्षा ही औरतों की स्थिति में बदलाव या सुधार ला सकता हैं। शिक्षा ही किसी देश को विकासशील से विकसित बना सकता हैं। शिक्षा ही जनसंख्या विस्फोट को कम या रोक सकता हैं। शिक्षा ही लगभग हर रोग का इलाज हैं। जहाँ पर शिक्षा नहीं है वही पर लोग सीधे साधे लोगो को बेवकूफ बना सकते हैं।
आप देख सकते है कि जैसे जैसे हमारा देश ज्यादा शिक्षित हो रहा है, वैसे वैसे हम मजबूत होते जा रहे हैं।आज भारत लगभग हर क्षेत्र में आगे है, फिर वो चाहे आईटी हो, या मेडिकल हो या अंतरिक्ष अनुसंधान हो।

आज अगर भारत को अमेरिका, चीन, रशिया, जापान आदि देश प्रमुखता से ले रहे है, तो कहीं ना कहीं शिक्षा ही आता है, क्योंकि एडुकेशन ने ही हमे इस लायक बनाया है कि आज हमें लोग प्रमुखता से ले रहे है। निश्चय ही यह हम सभी के लिए बड़ी गौरव की बात है, लेकिन अभी भी बहुत काम बाकी है। जिस दिन हम 100 प्रतिशत शिक्षित हो जायेंगे, उस दिन हम अमेरिका और चीन को भी बहुत पीछे छोड़ देंगे। क्योंकि जिस दिन हम पूर्ण शिक्षित हो जाएंगे उस दिन हमारी जनसंख्या कंट्रोल हो जायेगी, हम बेटे और बेटियों में भेदभाव बन्द कर देंगे|

हिन्दू मुस्लिम का कोई विवाद नही रहेगा, जातिवाद नही रहेगा, जाति के नाम पर आरक्षण नही होगा, हिंदी बोलने और लिखने में कोई शर्म नही होगी, राजनीतिक पार्टियां कभी भी अपनी मर्यादा नहीं भूलेगी और वंदे मातरम पर कोई विवाद नही होगा।

शिक्षा एक ऐसा माध्यम है, जिससे आप कोई भी बड़ा काम कर सकते हैं। यह एक आत्मविश्वास है, जो हमेशा हमे अच्छा करने को प्रेरित करता है। बेरोजगारी को खत्म करने में भी इसका अहम योगदान है। अगर आप शिक्षित है तो कभी भी बेरोजगार नहीं हो सकते।

अगर शिक्षित नहीं हैं तभी आपको बेरोजगारी भत्ते की जरूरत होगी, अन्यथा कभी नही।

हालांकि हम लोग बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे है। लेकिन ये और भी तेज होना चाहिये। उस दिन चीन हमे आंख नहीं दिखायेगा, बल्कि हमारे ऊपर निर्भर रहेगा।
हम यह कर सकते है और कर भी रहे है।