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All around the world, thousands of markets have millions of tents, and an Arabic tent still lists at the top position and astonishing part of Arabic tents.

Taaza Tadka

लड़कियों के प्रति गवाँर व दकियानुसी सोच भारतीय पिछड़ेपन की सबसे बड़ी वजह

मुझे उन लोगों की बुद्धि पर तरस आता है, होना तो यह चाहिए कि शादी के बाद लड़का और लड़की दोनो ही एक दूसरे के सरनेम को लगाए। जैसे आदित्य रॉय कपूर
Blog Durga Prasad 24 June 2017

आज जमाना बदल रहा है और लोगों की सोच भी बदल रही हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि लोगों की लड़कियों के प्रति सोच बदल रही हैं। थोड़ी ही सही लेकिन समाज ने लड़कियों की महत्ता को स्वीकार किया है और इसके लिये समाज और लड़कियां दोनों ही बधाई के पात्र हैं। लेकिन अभी भी बहुत सुधार बाकी हैं। समाज अब लड़कियों को लड़को की तरह मानने लगी हैं और लड़कियों ने हमेशा अपने माँ बाप का नाम रोशन किया है उदहारण के लिये सानिया मिर्ज़ा, प्रियंका चोपड़ा आदि। अभी और भी उदाहरण दिया जा सकता हैं।

कहने का मतलब यह है कि लड़कियां और लड़कों में कोई अंतर नहीं रह गया, क्योंकि वो हर काम जो लड़का अपने माँ बाप के लिये कर सकता हैं और उनका नाम ऊंचा कर सकता हैं, वो लड़किया भी कर सकती है, जोकि बहुत ही अच्छी बात है। कुछ जगहों पर तो बेटियों ने माँ बाप का अंतिम संस्कार तक भी कराया है।

किन्तु बड़े ही अफ़सोस की बात है जब मध्य प्रदेश में होने वाली घटना की याद आ जाती है जहाँ एक सरपंच की बेटी को सिर्फ इसलिए क़त्ल कर दिया गया क्योंकि उसने अपनी माँ की अर्थी को कांधा दिया था |

कैसा समाज जहाँ संस्कार के नाम पर एक लड़की घर के काम सिख कर दूसरे घर में जाने की और औरत सिर्फ बच्चा पैदा करने की मशीन हैं ? बेशक हमे ऐसे समाज को लात मार देना चाहिए | क्योंकि ऐसे ही दकियानुसी ख़यालात यदि अमेरिका, जापान और चीन के होते तो वो भी आज गर्त के गोते खाने को मजबूर होते |

एक तरफ तो हमको उनके जैसा विकास चाहिए लेकिन अपनी सोच को यदि जापान और अमेरिका के सोच का १% भी विकसित कर ले हमारा ये समाज तो बहुत कुछ सही हो जाएगा |

हमेशा यह बताया जाता हैं कि बेटियां पराया धन हैं, मुझे उन लोगों की बुद्धि पर तरस आता है, जब बेटे और बेटी दोनों में हमारा ही खून बह रहा है तो कैसे बेटा अपना धन और बेटी पराया धन हो गयी?

एक कारण लोग और बताते हैं कि बेटियां परिवार का वंश नही चला सकती क्योंकि वो शादी करके दूल्हे के परिवार का वंश चलाती हैं, यह तो हमारी दकियानूसी सोच हैं नहीं तो एक लड़का और लड़की शादी करके दोनो ही परिवार का वंश चलाते हैं, जरा सा सोच बदलिए सबकुछ अच्छा हो जाएगा।

अक्सर शादी के समय और शादी के बाद लड़की वाले हमेशा लड़के वालों से दबे रहते हैं या लड़के वालों द्वारा दबाया जाता है जो कि उनकी बकवास सोच को दरसाता है। शादी कोई सौदा नहीं है बल्कि यह दो परिवारों का मिलन हैं।

होना तो यह चाहिए कि शादी के बाद लड़का और लड़की दोनो ही एक दूसरे के सरनेम को लगाए। जैसे आदित्य रॉय कपूर, कोंकणा सेन गुप्ता आदि।

यह सब नाम सिर्फ उदाहरण के तौर पर है।

मेरा लोगो से यह अपील है कि यह मान लीजिए कि लड़का और लड़की दोनो ही एक दूसरे के परिवार का वंश चलाते हैं, और होता भी यही है। जिस दिन ऐसा हो जायेगा उस दिन लड़कियों की जो भ्रूण हत्या हो रही हैं पूरी तरह बंद हो जाएगी।
वैसे भी मरने के बाद किसको पता है कि किसका वंश चल भी रहा है कि नहीं |
जिं

जिंदगी छोटी सी है इसलिए भगवान ने जो भी दिया उसे स्वीकार कीजिये और उसे भरपूर प्यार दीजिये।