बड़का त बोलती रहलन,सब सुनते रहल कान में कडुआ तेल डाल-डाल के अब वरुणो गाँधी नसीहत देवे लगलन कि,देश के हर नौजवान के साल भर खातिन सेना में कयेके चाही। एसे सेवाभाव जागेला। अपने कौने सेना से लवट के आयल बड़ा ये भाई। खानदानी गुण तोहरहू अन्दर जनमते आवे लागल।
किसानन क लडिका त मूरख बटले बाड़े। उ बेचारे देश क पेटवो भरें आउर त आउर सेनों में मरे खातिन जमल रहे,तू हेलीकाप्टर प चढ़के मलाई काटा।
औते आवत गंगा एक्सप्रेस क लड़ाई क नाम लेके जनता क नेता बनी गईलन,सीधी सधी जनता भी वरुण गुड खाय के वह-वह कर देहलन त जयजयकार करे लागल,पजरे ओकरे परोसिया क लडिका एक रोरी गुड बदे कुहुक-कुहुक के घंटन रोवला,ओके अगर खियावतैं त बढ़र भैले पर वरुण से ढेर काम क होत उनकरे खातिन।
देशवे ऐसन बा अपने स मलाई खैहन औ जनता के सम्झैहन कि एसे कोलेस्ट्राल बढ़ेला,जनता जिंदाबाद चिल्लाके उनकर बात मानी। अपने सितारा वाले होटल के नीचे रुकिहैन नाही ,जनता के मदी क ऐसन गुणगान करिहन कि उ ओसे उप्पर सोची न पावे।
अगर इतना गुण होखे त भारत में राजनीती क सपना देखा ,नहीं त भगवन से मनवा कि अगले जनम में बड़का नेतवन के घरे जनम होखे जेसे तोहरो आत्मा बुताय जाये।
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