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भारतीय इतिहास के 10 सबसे बड़े झूठ, जिनकी सच्चाई आपको हिलाकर रख देगी

आपके साथ कितनी बार ऐसा हुआ है कि जो चीजें आपने पढ़ी और सुनी हैं, वे सही नहीं निकली हों? सच जानने के बाद हम हैरान हो जाते हैं, क्योंकि हमने ऐसी कहानियां बार-बार सुनी होती हैं या फिर हमें उसी तरह से चीजें बताई जाती हैं। यहां हम आपको भारत में फैले 10 ऐसे ही झूठ के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें कि आज तक हम में से अधिकतर लोग सच मानते आये हैं।

1-महात्मा गांधी ने कहा था, “An eye for an eye would leave the whole world blind.”

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इतने एक पंक्ति वाली बातें कही थीं कि यदि आज वे जीवित होते तो ट्विटर पर एक के बाद एक ऐसी बातें हमें पढ़ने को मिलती रहतीं। हालांकि, यह लाइन उनमें से एक नहीं होती, क्योंकि ऐसा गांधी जी ने नहीं, बल्कि गांधी फिल्म में अभिनेता बेन किंग्सले ने कही थी। गांधी जी द्वारा लिखी गई उनकी किसी भी चीज में इस लाइन का उल्लेख नहीं मिलता।

2-वर्ष 1960 के रोम ओलिंपिक में 400 मीटर रेस के दौरान मिल्खा सिंह ने पीछे मुड़कर देखा था

सच तो ये है कि फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह 1960 के रोम ओलिंपिक में 400 मीटर फाइनल रेस के दौरान कभी सबसे आगे थे ही नहीं। उन्होंने पीछे मुड़कर भी नहीं देखा था। वे रेस में पांचवें नंबर पर थे और पूरा जोर लगाकर चौथा स्थान हासिल किया था।

3-हाॅकी भारत का राष्ट्रीय खेल है

एक सूचना के अधिकार (RTI) के जवाब में खेल मंत्रालय ने कहा था कि उसने किसी भी खेल को आज तक राष्ट्रीय खेल घोषित नहीं किया है, जबकि सरकार की एक वेबसाइट www.india.gov.in ने हाॅकी को भारत का राष्ट्रीय खेल बताते हुए एक आर्टिकल पोस्ट किया था। सच तो ये है कि हाॅकी को आज तक भारत का राष्ट्रीय खेल घोषित नहीं किया गया, जबकि हर जगह यही बताया जाता रहा है कि हाॅकी भारत का राष्ट्रीय खेल है।

4-वाराणसी (बनारस) दुनिया का सबसे पुराना शहर है

ऐसा कहा जाता है कि वाराणसी दुनिया का ऐसा सबसे पुराना शहर है, जहां लोग रहते हैं, जबकि सच ये है कि वाराणसी से भी पुराने करीब 30 शहर हैं दुनिया में जहां कि लोग 1100 ईस्वी पूर्व में वाराणसी से भी पहले रहा करते थे।

5-लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती ने हार्वर्ड में लेक्चर दिया था

लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती ने हार्वर्ड के पोडियम पर अपनी एक तस्वीर यह कहते हुए पोस्ट की थी कि युवाओं की भूमिका पर लेक्चर देने के लिए उन्हें वहां आमंत्रित किया गया था, जबकि हार्वर्ड के एक प्रवक्ता ने साफ किया था कि उन्हें ऐसे किसी भी लेक्चर के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था।

6-एक पार्टी में ली गई थी महात्मा गांधी की डांस करती हुई तस्वीर

दरअसल जो फोटो हमेशा सोशल मीडिया में दिख जाती है, जिसमें गांधीजी एक युवती के साथ डांस कर रहे हैं, दरअसल ये गांधीजी नहीं, बल्कि एक ऑस्ट्रेलियाई अभिनेता हैं, जिन्होंने गांधीजी की तरह कपड़े पहने हुए हैं। गांधीजी तो बहुतों के रोल माॅडल हुआ करते थे। ऐसे में यदि किसी अभिनेता ने उनके जैसे कपड़े पहन लिये तो इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं है।

7-रामायण के दिनों से है अयोध्या का अस्तित्व

आज की जो अयोध्या हम देखते हैं, उसकी स्थापना राजा विक्रमादित्य ने की थी और इसका अस्तित्व रामायण के समय से नहीं रहा है। इसकी स्थापना इसके पौराणिक महत्व को फिर से जिंदा करने के लिए की गई थी। थाईलैंड में भी अयुथ्या नामक एक शहर है, जिसकी कहानी भी पौराणिक रामायण से ही मिलती-जुलती है।

8-भारत 1947 से आधिकारिक रूप से धर्मनिरपेक्ष देश बन गया

भारत के मूल संविधान में कहीं भी ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द का जिक्र नहीं है। संविधान में 1976 में एक संशोधन द्वारा प्रस्तावना और इसके अन्य हिस्सों में ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द को जोड़ा गया था। इस तरह से यह कहना गलत है कि भारत आजादी के ठीक बाद से ही धर्मनिरपेक्ष देश बन गया था।

9-हिंदी भारत की इकलौती आधिकारिक भाषा है

भारत में तमिल, गुजराती, कन्नड़, अंग्रेजी और पंजाबी सहित 20 से भी अधिक आधिकारिक भाषाएं हैं। यह सही है कि सरकार लगातार हिंदी को प्रोत्साहित करने में लगी हुई है, लेकिन सभी राज्यों को अपनी आधिकारिक भाषाएं घोषित करने का पूरा अधिकार है।

10-प्लैन क्रैश में मारे गये थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस

भारत के महान क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत वर्ष 1999 में मुखर्जी रिपोर्ट के मुताबिक 1945 में एक प्लेन क्रैश में हो गई थी। कोर्ट में भी इस रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया गया था। प्लेन क्रैश के समय सुभाष चंद्र बोस के भी उड़ान भरने के बारे में कोई भी आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। ऊपर से जिन अस्थियों को नेताजी सुभाष चंद्र बोस का बताया जाता है, वे उनकी हैं या नहीं, इसकी जांच के लिए आज तक डीएनए टेस्ट भी नहीं हुआ है।

पहले से तो बहुत सी बातों को तो हम आंख मूंदकर सच मानते ही आये हैं, ऊपर से आज सोशल मीडिया के इस युग में बहुत सी भ्रमित करने वाली बातें भी लगातार फैला दी जाती हैं, जिनकी सत्यता की जांच किये बिना हम उन पर यकीन भी कर लेते हैं और फिर दूसरों को भी यकीन करने के लिए फाॅरवर्ड कर लेते हैं। ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि हम किसी भी जानकारी के स्रोत से उसकी सत्यता को एक बार दूसरों को बताने या फिर खुद भी मानने से पहले जरूर परख लें।