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नरेंद्र मोदी का बड़ा गेम लेके आएगा आरक्षण के कोटा गेम में मज़ा

लोकसभा से पहले मोदी सरकार ने खेला बड़ा आरक्षण का कोटा गेम. कैबिनेट ने 10 फीसदी आरक्षण सामान्य वर्ग के गरीब तबके के लोगों के लिए मंजूर कर दिया है…

क्या हैं मोदी सरकार का गेम-प्लान

दरअसल वर्षों से छिड़ी जंग पर आज मंजूरी मिली है. लेकिन ये बात जितनी सीधी दिख रही है उतनी सीधी है नहीं. गौरतलब है कि 2019 का लोकसभा चुनाव अपने चरम पर है ऐसे में सत्ता पक्ष नहीं चाहेगा कि उसकी कोई भी कमजोरी उसके लिए हार की माला बन जाए. सवर्ण का आरक्षण सरकार के लिए किसी खतरें की घंटी से कम नहीं रहा.

बीते विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार की वजह में सवर्ण आरक्षण आंदोलन भी शामिल था. और फिर दूध का जला तो छाछ को भी फूंक-फूंक कर पीता है. औऱ इसी के चलते तीनों विधानसभा की हार के मद्देनजर लोकसभा चुनाव में सवर्ण को अपने पक्ष में लाने के लिए सरकार ने ये गेम प्लान किया है.

किन शर्तों पर मिल सकेगा आरक्षण

सामान्य वर्ग के गरीब तबके के लोगों के लिए इस बिल को मंजूरी दी गई है. यानि की जिनकी पारिवारिक आय 8 लाख रुपए सालाना से कम है केवल उन्हें ही इसका फायदा मिल सकेगा. बता दें कि मौजूदा आरक्षण कोटा 49.5 से बढ़ाकर 59.5 प्रतिशत होगा. मतलब 10 प्रतिशत आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए होगा.

विपक्ष अब न तो निगल सकता है और न उगल सकता है

साफ है कि सवर्ण आरक्षण मतलब एक तीर से दो निशाने. सत्तारूढ़ सरकार ने एक ऐसा दाव उस समय खेला है. जब विपक्ष इससे पार पाने का कोई रास्ता भी न ढ़ूंढ़ सके. मतलब कि विपक्ष न इसे निगल सकता है औऱ न ही इसे उगलने की जुर्रत कर सकता है. यानि की विपक्ष के लिए यहां खाई वहां कुंआ जैसा स्थिति आन पड़ी है.

अब सरकार के लिए मुश्किल मात्र एक

आरक्षण को मंजूरी तो मिल गई है लेकिन इतनी आसान नहीं है ये राह. सरकार को इस आरक्षण के लिए संविधान में संसोधन करना होगा. बता दें कि जिसके लिए मंगलवार को सरकार संविधान संसोधन बिल संसद में पेश कर सकती है. लेकिन संसोधन इतनी आसान प्रकिया नहीं है. इसमें अन्य दलों की सहमति होना अनिवार्य है. और इस मामले में अच्छी खबर ये ही की आम आदमी पार्टी और एनपीसी ने इसका समर्थन किया है.