TaazaTadka

इन 10 राज्यों में भाजपा के लिए विपक्ष नहीं अपने ही है परेशानी

इस वक्त रोज ऐसी खबरें आती है जब सुनने को मिलता है कि कांग्रेस के नेताओं ने पार्टी छोड़ दी, बसपा का बंटाधार हो गया और आरजेडी में झगड़ा हो रहा है। लेकिन देश में इस वक्त सबसे बड़ी पार्टी भाजपा में भी अब ऐसी कलह होने लगी है। जी हां ये काफी हैरानी की बात लगती है कि जो पार्टी सभी नाराज नेताओं को पनाह दे रही है उसके नाराज नेताओं का क्या है। चलिये जानते हैं कि भाजपा के किन किन राज्यों में ये कलह है और इसका क्या असर हो सकता है।

उत्तरप्रदेश में योगी Vs आलाकमान

कुछ समय पहले हुए पंचायत चुनावों और कोविड महामारी के दौरान हुई मौतों को लेकर उत्तरप्रदेश में सियासी खींचतान शुरु हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के साथ बैठक भी की और माना जाता है कि संघ की दखल के बाद मामला कुछ शांत हुआ है। अगले साल यूपी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री चेहरे के लिए अभी से सवाल उठने लगे हैं। प्रदेश के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक सवाल के जवाब में पत्रकारों से कहा है कि चुनाव जीतने के बाद केंद्रीय नेतृत्व ही मुख्यमंत्री तय करेगा। इससे पहले बीते भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने एटा में दावा किया था कि पार्टी अगला विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ही लड़ेगी।

वहीं उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने पिछले हफ्ते बरेली में कहा था कि राज्य का आगामी विधानसभा चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा, ये पार्टी का संसदीय बोर्ड तय करेगा। जाहिर है यूपी के भाजपा लीडर एक रास्ते पर नहीं चल रहे हैं। इससे पहले कोरोना से कराहते मरीजों को लेकर संतोष गंगवार समेत राज्य के कई भाजपा नेता योगी सरकार के कामकाज पर सवाल उठा चुके हैं। 

राजस्थान में वसुंधरा ही बीजेपी और बीजेपी ही वसुंधरा

राजस्थान भाजपा के अंदर चलने वाली जंग अब जुबानी हो गई है। इससे पहले वहां पोस्टर वार भी देखने को मिला था। यहां सतीश पूनिया और वसुंधरा राजे खेमे के बीच खींचतान चल रही है। भाजपा के पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत और प्रहलाद गुनेल, प्रताप सिंह सिंघवी के साथ पूर्व सांसद बहादुर सिंह कोली ने सार्वजनिक रूप से राजे को राजस्थान में एकमात्र नेता घोषित किया है। अपने बयानों में उन्होंने कहा कि राजस्थान में राजे ही भाजपा हैं और भाजपा ही राजे है।

दरअसल इससे पहले भाजपा के पोस्टर से वसुंधरा राजे की तस्वीर हटा दी गई थी। जिसको लेकर राजे समर्थकों ने मोर्चा खोल दिया है। अब समर्थक कह रहे हैं कि राजस्थान में वसुंधरा का अभी तक कोई विकल्प नहीं है ये राज्य वसुंधरा के बिना अधूरा है। वहीं राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया और राजस्थान में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने कहा है कि पार्टी का संविधान सर्वोपरि है, जिसके लिए हमारे सभी कार्यकर्ता दिन-रात काम करते हैं, कोई भी व्यक्ति पार्टी से बड़ा नहीं है।

बंगाल में हो रही है बड़ी गड़बड़

पश्चिम बंगाल में चुनाव हारने के बाद कई नेता भाजपा का दामन छोड़  TMC में चले गए हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष की इस बात को लेकर आलोचना हो रही है कि उन्होंने टिकट वितरण और चुनाव प्रबंधन में टीएमसी दलबदलुओं को ज्यादा प्रमुखता दी थी। भाजपा के दिग्गज नेताओं में शुमार मुकुल रॉय अपने बेटे शुभ्रांसु के साथ हाल ही में TMC  में दोबारा शामिल हो गए हैं। पश्चिम बंगाल में भाजपा के अंदर जारी घमासान की एक तस्वीर ये भी है कि वहां भाजपा के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय का विरोध शुरू हो गया है।

त्रिपुरा में फैला है असंतोष

त्रिपुरा में सीएम बिपल्व देव से उनकी ही पार्टी के नेता नाखुश हैं। कुछ विधायकों ने दिल्ली पहुंचकर सीएम के खिलाफ आवाज भी उठाई थी उसी का नतीजा रहा कि त्रिपुरा में चल रहे असंतोष को शांत कराने की जिम्मेदारी पार्टी महासचिव बीएल संतोष को सौंपी गई है। पार्टी में बगावत की आशंका के चलते संतोष कुछ दिन पहले त्रिपुरा दौरे पर गए थे और साल 2017 में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए सुदीप रॉय बर्मन त्रिपुरा में मुख्यमंत्री बिप्लब देब को चुनौती दे रहे हैं। वहीं पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी को झटका देने के बाद अब तृणमूल कांग्रेस त्रिपुरा में पार्टी के बागियों को टीएमसी में शामिल करने का प्रयास कर रही है। इसकी जिम्मेदारी हाल ही में भाजपा छोड़कर वापस टीएमसी में आने वाले मुकुल रॉय को दी गई है।

कर्नाटक में येदियुरप्पा को हटाने की मांग

कर्नाटक भाजपा में कलह और मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को हटाने की मांग जोर पकड़ती जा रही है। एमएलसी ए एच विश्वनाथ ने खुलेआम येदियुरप्पा को हटाने की मांग की थी और मुख्यमंत्री के छोटे बेटे बी वाई विजयेंद्र पर भ्रष्टाचार और प्रशासन में दखल देने के आरोप लगाए थे। वहीं येदियुरप्पा के मुख्य विरोधियों में से एक भाजपा विधायक अरविंद बेलाड ने कहा कि उनका विश्वास है कि उनका फोन टैप किया जा रहा है और उनका लगातार पीछा किया जा रहा है। इन सबके बीच राज्य के प्रभारी और महासचिव अरुण सिंह ने मुख्यमंत्री और विधायकों से बातचीत की है। इससे ये साफ होता है कि कर्नाटक भाजपा में भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।

मध्यप्रदेश में लग रही है अटकलें

कुछ दिनों पहले मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भाजपा के सीनियर लीडर प्रभात झा और कैलाश विजयवर्गीय से मुलाकात की और इसके बाद कैलाश विजयवर्गीय की मुलाकात केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल से हुई, फिर मध्यप्रदेश के भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और सुहास भगत ने दिल्ली आकर प्रहलाद पटेल से भेंट की। इसके बाद से राज्य में सियासी गर्मी बढ़ गई है। साल 2018 विधानसभा चुनाव शिवराज के नेतृत्व में लड़ा गया था, जिसमें पार्टी चुनाव हार गई और 15 साल बाद कांग्रेस सत्ता में आई, लेकिन कुछ ही महीनों बाद मार्च 2019 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों ने कांग्रेस की सरकार से हाथ खींच लिया जिससे सरकार गिर गई थी।

बाद एक बार फिर प्रदेश में शिवराज सरकार आई लेकिन इस बार दबाव के साथ आई और दबाव सिंधिया का रहा। हाल ही में हुए दमोह उपचुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। इससे भी शिवराज पर दबाव बना है। आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने शिवराज सरकार की कैबिनेट मीटिंग के बीच में ही नर्मदा घाटी विकास परियोजनाओं में बजट से ज्यादा छूट दिए जाने के प्रस्ताव का विरोध किया था। विरोध इस कदर बढ़ा कि कुछ विधायक नरोत्तम के पाले में, तो वहीं कुछ विधायक शिवराज सिंह की तरफ से बोलने लगे थे। वहीं अब दिल्ली से लेकर भोपाल तक मध्यप्रदेश की राजनीति के दिग्गजों का उठना-बैठना और मिलना-मिलाना जारी है।

उत्तराखंड (Uttarakhand) में बदला जा चुका है मुख्यमंत्री

उत्तराखंड में कलह के बाद ही भारतीय जनता पार्टी में मुख्यमंत्री को बदला है। हाल ही में उत्तराखंड में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच एक दिलचस्प राजनीतिक लड़ाई देखने को मिली है। मौजूदा मुख्यमंत्री ने कुंभ मेले के दौरान फर्जी कोविड-19 परीक्षण घोटाले के लिए त्रिवेंद्र सिंह रावत पर आरोप लगाते हुए कहा है कि ये सब उनके पद संभालने से पहले हुआ था और उन्होंने इसकी जांच के आदेश दिए हैं। वहीं इस मामले पर त्रिवेंद्र सिंह ने पलटवार करते हुए न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंन कहा है कि मैं विशेष एसआईटी के खिलाफ नहीं हूं लेकिन लोगों का अदालत पर अधिक विश्वास है।

गुजरात में सीएम Vs प्रदेश अध्यक्ष

गुजरात में प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटील के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। गुजरात के विधानसभा चुनाव में महज डेढ़ साल का समय बचा है और ऐसे में पार्टी ने चुनावी तैयारी शुरू कर दी है लेकिन रूपाणी बनाम पाटिल के बीच चल रही सियासी खींचतान उसे मुश्किल में डाल सकती है। हाल ही में 19 मई को पीएम मोदी गुजरात दौरे पर आए थे और उन्होंने रूपाणी के साथ ताउते तूफान से प्रभावित राज्य के इलाकों का हवाई सर्वे किया था।

इसके बाद मोदी ने सीआर पाटिल के साथ अलग से बैठक की और इससे रूपाणी को दूर रखा गया था। इससे कहीं न कहीं ये राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की गई कि पाटिल की मोदी तक सीधी राजनीतिक पहुंच है और मोदी का समर्थन भी उन्हें हासिल है। बीते अप्रैल को जब सीआर पाटिल ने रेमेडिसिवर इंजेक्शन के 5 हजार वाइल बांटे थे तो इसे लेकर काफी हंगामा हुआ था। इस बारे में जब सीएम रूपाणी से पूछा गया कि पाटिल के पास इतने सारे वाइल कहां से आए तो उन्होंने कहा कि वे लोग पाटिल से ही पूछें।

असम में भाजपा की मजबूरी बनते जा रहे हैं हेमंत

असम में इस बार भाजपा ने अपने सिटिंग सीएम सर्बानंद सोनोवाल को दूसरा मौका न देकर हेमंत बिस्वा सरमा को मुख्यमंत्री बनाया है। भाजपा के लिए ये निर्णय आसान नहीं था क्योंकि हेमंत कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे और ऐसे में अन्य राज्यों में भी बगावत करने वाले नेताओं के मुखर होने के दरवाजे खुल गए हैं।

हेमंत को सीएम बनाने का फैसला भाजपा के लिए जरूरी और मजबूरी रहा है। अगर पार्टी हेमंत को सीएम नहीं बनाती तो असम में बगावत होने की आशंका होती और अब हेमंत अपने रुतबे से नॉर्थ-ईस्ट में पार्टी का बड़ा चेहरा बन गए है। असम में 2016 के चुनाव प्रचार में PM Narendra Modi ने स्वयं कहा था कि चुनावों के बाद असम में सर्वानंद सोनोवाल के नेतृत्व में सर्वत्र आनंद और स्वर्णमय असम होगा। लेकिन अबकी बार हेंमत बिस्वा सरमा के आगे क्या BJP झुक गई?

बिहार गठबंधन में विरोध

बिहार में जदयू और भाजपा के बीच विरोध दिखने लगा है और हाल ही में भाजपा एमएलसी टुन्ना पांडेय ने नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कहा कि मैं नीतीश कुमार जिंदाबाद नहीं कहूंगा और नीतीश परिस्थितियों के सीएम हैं। टुन्ना ने कहा कि नीतीश हमारे नेता नहीं हैं, हां वो एनडीए का हिस्सा हैं और बिहार के मुख्यमंत्री जरूर हैं। वहीं जदयू प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा है कि जो नीतीश कुमार पर सवाल करेगा उसकी अंगुली काट लेंगे। लेकिन मामला सिर्फ टुन्ना का नही है। चुनाव के वक्त जब चिराग पासवान ने जदयू का विरोध किया तो यही विश्लेषण हुआ कि हनुमान चिराग को भाजपा के प्रभुओं का आशीर्वाद है। नीतीश की सीटें बहुत घट गईं तो यही कहा गया कि भाजपा ने उन्हें छोटा आई बना दिया।