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मुसलमान बच्चे के मंदिर में पानी पीने से कैसे हिंदू धर्म को नुकसान हो गया

मंदिर में पानी पीने की वजह से बच्चे की पिटाई कर देना, कैसा रवैया है। एक 14 साल का लड़का प्यासा था, उसे नल दिखा और पानी पीने के लिए चल दिया। शायद वो 14 साल का आसिफ ये नहीं देख पाया कि जो नल देख वो पानी पीने जा रहा है, वो नल एक मंदिर में है। जिसकी वजह से उसकी पिटाई हो गई, कुछ तथाकथिक हिंदू धर्म के रक्षकों को 14 साल के लड़के का मंदिर में पानी पीना इतना परेशान कर गया कि उन्होंने उस बच्चे की बेरहमी से पिटाई कर दी। वजह सिर्फ उस लड़के का मुसलमान होना और मंदिर में जा कर पानी पीना था।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है वीडियो

अब उस पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। वीडियो में देखा जा सकता है कि एक युवक एक बच्चे से उसका और उसके पिता का नाम पूछता है। बच्चा नाम बताता है जिससे पता चलता है कि वो मुसलमान है। फिर युवक पूछता है कि वो मंदिर में क्या करने आया था। बच्चा कहता है कि वो पानी पीने आया था। इसके बाद युवक उस बच्चे को बेरहमी से पिटने लगता है। उसके बाद कथित तौर पर आरोपी युवक ने ही वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल किया है।

 

पुलिस ने मामला दर्ज किया

वीडियो के वायरल होने के बाद गाजियाबाद पुलिस (Ghaziabad Police) ने घटना का संज्ञान लिया और 2 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इसमें से मुख्य आरोपी शृंगी नंदन यादव है और उसका दूसरा साथी शिवानंद है। पुलिस ने कहा है कि दोनों के खिलाफ शांति भंग करने के इरादे से अपमान, हमला, सार्वजनिक दुराचार वाला बयान के तहत रिपोर्ट दर्ज की गई है। सोशल मीडिया पर लोगों ने जबर्दस्त प्रतिक्रिया दी है। लोगों ने अपने ट्वीट के साथ उस बच्चे से माफी मांगने वाला हैशटैग जोड़ा है। कुछ पत्रकारों ने इस पूरे मामले को अमानवीय करार दिया और लोगों के अंदर बढ़ती जा रही नफरत के बारे में भी कहा। एक आदमी इतनी नफरतों से भरा है कि वो आधारभूत मानवीयता के प्रति भी अंधा है और उसे भगवान के प्रति भी प्रेम नहीं हो सकता।

ये किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं हम

एक प्यासे बच्चे को एक मंदिर में पीने के पानी के लिए शृंगी यादव ने पीटा, क्योंकि उसका नाम आसिफ था। सांप्रदायिक छुआछूत बहुत हद तक उस तरह ही है जिस तरह की जातिगत छुआछूत प्रथा (Caste untouchability), जहां सामुदायिक जल स्रोतों का उपयोग करने के लिए दलितों की पिटाई की जाती है। वहीं अब मुसलमानों के साथ भी किया जा रहा है। वक्त है अब मुसलमानों को एक ऐसे भारत का सपना देखने का जहां पर पानी पाने के लिए मंदिर जाने के लिए पीटे जा रहे एक मुसलिम बच्चे की प्रतिक्रिया में उन सभी के लिए मस्जिदें खोली जाएं जिन्हें पानी या भोजन की जरूरत हो। बिना उनका मजहब देखें। इस नफरत और अंधेरे से लड़ने का और क्या तरीका हो सकता है कोई नहीं जानता है। लेकिन अगर ये इसी तरह से बढ़ता रहा तो एक ना एक दिन इंसान इंसान का दुश्मन जरूर होगा, पहले धर्म, फिर जाति, फिर रंग के आधार पर हम एक दूसरे का कत्लेआम करेंगे।

बता दें कि जिस मंदिर में यह घटना हुई है उसके बाहर लिखा हुआ है कि ये मंदिर हिंदुओं का पवित्र स्थल है, यहां पर मुसलमानों का प्रवेश वर्जित है। नरसिंहानंद सरस्वती की आज्ञा से। आखिर ऐसा हिंदू धर्म में कहां लिखा है कि किसी पवित्र स्थल पर मुसलमानों को आने की इजाजत नहीं दी जाएगी। ये किस तरह का धार्मिक स्थल है। ये किस तरह के धर्म के रक्षक है जो एक इंसान के पानी पीने से इतने आहत हो जाते हैं कि उसकी पिटाई करने लगते हैं।