भारत में लोकसभा के चुनाव प्रचार के दौरान कई मौके ऐसे आए हैं जब प्रचार में सेना और सैनिकों की वर्दी का इस्तेमाल किया गया है। इसी से नाराज कुछ सैन्य अधिकारियों ने अपनी नाराजगी जाहिर की है। करीब 150 पूर्व सैनिकों ने अपनी इस नाराजगी से संबंधित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी लिखने वालों में आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के कई पूर्व प्रमुख भी शामिल हैं।
पूर्व अधिकारियों ने जताई नाराजगी
पूर्व अधिकारियों ने राष्ट्रपति को चिट्ठी में लिखा कि चुनाव के दौरान सेना का लगातार राजनीतिकरण हो रहा है। राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी में कहा गया है कि सेना के द्वारा बॉर्डर पर किए गए ऑपरेशन का राजनीतिक पार्टियां श्रेय ले रही है और यहां तक कि सशस्त्र बलों को ‘मोदी जी की सेना’ भी कहा जा रहा है जो कि पूरी तरह से अस्वीकार्य है। उन्होंने लिखा कि प्रचार के दौरान सेना की वर्दी और भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन की फोटो का इस्तेमाल किया जाना भी ठीक नहीं है। इन पूर्व अधिकारियों और सैनिकों ने ये चिट्ठी राष्ट्रपति के साथ-साथ चुनाव आयोग को भी भेजी है।
आपको बता दें कि हाल ही में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारतीय सेना को ‘मोदी जी की सेना’ कहकर प्रचार में संबोधित किया था। वहीं दूसरी तरफ दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी भी अपनी एक रैली के दौरान सेना की वर्दी में नजर आए थे।
सेना प्रमुखों के दस्तखत है
इस चिट्ठी पर तीन पूर्व आर्मी चीफ सुनिथ फ्रांसिस रॉड्रिग्ज, शंकर रॉयचौधरी, दीपक कपूर के साथ-साथ 4 नेवी चीफ लक्ष्मीनारायण रामदास, विष्णु भागवत, अरुण प्रकाश, सुरेश मेहता और वहीं वायूसेना के भी पूर्व प्रमुख एनसी सूरी के दस्तखत शामिल है।
ये चिट्ठी 11 अप्रैल को सार्वजनिक हुई थी। इस चिट्ठी में राष्ट्रपति से पार्टियों के सेना के राजनीतिक इस्तेमाल को रोकने के लिए कदम उठाने की अपील हुई है। आपको बता दें कि महाराष्ट्र में एक रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पहली बार मतदान करने वाले युवा अपने मत को उन बहादुर लोगों को समर्पित करें जिन्होंने पाकिस्तान के बालाकोट में हवाई हमले को अंजाम दिया। पीएम मोदी के इस बयान पर कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने विरोध किया था।
वहीं चुनाव आयोग ने भी पीएम मोदी के इस बयान पर हरकत की थी। आयोग ने भी महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव आयुक्त से इसके बारे में रिपोर्ट मांगी है। वहीं अब सेना के इन पूर्व अधिकारयों ने तत्काल प्रभाव से राजनीतिक दलों द्वारा सेना, सेना की वर्दी और चिन्ह का प्रयोग करने पर रोक लगाने के लिए राष्ट्रपति से निवेदन किया है।