कांग्रेस के सितारें इस वक्त काफी खराब चल रहे हैं, और हर तरफ से सिर्फ बुरी खबर ही आ रही है। साल 2014 से केंद्र से दूर बैठी कांग्रेस अब धीरे-धीरे अपना दम तोड़ती जा रही है। कांग्रेस पार्टी पहले साल 2014 का लोकसभा चुनाव बुरी तरह से हारी फिर साल 2019 का लोकसभा चुनाव भी वो बुरी तरह से ही हार गई। इस बीच कई राज्यों में भी उसकी हालत खराब हो गई। हालांकि पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड में सरकार बनी।
मध्य प्रदेश में सत्ता भी हाथ से गई और एक बड़ा चेहरा भी हाथ से निकल गया। ऐसा ही कुछ राजस्थान में भी होने लगी थी, लेकिन किसी रह सचिन पायलट को रोक लिया। वहीं महाराष्ट्र में भी कांग्रेस का चुनाव में प्रदर्शन संतोषजनक ही रहा और उसका गठबंधन चुनाव में बहुमत पाने में नाकाम रहा। वो तो भला हो शिवसेना का जो भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिल गई।
यूपी वगैरह तो छोड़ ही दो
वहीं अगर बात करें यूपी वगैरह की तो वहां कांग्रेस अभी भी संगठन ही तैयार करने पर ध्यान दे रही है। लेकिन सबसे ताजा मामला बिहार में कांग्रेस की हार का है। अब तो कांग्रेस के नेता भी मानने लगे हैं कि बिहार में उसका प्रदर्शन कमजोर रहा इसीलिए उनका गठबंधन बहुमत के आंकड़े से दूर रह गया। कांग्रेस इससे पहले कि अपने हार का मंथन करती उसके पहले ही बिहार से उसके लिए एक और बुरी खबर आ गई है। कांग्रेस पार्टी में अपने ही सदस्यों में तनातनी बनी हुई है और खबर है कि बिहार में कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायकों के बीच जमकर मारपीट हुई है।
मारपीट करने लगे विधायक
विधायकों के बीच पहली ही बैठक में खूब हंगामा हो गया है। कांग्रेस पार्टी ने बिहार में 70 उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था जिसमें उम्मीदवार ही जीतकर 19 विधायक बनें हैं। कांग्रेस पार्टी ने नवनिर्वाचित विधायकों की पहली बैठक बुलाई थी जिसमें विधायक दल का नेता चुना जाना था और इस पहली ही बैठक में कांग्रेस पार्टी के नवनिर्वाचित 19 विधायक अपना आपा खो बैठे।
महाराजगंज के विधायक विजय शंकर दूबे और बिक्रम के विधायक सिद्धार्थ के बीच विधायक दल नेता बनने को लेकर बैठक में ही तीखी बहस शुरू हो गई। जिसमें विजय शंकर को अपशब्द बोल दिया और इसके बाद दोनों ही विधायकों के समर्थकों के बीच में हाथापाई हो गई और हालात इतने खराब हो गए कि बैठक की जगह किसी कुश्ती के मैदान ने ले ली।
हंगामे के बीच वहां कांग्रेस के बड़े नेता अविनाश पांडे और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी मौजूद थे। इतने बड़े नेताओं के बीच कांग्रेस के नए 19 विधायक का झगड़ जाना कांग्रेस के लिए शुभ संकेत नहीं है। कांग्रेस पार्टी को अब चुनाव लड़ने, जीतने या हारने से ज्यादा अपने सदस्यों पर ध्यान देने की जरूरत है। ये कांग्रेस पार्टी के नेता, कार्यकर्ताओं की ही कमी है कि बिहार में नीतीश के खिलाफ लहर होने के बावजूद भी वो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी और इसका फायदा भाजपा को मिल गया।
संगठन पर खास ध्यान देने की जरूरत
कांग्रेस पार्टी को संगठन पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि आखिर ऐसी कौन कौन सी वजहे हैं जिससे पार्टी का संगठन एक होकर एक साथ काम नहीं कर पा रहा है। संगठन में एकता बनाए बगैर कांग्रेस किसी भी चुनाव में जाएगी तो उसकी हालत ऐसी ही होगी। कांग्रेस पार्टी के संगठन में एकता न होने के ही कारण मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में अपने विधायकों को खो दे रही है। अब कांग्रेस को अपने इस सबसे बड़ी चूक पर ध्यान देने की जरूरत है।