यश चोपड़ा की सबसे लोकप्रिय फिल्मों से एक है कभी कभी। यह फिल्म 27 फरवरी, 1976 को रिलीज हुई थी। यह फिल्म अमिताभ बच्चन की वजह से भी जानी जाती है। अमिताभ बच्चन उस वक्त एंग्री यंग मैन के तौर पर जाने जा रहे थे। उस वक्त वे तेजी से सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहे थे। अमिताभ बच्चन की भूमिका इस फिल्म में ताजगी से भर देने वाली है।
शशि कपूर, राखी, सिमी ग्रेवाल, वाहिदा रहमान, ऋषि कपूर और नीतू सिंह भी इस फिल्म में दिखी थीं। निर्देशक के तौर पर अमिताभ और शशि कपूर के साथ यश चोपड़ा की यह दूसरी फिल्म थी। इससे पहले 1975 में उन्होंने इन दोनों को साथ लेकर दीवार फिल्म का निर्देशन किया था।
कभी कभी फिल्म बनाने का आइडिया यश चोपड़ा को दरअसल उनकी पत्नी पामेला चोपड़ा ने दिया था। जी हां, उनके दिमाग में यह बात सुधीर लुधियानवी की किताब ‘कभी-कभी’ पढ़ने के दौरान आई थी। यश चोपड़ा ने फिर इस फिल्म की कहानी को आकार देने में बड़ा मेहनत की थी। उन्होंने संगीत के साथ गाने के बोल पर भी काम किया। इसके अलावा डाॅयलाॅग्स और रोमांस की भी रूपरेखा बेहतरीन तरीके से खींची।
फिल्म में सितारों की लंबी लाइन लगी थी। सागर सरहदी ने इसे लिखा था। रोमांस को एकदम नये तरीके से यह फिल्म सामने लेकर आई थी। जरा फिल्म में अमिताभ बच्चन की इस लाइन को देखें। ‘हमें कोई हक नहीं पहुंचता कि हम अपनी खुशी के लिए अपने मां-बाप के अरमानों का गला घोंट दें।’ इसी तरह से एक और डायलाॅग देखिए। ‘दाग मैंने दामन पर नहीं, दिल पर लिया है। और ये सब करने के लिए बड़ी हिम्मत और हौंसले की जरूरत है।’
फिल्म कभी कभी रिलीज होने जा रही थी। तभी यश चोपड़ा के दिमाग में कुछ आया। नाम उन्होंने बदलने का सोचा। जी हां, अंग्रेजी में नाम की स्पेलिंग में उन्होंने बदलाव किया। दरअसल अंग्रेजी में फिल्म का नाम Kabhi Kabhi लिखा जा रहा था। फिर यश चोपड़ा ने दोबारा आने वाले कभी के अंत में ‘E’ जोड़ दिया। इस तरह से फिल्म का नाम अंग्रेजी में बदलकर Kabhi Kabhi से Kabhi Kabhie हो गया।
इस फिल्म को मिलाकर अमिताभ और शशि कपूर ने साथ में लगातार पांच फिल्में की थी। जी हां, ये फिल्में थीं- दीवार, कभी कभी, त्रिशूल, काला पत्थर और सिलसिला। फिल्म में आपने ऋषि कपूर के अपोजिट नीतू सिंह को देखा है। लेकिन नीतू सिंह की जगह इस फिल्म में परवीन बाबी होतीं। दरअसल यश चोपड़ा की पहली पसंद वही थीं। वैसे, यश चोपड़ा ने इस फिल्म से एक जोड़ी तो बना ही दी। इसी फिल्म में साथ काम करते ऋषि कपूर और नीतू सिंह में प्यार हो गया। बाद में दोनों ने शादी करके घर भी बसा लिया।
गुलशन राय असल में इस फिल्म को प्रोड्यूस करने वाले थे। हालांकि, बाद में उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि यह फिल्म नहीं चलने वाली। गुलशन गलत साबित हुए। फिल्म ने बाॅक्स आफिस पर सारे रिकाॅर्ड तोड़ डाले थे।
राखी को दिमाग में रखकर फिल्म की कहानी लिखी गई थी। उस वक्त वे दाग (1973) की शूटिंग में व्यस्त थीं। राखी राजी भी हो गई थीं। फिल्म का प्रोडक्शन शुरू होने से पहले उन्होंने गुलजार से शादी कर ली थी। गुलजार चाहते थे कि राखी फिल्मों में काम करना बंद कर दें। फिर काफी मनाने के बाद गुलजार ने राखी को इस फिल्म में काम करने दिया था।
कश्मीर में इस फिल्म की शूटिंग चल रही थी। इसी दौरान यश चोपड़ा ने अपने 5 साल के बेटे आदित्य चोपड़ा में एक चीज नोटिस की। उन्होंने देखा कि फिल्म निर्माण में वे रुचि ले रहे थे।
कभी कभी मेरे दिल में गाना बड़ा ही लोकप्रिय हुआ था। इसे देखते हुए कई म्यूजिक डायरेक्टर्स ने अपने-अपने तरीके से गाने को कंपो किया था। इनमें से कव्वाली वाला गाना बड़ा पसंद किया गया था।
यश चोपड़ा की सर्वश्रेष्ठ फिल्म कभी कभी मानी जाती है। कहानी से लेकर इसके डायलाॅग्स और गाने तक ताजगी से भर देने वाले हैं।