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मैं बिहार हूं, पल-पल बदलती राजनीति का दशकों से गवाह हूं मैं

मैं बिहार हूं। वर्ष 1969 में मैंने फिर से बदलाव देखा। कांग्रेस की वापसी हो गई। मुख्यमंत्री पद की भोला पासवान शास्त्री ने शपथ ली। यह सरकार 95 दिन चली।
Information Anupam Kumari 27 October 2020
मैं बिहार हूं, पल-पल बदलती राजनीति का दशकों से गवाह हूं मैं

मैं बिहार हूं, पूरे देश की राजनीति मेरी राजनीति के इर्द-गिर्द ही घूमती है। मैंने बहुत से राजनीतिक बदलाव देखे हैं। मैंने 1975 के आपातकाल के दौरान जेपी आंदोलन देखा है। बीपी मंडल की पिछड़ा आयोग के अध्यक्ष के तौर पर उनकी सिफारिशें देखी हैं। मैंने 24 मुख्यमंत्री देखे हैं। 5 बार राष्ट्रपति शासन भी मैंने देखा है।

मैं बिहार हूं, वही बिहार, जिसके पहले मुख्यमंत्री डॉ श्रीकृष्ण सिंह थे। 31 जनवरी, 1961 तक वे मेरे मुख्यमंत्री रहे थे। डॉ श्रीकृष्ण सिंह नहीं रहे तो विनोदानंद झा मेरे मुख्यमंत्री बने। वे कांग्रेस के थे। 1962 में  चुनाव हुए थे। तब कांग्रेस का दबदबा था। 318 में से 185 सीटें उसने जीती थी।

1963 से 1968 का दौर

विनोदानंद झा नहीं रहे तो केबी सहाय 2 अक्टूबर, 1963 को मेरे मुख्यमंत्री बन गए। 5 मार्च, 1967 तक उन्होंने मुख्यमंत्री पद संभाला था। मेरे यहां 1967 में बड़ा बदलाव हुआ। इस बार कांग्रेस के मुख्यमंत्री नहीं बने। महामाया प्रसाद ने मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली। यह संयुक्त विधायक दल की सरकार थी। संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के साथ भारतीय क्रांति दल, जनसंघ, भाकपा और प्रज्ञा सोशलिस्ट पार्टी इसका हिस्सा थी। वर्ष 1968 में फिर बदलाव हुआ। सतीश प्रसाद सिंह मेरे 5 दिन के लिए मुख्यमंत्री बने थे। बीपी मंडल मेरे मुख्यमंत्री 47 दिनों के लिए बने। वे शोषित दल के थे।

1969 में जो हुआ

मैं बिहार हूं, वर्ष 1969 में मैंने फिर से बदलाव देखा। कांग्रेस की वापसी हो गई। मुख्यमंत्री पद की भोला पासवान शास्त्री ने शपथ ली। यह सरकार 95 दिन चली। फिर आ गया मेरे यहां राष्ट्रपति शासन।

गिरी कर्पूरी ठाकुर की सरकार

हरिहर प्रसाद सिंह 1969 की फरवरी में मुख्यमंत्री बन गए। वे कांग्रेस के थे। एक बार फिर से 22 जून को संयुक्त विधायक दल की सरकार बन गई। भोला पासवान शास्त्री मुख्यमंत्री बने। फिर 6 जुलाई को राष्ट्रपति शासन लग गया। यह 1970 में 16 फरवरी तक जारी रहा। संयुक्त विधायक दल के कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री बने। 5 महीने में सरकार गिरने के बाद भोला पासवान शास्त्री फिर मुख्यमंत्री बने। 6 महीने बाद यह सरकार भी गिरी तो राष्ट्रपति शासन 9 जनवरी, 1972 को फिर लग गया।

डॉ जगन्नाथ मिश्रा का आगमन

मैं बिहार हूं, 1972 के चुनाव में कांग्रेस (आई) को 318 में से 167 सीटों पर जीत मिल गई। केदार पांडे 9 मार्च को मुख्यमंत्री बने। 1973 में फिर बदलाव हुआ। जुलाई में अब्दुल गफूर ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। फिर डॉ जगन्नाथ मिश्रा 1975 में मेरे मुख्यमंत्री बन गए। आपातकाल से कुछ समय पहले उन्हें यह जिम्मेवारी मिली थी।

बिहार आंदोलन

भ्रष्टाचार के खिलाफ 1974 में बिहार आंदोलन शुरू हुआ था। बिहार के छात्रों ने इसे शुरू किया था। देश में आपातकाल 25 जून, 1975 को लगा दिया गया था। यह 1977 में 21 मार्च तक चला था।

कांग्रेस की प्रचंड हार

फिर मैंने देखा 1977 का चुनाव। कांग्रेस बुरी तरह से धराशाई हुई। 324 में से उसे केवल 57 सीटें मिली। जनता पार्टी 211 सीटें जीत गई। कर्पूरी ठाकुर 24 जून, 1977 को मुख्यमंत्री बन गए। फिर 1979 में 19 अप्रैल को इनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आ गया। 30 वोटों से सरकार इनकी गिर गई।

राज्य सरकार की बर्खास्तगी

कांग्रेस की सरकार केंद्र में 1980 में बनी। उसने बिहार सरकार को बर्खास्त कर दिया। और भी कई राज्यों की सरकार उसने बर्खास्त की थी। 1980 में फिर चुनाव हुए। 334 में से 169 सीटें कांग्रेस ने जीत ली। भाजपा ने पहली बार चुनाव लड़ा था। उसने भी 21 सीटें जीती थी।

मुख्यमंत्री बने सत्येंद्र सिन्हा

डॉ जगन्नाथ मिश्र ने 8 जून को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। 1983 में 14 अगस्त को चंद्रशेखर सिंह नए मुख्यमंत्री बना दिए गए। 1985 में मैंने फिर बदलाव देखा। बिंदेश्वरी दुबे मेरे मुख्यमंत्री बने। फिर 1988 में भागवत झा मेरे मुख्यमंत्री बन गए। 1989 के मार्च में सत्येंद्र सिन्हा मुख्यमंत्री बना दिए गए। इसी साल दिसंबर में जगन्नाथ मिश्रा फिर से मुख्यमंत्री बन गए।

लालू यादव का उदय

मैं बिहार हूं,1990 के चुनाव का हाल बताता हूं। जनता दल को 122 सीटें मिली थी। मार्च में चुनाव हुआ था। लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री बन गए थे। इसके बाद 1995 का चुनाव हुआ। माकपा और झामुमो (एस) जनता दल के साथ आ गए थे। 205 सीटें इस गठबंधन को मिली थीं  लालू यादव दोबारा मुख्यमंत्री बने थे।

राबड़ी देवी को मौका

फिर आया जुलाई, 1997, जब तक लालू यादव का नाम चारा घोटाले में आ चुका था। वे जनता दल से अलग हो गए। राष्ट्रीय जनता दल नामक नई पार्टी उन्होंने बना ली। लालू यादव को 1997 में 25 जुलाई को त्यागपत्र देना पड़ा। अपनी पत्नी राबड़ी देवी को उन्होंने मुख्यमंत्री बना दिया। 6 मार्च, 2005 तक उन्होंने ही मुख्यमंत्री का पद संभाला।

वो बड़ा बदलाव

मैं बिहार हूं,अक्टूबर, 2005 में मैंने सबसे बड़ा बदलाव देखा। जदयू-भाजपा गठबंधन ने 143 सीटों पर जीत दर्ज की। पहली बार नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बन गए। 2010 में 206 सीटें भाजपा जदयू गठबंधन को मिली। नीतीश कुमार दोबारा मुख्यमंत्री बन गए।

जीतन राम मांझी की चांदी

वर्ष 2014 में भाजपा से जदयू अलग हुई थी। जेडीयू के जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री बने थे। वर्ष 2015 में जेडीयू, कांग्रेस और राजद ने मिलकर महागंठबंधन के रूप में चुनाव लड़ा। जीत भी गए। नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बने।

अबकी क्या?

वर्ष 2017 में महागठबंधन से जेडीयू अलग हुई। जुलाई में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने। भाजपा से उन्हें समर्थन मिला था। इस बार के चुनाव में क्या होता है, कुछ ही दिनों में पता चल ही जाएगा। मैं बिहार हूं। राजनीति में बड़े बदलावों का मैं हमेशा से साक्षी रहा हूं।

Anupam Kumari

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मेरी कलम ही मेरी पहचान