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1977 कांग्रेस का वो बजट, जिसे सुनकर पता ही नहीं चला कि कब शुरू हुआ और कब खत्म

Information Anupam Kumari 18 February 2021
1977 कांग्रेस का वो बजट, जिसे पता ही नहीं चला कि कब शुरू हुआ और कब खत्म

भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों में से एक है। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में भी यह गिना जा रहा है। भारत की ओर पूरी दुनिया आज देख रही है। भारत तेजी से प्रगति के पथ पर अग्रसर है। भारत के विकास में हर किसी का योगदान है। चाहे वे राजनेता हों, उद्योगपति हों या फिर देश की आम जनता।

देश की राजनीति भी देश की दिशा बहुत हद तक निर्धारित करती है। भारत में अब तक कई दलों की सरकार बन चुकी है। देश में कई प्रधानमंत्री हुए हैं। बहुत से मंत्री हुए हैं। बहुत से वित्त मंत्री भी हुए हैं। देश में बहुतों बार बजट पेश किए जा चुके हैं। जब बजट पेश किया जाता है, तो आम जनता की उम्मीदें वित्त मंत्री से बंधी रहती हैं। वह वित्त मंत्री का भाषण  सुनना चाहती है।

वित्त मंत्री ने दिया सिर्फ 6 मिनट का भाषण

इसी तरह एक बार वित्त मंत्री का भाषण सुनने लोग टीवी के सामने बैठे थे। यह स्पीच सिर्फ 6 मिनट में खत्म हो गई थी। यही नहीं, एक बार तो वित्त मंत्री का भाषण करीब पौने 3 घंटे तक चला था। इस तरह से एक सबसे छोटा बजट भाषण रहा, जबकि दूसरा सबसे लंबा बजट भाषण।

जनता पार्टी की सरकार में

यह 1977 का वक्त था। इमरजेंसी खत्म हुई थी। लोकसभा चुनाव हुए थे। पहली बार कांग्रेस सत्ता से बेदखल हुई थी इंदिरा गांधी बुरी तरीके से हारी थीं। जनता पार्टी की सरकार बनी थी। मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने थे। यह 23 मार्च, 1977 का दिन था। देसाई सरकार ने काम करना शुरू किया था।

देसाई सरकार के सामने थी बड़ी चुनौती

उनके सामने एक बड़ी चुनौती थी। यह चुनौती बजट पेश करने की थी। नया वित्त वर्ष 1 अप्रैल से शुरू होने वाला था। केवल 9 दिन ही बचे थे। बजट पेश करने की तारीख तय हो गई। 28 मार्च 1977 को बजट पेश होना था। वित्त मंत्री हीरूभाई एम पटेल थे। बनासकांठा से वे सांसद थे। बड़े जिम्मेवार व्यक्ति थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल के साथ भी उन्हें काम करने का अनुभव था। पटेल देश के पहले गृहमंत्री थे।

रह चुके थे वित्त विभाग में सचिव

वित्त विभाग उनके लिए नया नहीं था। इससे पहले वे इसके सचिव रह चुके थे। दरअसल हरिदास मूंधरा स्कैंडल में उनका नाम आया था। इसी वजह से पद छोड़ना पड़ा था। हरिदास मूंधरा कोलकाता का एक व्यवसायी था। दिवालिया होने वाला था। ऐसे में एलआईसी में अपनी कंपनियों का पैसा उसने लगा दिया था। सरकारी रसूख का इसके लिए उसने खूब इस्तेमाल किया था।

फिरोज गांधी को चल गया मालूम

फिरोज गांधी रायबरेली से सांसद थे। जवाहरलाल नेहरु के वे दामाद थे। उन्हें इसका पता चल गया था। संसद में जमकर हंगामा हुआ था। इसकी जांच जस्टिस छागला ने की थी। वित्त सचिव एचएम पटेल और टीटी कृष्णामचारी की ओर उंगली उठी थी। कृष्णामचारी ने त्यागपत्र दे दिया था। मूंधड़ा हिरासत में ले लिया गया था।

आजाद भारत का सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला

यह बहुत बड़ा आर्थिक घोटाला था। आजाद भारत का पहला वित्तीय घोटाला भी इसे कहते हैं। दूसरी जांच में एचएम पटेल आरोप मुक्त कर दिए गए थे। फिर भी उन्हें पद छोड़ना पड़ा था। इसके बाद उन्होंने राजनीति का रुख कर लिया। देसाई सरकार में वे बजट पेश करने जा रहे थे।

सिर्फ 800 शब्दों का बजट भाषण

पटेल ने बजट भाषण शुरू किया। यह भाषण सिर्फ 6 मिनट का था। केवल 800 शब्द उन्होंने कहे थे। साल भर का आय और व्यय का ब्यौरा दे दिया था। एक वजह भी उन्होंने इसकी बताई थी। उन्होंने कहा था कि समय ही नहीं था बजट तैयार करने का।

एक राजनीतिक कारण भी था। खिचड़ी वाली सरकार बनी थी। अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराओं वाले दल साथ हुए थे। समाजवादी संरक्षणवाद का समर्थन करते थे। खुले बाजार के पक्ष में स्वतंत्र पार्टी थी। बजट पर अपनी छाप जनता पार्टी देखना चाह रही थी। देसाई को कोई रास्ता नहीं सूझा। ऐसे में उन्होंने सिर्फ खर्च का ब्यौरा दिलवा दिया। कोई घोषणा नहीं की। कोई नया स्कीम नहीं लाए। इस तरह से किसी के हिसाब से बजट नहीं रहा।

सबसे लंबा और बड़ा बजट

यह देश के इतिहास का सबसे छोटा बजट रहा। कुछ दिन पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया। उनका भाषण 2 घंटे 40 मिनट तक चला। सबसे लंबी अवधि वाला यह बजट बन गया। हालांकि, रिकॉर्ड मनमोहन सिंह के नाम पर है। शब्दों के आधार पर उनका रिकॉर्ड है।

पीवी नरसिंह राव की सरकार में मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे। पहला बजट उन्होंने पेश किया था। यह तारीख 24 जुलाई, 1991 की थी। बजट दस्तावेज 18 हजार 650 शब्दों का था। दुनिया के लिए देश के बाजार को पहली बार खोल दिया गया था। लिबरलाइजेशन, प्राइवेटाइजेशन एंड ग्लोबलाइजेशन की नींव रख दी गई थी। देश की दिशा बदलने वाला यह बजट साबित हुआ था।

Anupam Kumari

Anupam Kumari

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