साल 2010 का वक्त था और आज 11 साल बाद बहुत कुछ बदल गया है। सरकारें बदल गई, देश की राजनीति ही बदल गई है। लेकिन जो नहीं बदला है वो पेट्रोल-डीजल के दाम है। साल 2010 में भी तेल के दाम आसमान छू रहे थे। और आज तो वो सारे रिकॉर्ड ही तोड़ चुके हैं। हालांकि 2010 में अंतरराष्ट्रीय बाजार का हाल बहुत खराब था, लेकिन आज भी कोविड-19 की समस्या है। जिस हिसाब से पेट्रोल के दाम बढ़ रहे हैं पूरा देश केंद्र सरकार से आस लगाए बैठा है। हर कोई जानना चाहता है कि ऐसे वक्त में जब महंगाई अपने चरम पर है तो सरकार क्या करने वाली है? ऐसे में 2010 की मनमोहन सिंह सरकार और आज की मोदी सरकार में इस महंगाई से जुड़े कदमों में क्या फर्क है।
मनमोहन सिंह का बोलना और मोदी का चुप रहना
साल 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पेट्रोल-डीजल के दामों पर कुलकर अपनी बात रकी थी। डॉक्टर मनमोहन सिंह ने साफ कहा था कि न तो पेट्रोल की कीमतें कम होंगी और आगे बढ़ने की भी संभावना है। वहीं हर बात पर अपनी खुलकर राय रखने वाले नरेंद्र मोदी चुप्पी साधे हुए हैं और सोशल मीडिया पर जनता की आलोचना का सामना कर रहे हैं।
गायब हो चुका है विपक्ष
साल 2010 में जिस वक्त पेट्रोल-डीजल आम आदमी को रुला रहा था उस समय विपक्ष ने सरकार से खूब बात की थी। लेकिन आज ऐसा नहीं हो रहा है। इतना ही नहीं विपक्ष की तरफ से जैसा आंदोलन 2010 में किया गया था, उसका 10 फीसदी भी आज विपक्ष नहीं कर रहा है। पेट्रोल की बढ़ी हुई कीमतें आम आदमी का मसला है। लेकिन विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच में इस मामले में कोई बात नहीं हो रही है, दोनो दी चुनाव प्रचार में व्यस्त है। अब तो लगता है कहीं न कहीं लोग भी इस बात को मान चुके हैं कि कीमतों का घटना बढ़ना सरकार के हाथ में नहीं है और ये उससे कहीं ऊपर की चीज है।
मनमोहन सिंह ने उम्मीद की किरण दिखाई थी
हालांकि दोनों ही सरकारों ने पेट्रोल-डीजल के दामों के लिए कुछ किया नहीं है, लेकिन जिस तरह मनमोहन सिंह ने अलग अलग चीजों को लेकर पहल की देश को लगा कि पेट्रोल की कीमतों का कुछ निदान ही रहा है और सरकार इस दिशा में कुछ बड़ा करने वाली है। और वहीं जब हम प्रधानमंत्री मोदी की बात करते हैं तो भले ही पेट्रोल महंगा हो रहा हो लेकिन जैसा उनका रवैया है उससे किसी को भी राहत की उम्मीद नहीं है, बल्कि जनता को अब लगने लगा है कि उन्हें इस बात की कोई परवाह भी नहीं है।
जिस गति से पेट्रोल-डीजल-सीएनजी-एलपीजी के दाम बढ़ रहे हैं, इससे साफ दिख रहा है कि आने वाले दिन बहुत ज्यादा कठिन होने वाले हैं। क्योंकि ना तो सरकार इस मामले पर गंभीर नजर आ रही है और विपक्ष को तो मानो सांप सूंघ गया है। विपक्ष अपने आराम को छोड़ कर सड़क पर उतरने की हिम्मत नहीं कर रहा है और यहां सरकार अपने कान बंद कर बैठी हुई है। लेकिन इस वक्त जो सबसे ज्यादा पिस रहा है वो सिर्फ आम आदमी ही है।