साल 2014 के बाद से भारतीय जनता पार्टी ने ग्रोथ ही ग्रोथ देखी है। भाजपा की तरफ से हमेशा कोशिश होती है कि कांग्रेस खासकर राहुल गांधी की खराब छवि पेश की जाए, ताकि ज्यादातर राज्यों में कांग्रेस को साफ किया जाए। लेकिन कुछ समय से भाजपा का टारगेट बदल गया है। अब भारतीय जनता पार्टी नए युवा नेताओं पर हमला कर रही है। इस वक्त की बात करें तो भाजपा के निशानें पर आरजेडी के तेजस्वी यादव और शिवसेना के आदित्य ठाकरे हैं।
बिहार में भले ही विधानसभा चुनाव की तैयारियां हो रही हैं, लेकिन असल में भाजपा भविष्य की राजनीति को ध्यान में रखकर अपना प्लान बना रही हैं। अगर साल 2019 के आम चुनाव को छोड़ दें तो उसके बाद से अब तक जितने भी विधानसभा चुनाव हुए हैं भाजपा के लिए खराब ही रहे हैं। बड़ी मुश्किल से भाजपा ने गठबंधन कर सरकार बना ली। लेकिन महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली तो हाथ से निकल गए। किसी तरह मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के जरिये भाजपा सरकार बना पाई है।
महाराष्ट्र में आदित्य ठाकरे
वहीं बिहार और महाराष्ट्र में भाजपा को कुछ ऐसे साथी मिल गये हैं जिनकी मदद से पार्टी भविष्य के कांटे साफ कर लेना चाहती है। जैसे बिहार में नीतीश कुमार और महाराष्ट्र में नारायण राणे और उनके बेटे नितेश राणे। ये सभी अपना अस्तित्व बनाये रखने के लिए भाजपा की मदद में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे का कांग्रेस के साथ जा कर सरकार बनाना शायद ही अमित शाह पचा सके होंगे।
ऐसे में भाजपा के लिए सबसे बड़ा निशाना उद्धव ठाकरे नहीं बल्कि आदित्य ठाकरे होंगे। क्योंकि मातोश्री की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी तो आदित्य ठाकरे पर ही है। आखिर इसी कारण तो वो मातोश्री से बाहर निकल कर कोई भी चुनाव लड़ने वाले ठाकरे परिवार के पहले सदस्य बने हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद उद्धव ठाकरे ने आदित्य ठाकरे को भी कैबिनेट साथी बना लिया और ऐसा करके उद्धव ठाकरे ने बड़ी गलती ये कर दी कि बेटे को राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर ला दिया।
बिहार में तेजस्वी
महाराष्ट्र की तरह ही बिहार में भी भारतीय जनता पार्टी के पास नीतीश कुमार के रूप में ऐसा हथियार है जो तेजस्वी की राजनीति के साथ-साथ आरजेडी को भी खत्म करने में लगा हुआ है। अब तक नीतीश कुमार, लालू यादव के समधी चंद्रिका राय सहित आरजेडी के दर्जन भर नेताओं को जेडीयू में शामिल करा चुके है। पुराने साथी जीतनराम माझी भी महागठबंधन का साथ छोड़ कर नीतीश कुमार की तरफ ही बढ़ने लगे हैं।
वहीं लालू प्रसाद के वारिस तेजस्वी यादव के खिलाफ नीतीश कुमार, चंद्रिका राय की बेटी ऐश्वर्या और लालू यादव के बेटे तेज प्रताप का तलाक का मुकदमा भुना रहे हैं। जैसे नीतीश कुमार, लालू यादव के रिश्तेदारों का उनके खिलाफ राजनीतिक इस्तेमाल कर रहे हैं, भाजपा वैसे ही जेडीयू नेता का उपयोग कर रही है। भाजपा भविष्य देख रही है और अभी तक नीतीश कुमार का विकल्प तेजस्वी ही नजर आ रहे हैं। जिस वजह से भाजपा तेजस्वी का राजनीतिक करियर खत्म करने की कोशिश में लगी है।