राजनीति एक गंदा नाला है, इसे साफ करने की जिम्मेदारी कौन ले, बल्कि जो इसमें कूदा वो खुद दोगला, मतलबी होकर निकला है। ये कुछ ऐसे शब्द है जो आज कि राजनीति को एक दम सही मायने में दर्शाते हैं। ढाई साल की एक बच्ची जिसे वो बुरी मौत मिलती है, जिसकी वो शायद हकदार भी नहीं थी, इस मौत की वजह मात्र 10 हजार रुपये थी। ट्विंकल शर्मा की मौत के बारे में जिसने भी सुना या पढ़ा उसकी रूंह कांप गई क्योंकि एक मासूम बच्ची के साथ इतनी क्रूरता कोई कैसे कर सकता है। पोटली में लिपटा गला हुआ, हाथ अलग, आंखें नोंच ली गईं प्राइवेट पार्ट्स नदारद थे। तेजाब में नहलाया हुआ शरीर।
कई लोगों ने इस पर अपना गुस्सा निकाला किसी ने कहा कि हम शर्मिंदा है तो किसी ने इन लोगों के लिए फांसी की सजा की मांग कर डाली। लेकिन हमारे देश के प्रधानसेवक नरेंद्र मोदी का 56 इंच का सीना खामोश है। उनका विदेशी दौरों का सिलसिला जारी है, जबकि यहां पर पूरा देश उनसे उम्मीदें लगाए बैठा है। उन्होंने ट्विटर पर ही कई लोगों को याद कर लिया, मंदिर दर्शन की तस्वीरें डाल दी, श्रीलंका घूम आए, मालदीव के लिए निकल लिए, टीम इंडिया को विश्व कप के लिए बधाई दे दी है। लेकिन इस बच्ची के लिए ट्विटर पर एक शब्द नहीं निकला है।
वहीं केरल की जनता से रूबरू होने के लिए पीएम साहेब बड़े उत्सुक थे, लेकिन अलीगढ़ जाकर इस बच्ची के परिवार के सिर पर हाथ रखने में कोई उत्सुकता नहीं थी। क्योंकि शायद अभी चुनाव में वक्त है। और बीजेपी के स्टार प्रचारक अभी थोड़ी ना कहीं जाएंगे नए नए चुने हैं, विदेश यात्रा कर लें पहले फिर कुछ सोचेंगे।
वहीं दूसरी तरफ एक और बीजेपी के स्टार प्रचारक हैं, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। एक कट्टर हिंदू छवि, जिनका पुराना इतिहास मुसलमानों के लिए अच्छा नहीं रहा है। लेकिन इस मामले में उनकी जुबान भी खामोश है। लखनऊ से अलीगढ़ तक का सफर सीएम साहब से भी तय नहीं किया गया है।
यहां तो वो ढाई साल की बच्ची भी हिंदू, आरोपी भी मुसलमान कम से कम हिंदू-मुसलमान का एंगल ही देने के लिए चले जाते और कुछ शब्द बोल देते।
हां लेकिन आप न्यूज पर पूरी नजर रखते हैं, क्योंकि जिन पत्रकारों ने आपके खिलाफ लिखा और बोला है उन्हें जेल डाल दिया है। तो इस बच्ची के आरोपियों के खिलाफ भी कुछ बोल दो। इस वक्त तो आलम ये है कि चाहे आप जहर ही घोल दो लेकिन कुछ तो बोल दो।
एक और तबका है जिसकी खामोशी परेशान करती है, क्योंकि वो कुछ वक्त पहले शर्मिंदा होने की बात कहता था। वो है हमारे देश के सेक्युलर और लिबरल स्टार्स का। ये लोग जो एक वक्त पहले तख्तियां लहरा रहे थे, वो आज चुप है।
इतने दिनों में बॉलीवुड के बहुत कम ही लोगों ने अपना गुस्सा दिखाया, लेकिन जो ये अति सेक्युलर बनने वाले हैं, वो कहीं खो से गए हैं। लगता है उनका ट्विटर डाउन हो गया है। क्योंकि इतने बड़े वाक्या में सभी की चुप्पी खल रही है।
वहीं हमारे देश के लोकतंत्र का चौथा पिलर जो चिल्ला-चिल्ला कर अपनी बात रखने में माहिर है। स्टूडियो में भागते एंकर, ट्विटर पर तंज कसते वरिष्ठ पत्रकार, 6-6 स्क्रीन लगाकर पूरा ब्यौरा दिखाने वाले मीडिया संस्थान और 10-10 लोगों का पैनल बुलाकर डिबेट करने वाले 9 बजे की टीआरपी एक्सपर्ट कहां गायब है।
कहीं वो उस विमान में तो नहीं थे, यहां तो अच्छा मसाला है इन टीआरपी वालों के लिए फिर क्यों खामोश? अच्छा शायद सरकार उनकी अपनी है, या वहां पर राहुल गांधी का कुछ लेना देना नहीं है।
इस पूरे मामले पर संत्री से लेकर मंत्री तक सब चुप है, लेकिन अगर कोई बोल रहा है तो वो है देश का आम आदमी जो ट्विटर पर अपनी बात रोज रख रहा है। लेकिन उसकी कोई सुन नहीं रहा है।
एक बार तो नजर डालते इस बच्ची की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर जो काफी कुछ बताती है और कहती है कि क्यों इन दरिंदों के साथ क्रूरता करनी चाहिए थी।
शव को कूड़ेदान पर कुत्ते नोंचते रहे। पोस्टमार्टम में डॉक्टर शरीर के जिस हिस्से को पकड़ने की कोशिश करते, वो अलग होकर हाथ में आ जाता। एक हाथ शरीर से अलग था। पैर को तोड़ा गया था। पीठ पर कटे के निशान थे, शव में कीड़े पड़ चुके थे।
बाल जल चुके थे। ऐसा लग रहा था कि एसिड डालकर शव को गलाने की कोशिश की गई हो। आंख के सॉफ्ट टिश्यू गायब थे और प्राइवेट पार्ट्स का भी यही हाल था। पोस्टमार्टम में शव की हालत ऐसी होने के कारण बलात्कार की पुष्टि नहीं हो सकी।
अब इस शव को कैसे उस मां-बाप ने देखा होगा जिसने ढाई साल तक अपनी गुड़िया का ध्यान रखा होगा उसे हर मुश्किल से बचाया होगा। लेकिन वो कहां जानते थे कि कुछ हजार रुपयों के चक्कर में कोई उनकी इस परी के साथ ऐसा कर देगा।