सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष बन रहे हैं। आधिकारिक तौर पर उनकी यह जिम्मेवारी 23 अक्टूबर से शुरू हो रही है। इसमें कोई शक नहीं कि गांगुली मामूली नहीं हैं। बहादुर हैं और एकदम पारदर्शी भी। जो हैं, नजर आते हैं। वे चैंपियन की तरह हमेशा पेश आये हैं। जो सोचा, वही किया है उन्होंने। यहां हम आपको उनसे जुड़ी ऐसी घटनाओं के बारे में हैं, जो साबित करती हैं कि वे भारतीय क्रिकेट के कभी न डरने वाले राजा हमेशा बने रहेंगे।
माइकल क्लार्क ने एक बार बताया कि एक बार टाॅस के वक्त दादा ने हेड-टेल दोनों एक साथ फुसफुसाया। जब तक रिकी पोंटिंग कुछ समझ पाते, गांगुली ने सिक्का उठा लिया और तुरंत घोषणा भी कर दी कि भारत पहले बल्लेबाजी करेगा। आपको यकीन नहीं होगा कि भारत ने पहले बल्लेबाजी भी की।
गांगुली वर्ष 2001 में भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज के दौरान मैदान में देर से पहुंचकर स्टीव वाॅ को टाॅस के लिए इंतजार कराया था। कुछ वक्त पहले गांगुली ने खुद बताया है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया था। उन्होंने बताया कि उस वक्त ऑस्ट्रेलियाई कोच जॉन बुकानन ने जवागल श्रीनाथ से बहुत ही बुरी तरह से कहा था कि वे एक मैच के दौरान मैदान से बाहर क्यों आ जा रहे थे। श्रीनाथ ने यह बात गांगुली को बता दी और गांगुली ने इस तरह से इसका बदला ले लिया।
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वर्ष 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ मैच जीतने के बाद लॉर्ड्स में गांगुली ने अपनी टी-शर्ट निकाल दी थी। गांगुली ने इसकी वजह बताते हुए कहा था कि एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने भी पहले भारत में क्रिकेट का मक्का माने जाने वाले वानखेड़े स्टेडियम में अपनी शर्ट उतार दी थी। उन्हें यह अस्वीकार्य था, क्योंकि उनके लिए यह देश का अपमान था। इसलिए उन्होंने लॉर्ड्स में इसका बदला ले लिया।
क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद कमेंटेटर के तौर पर भी गांगुली शेर ही रहे। कमेंट्री के दौरान जब नासिर हुसैन ने फुटबाॅल को लेकर उनसे एक सवाल करके भारत का अपमान करने की कोशिश की, तो गांगुली ने भी उन्हें जबर्दस्त जवाब दिया। नासिर हुसैन ने पूछा, ”हम भारत को कब फीफा विश्व कप में खेलते हुए देखेंगे?” इस पर गांगुली ने जवाब दिया, ”यदि भारत ने 50 वर्षों तक फुटबाॅल खेला होता तो कम-से-कम एक बार तो फाइनल में पहुंच ही गया होता।” दरअसल उस समय तक इंग्लैंड क्रिकेट विश्व कप के फाइनल तक कभी नहीं पहुंच पाया था, जबकि वह लंबे अरसे से क्रिकेट खेलने वाला देश था।
एक बार जब रवि शास्त्री ने सौरव गांगुली से पूछा कि ईडेन गार्डन में क्या कोई गांगुली पैवेलियन या फिर गांगुली स्टैंड भी है? इस पर गांगुली ने जवाब दिया, ”यह मैदान ही गांगुली का है।”
गांगुली में आक्रामकता किस कदर भरी है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब एक बार इंटरव्यू के दौरान राजदीप सरसेदाई ने ग्रेग चैपल विवाद को लेकर सौरव गांगुली से सवाल किया था कि क्या चैपल को भारतीय क्रिकेट, सचिन तेंडुलकर, सौरव गागुली और राहुल द्रविड़ से माफी मांगनी चाहिए, इस पर गांगुली ने जवाब दिया था कि चैपल चाहें तो तेंडुलकर और द्रविड़ को फोन कर सकते हैं, लेकिन वे मेरा नंबर डायल करने की हिम्मत नहीं करें। यदि वे टीवी पर इसे सुन रहे हैं तो मैं उन्हें बता रहा हूं कि सौरव गांगुली को फोन करने की हिम्मत नहीं करें।
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वीरेंद्र सहवाग से ओपनिंग कराना गांगुली का ही आइडिया था। ओपनर के तौर पर सहवाग ने क्या किया, यह किसी से छुपा नहीं है। गांगुली ने इसे लेकर कहा था, ”हमारा जो मध्यक्रम था, उसमें वह जगह नहीं पा रहा था तो मैंने पूछा उससे कि वीरू देख मैदान से बाहर बैठकर कोई खिलाड़ी नहीं बना। तू ओपेन कर।”
इस तरह से यह कहना गलत नहीं होगा कि सौरव गांगुली वास्तव में भारतीय क्रिकेट के बेखौफ बादशाह के तौर पर अपनी पहचान बनाये हुए हैं और उनकी यह पहचान आगे भी बनी रहेगी। बीसीसीआई के अध्यक्ष बनने पर हमारी शुभकामनाएं उनके साथ हैं। तो क्या आप भी गांगुली को शुभकामनाएं नहीं देना चाहेंगे?