दरअसल सीटों के लिहाज से दक्षिण के सबसे बड़े सूबे तमिलनाडु में विपक्ष गठबंधन पहले से ही मजबूत होता दिख रहा है…जिससे बीजेपी की मुश्किलें बढ़ गई है…एक तरफ इस गठबंधन में कांग्रेस, डीएमके और लेफ्ट शामिल है…और साथ ही बीजेपी विचारधारा की विरोधी अभिनेता कमल हसन की नई पार्टी के भी शामिल होने की खबरें है…वहीं दूसरी ओर AIADMK अकेले खड़ी है…
इसी बात का झटका बीजेपी को लगा है…क्योंकि लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी सत्ताधारी बीजेपी के प्लान में दक्षिण भारत मिशन भी शामिल था…लेकिन अब तमिलनाडु के सत्ताधारी दल (AIADMK) ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम ने सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की बात साफ करदी है…
गौरतलब हो की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद से पार्टी बिखर गई थी…और सभी को उसकी कमजोरी साफ दिखने लगी थी…औऱ नेतृत्व को लेकर तमिलनाडु की राजनीति में जबरदस्त सियासी खींचातानी हुई…और तो और पार्टी पर विघटन का खतरा तक मंडराने लगा था…क्योकिं पार्टी दो खेमे में बंट गई… जिसमें एक तरफ वर्तमान सीएम ईके पलानीस्वामी थे, तो दूसरी और मौजूदा डिप्टी सीएम ओ पनीरसेल्वम… लेकिन फिर यहां बीजेपी वो माध्यम बनी जो भरत मिलाप कराने में कामयाब रही और फिर बीजेपी की मध्यस्तता के बाद दोनों खेमे एक साथ आए…और AIADMK के विघटन का खतरा टला…
बस इसी से बीजेपी ने AIADMK को कमजोर पार्टी समझ लिया…औऱ इसी के चलते बीजेपी कमजोरी का फायदा उठा कर लोकसभा चुनाव 2019 में गठबंधन करने की फिराक में थी…लेकिन अब बीजेपी का ये प्लान फ्लॉप होता दिख रहा है…बल्कि मुश्किलें भी बढ़ गई है…लोकसभा चुनाव नजदीक है और विपक्ष ने दक्षिण में पहले से अपनी धाक जमा ली और बीजेपी को एन वक्त पर दक्षिण मिशन में एक बड़ा झटका लग गया है…
यहां तक की AIADMK ने तो बुधवार को एक विज्ञप्ति भी जारी करदी है…कि जो भी नेता लोकसभा चुनाव लड़ने में दिलचस्पी रखता है 25000 रुपए न्यूनतम राशि के साथ 4 से 10 फरवरी तक आवेदन कर सकता है…
पता हो कि प्रदेश की बड़ी पार्टी AIADMK ने 2014 के लोकसभा चुनाव में एक बड़ी जीत हासिल की थी…और तमिलनाडु की 39 सीटों में से 37 सीटें जीत ली थी…औऱ 1 सीट बीजेपी, 1 सीट पीएमके के खाते में आई थी…मतलब साफ है कि पूर्व सीएम जयललिता के निधन के बाद से पार्टी के लिए ये एक बड़ा मुकाबला होगा…
दरअसल कावेरी विवाद कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच लंबे समय से चल रहा है…औऱ यह मुद्दा दोनों राज्यों के लिए बहुत बड़ा है…इसलिए AIADMK पार्टी का मानना है कि कावेरी मामले में केंद्र की बाजेपी सरकार ने कर्नाटक के हित को ध्यान में रखते हुए तमिलनाडु की अनदेखी की…दूसरा मुद्दा भाषाई वर्चस्व को लेकर है…जिसमें AIADMK का मानना है कि बीजेपी उनपर हिन्दी भाषा को थोप रही है…इसके अलावा हाल ही में आए चक्रवती तूफान राज्य में आई तबाही से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने पर्याप्त फंड नहीं दिया…
भारतीय जनता पार्टी की योजना थी की अपेक्षाकृत कमजोर हो चुकी (AIADMK) ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम और रजनीकांत के संभावित राजनीतिक दल के साथ गठबंधन कर तमिलनाडु में विपक्ष के गठबंधन को चुनौती दी जाए…लेकिन AIADMK के अकेले लड़ने के फैसले से बीजेपी का यह प्लान खटाई में पड़ गया… अब देखना ये है कि लोकसभा चुनाव 2019 के एन वक्त पर बीजेपी तमिलनाडु में अपनी नैया पार करने के लिए क्या मास्टर प्लान बनाएगी…लेकिन ये तो तय है कि इस बार तमिलनाडु में एक बड़ा और दिलचस्प मुकाबला होना वाला है…