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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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आयोध्या ही नहीं इन मंदिरों को भी तोड़ के मस्ज़िद या मज़ार बना दिए गए

Spiritual Durga Prasad 18 February 2019
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ऐसा कहा जाता है कि भारत में 7 वी सदी के प्रारम्भ में मुस्लिम मुग़ल आक्रमण होना शुरू हो गया था। प्रारम्भ से ही भारत मुस्लिम आक्रमणकारियों का केंद्र रहा है। इसके पीछे का वजह भारत के मंदिरो में पड़ा अकूत धन -दौलत और साथ ही भारत में इस्लामिक शासन को स्थापित करना था। इस दौरान 7 वी से लेकर 16 वी सदी तक लगातार हिन्दू , जैन और बौद्ध मंदिरो को जमकर लुटा गया। वैसे तो बहुत सारे मंदिरो को तोड़ा गया कुछ इतिहास में दर्ज होगा और कुछ का उल्लेख तो इतिहास में दर्ज भी नहीं होगा। छोटे बड़े ना जाने कितने मंदिरो को लूटा गया। और उनमे से कुछ तो बहुत ही भव्य और भारतीय संस्कृति के धरोहर थे।

कुछ चुनिंदा मंदिर जिन्हे तोडा और लुटा गया उनके बारे में संक्षिप्त लेकिन रोचक जानकारी यहाँ दी जा रही है।

1 . मातरंड सूर्य मंदिर:

कश्मीर घाटी में लगभग 8वीं शताब्दी में बने ऐतिहासिक और विशालकाय मार्तण्ड सूर्य मंदिर को मुस्लिम शासक सिकंदर बुतशिकन ने तुड़वाया था। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुसार इस मंदिर को कर्कोटा समुदाय के राजा ललितादित्य मुक्तिपाडा ने 725-61 ईस्वी के दौरान बनवाया था।

अपने समय का यह कश्मीर का सबसे प्राचीन और भव्य मंदिर हुआ करता था। यह मंदिर अनंतनाग से पहलगाम के बीच मार्तण्ड नाम के स्थान पर स्थित एक पठार पर है जिसे मटन कहा जाता है।

2 . मोढेरा सूर्य मंदिर –

यह मंदिर गुजरात के अहमदाबाद से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर पुष्पावती नदी के तट पर स्थित है, जबकि पाटन नामक स्थान से 30 किलोमीटर दक्षिण की ओर ‘मोढेरा’ नामक गांव में नदी के तट परपड़ता है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण उस समय के महाराजा  सूर्यवंशी सोलंकी राजा भीमदेव प्रथम ने 1026 ई. में करवाया था। लेकिन उस समय के  मुस्लिम आक्रमणकारी  अलाउद्दीन खिलजी ने अपने  आक्रमण के दौरान इस मंदिर को तहस -नहस कर दिया और  काफी नुकसान पहुंचा था। यहां पर उसने ना केवल  लूटपाट की बल्कि मंदिर की अनेक मूर्तियों को खंडित भी कर दिया।

3 . काशी विश्वनाथ मंदिर –

 द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख काशी विश्वनाथ मंदिर अनादिकाल से काशी में है।ऐसे ही नहीं काशी को सबसे प्राचीनतम शहर कहा गया है। इस बात का उल्लेख महाभारत और उपनिषद में भी किया गया है। इतिहासकारो के अनुसार 1100 ईसा पूर्व राजा हरीशचन्द्र ने इस  विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था लेकिन एक बार फिर विश्वनाथ मंदिर का सम्राट विक्रमादित्य ने पुन: जीर्णोद्धार करवाया था।

ऐसा कहा जाता है कि  इस मंदिर को 1194 में मुहम्मद गौरी ने लूटने के बाद तुड़वा दिया था। लेकिन एक बार फिर से  इसे फिर से बनाया गया, लेकिन एक बार फिर इसे सन् 1447 में जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह ने मंदिर को तोड़वा दिया।

एक बार फिर से  सन् 1585 ई. में राजा टोडरमल की सहायता से पं. नारायण भट्ट द्वारा इस स्थान पर फिर से एक भव्य मंदिर का निर्माण करा दिया गया। लेकिन इस भव्य मंदिर को एक बार फिर से 1632 में शाहजहां के आदेश पर तोड़ने के लिए सेना को काशी भेजा गया लेकिन हिन्दुओं के प्रबल प्रतिरोध के कारण विश्वनाथ मंदिर के केंद्रीय मंदिर को तो तोड़ नहीं सकी,  जिसका गुस्सा काशी के 63 अन्य मंदिर को तोड़कर निकाला गया।

डॉ. एएस भट्ट ने अपनी किताब ‘दान हारावली’ में  लिखा है कि कैसे फिर से  टोडरमल ने मंदिर का पुनर्निर्माण 1585 में करवाया । 18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने एक फरमान जारी कर काशी विश्वनाथ मंदिर ध्वस्त करने का आदेश दिया। यह फरमान एशियाटिक लाइब्रेरी, कोलकाता में आज भी सुरक्षित है।

औरंगजेब के आदेश पर यहां का मंदिर तोड़कर एक ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई। उस समय औरंगजेब ने रोज हजारो ब्राह्मणो को मुस्लिम बनाने का भी आदेश दिया था। इस प्रकार अगर देखा जाये तो आज भी उत्तर प्रदेश के 90 प्रतिशत मुसलमानो के वंसज ब्राह्मण ही है।

सन् 1752 से लेकर सन् 1780 के बीच मराठा सरदार दत्ताजी सिंधिया व मल्हारराव होलकर ने एक बार फिर से मंदिर मुक्ति के प्रयास किए। और यही नहीं  7 अगस्त 1770 ई. में महादजी सिंधिया ने दिल्ली के बादशाह शाह आलम से मंदिर तोड़ने की क्षतिपूर्ति वसूल करने का आदेश भी  जारी करा लिया, परंतु तब तक काशी पर ईस्ट इंडिया कंपनी का राज हो गया था और इस तरह मंदिर का नवीनीकरण  एक बार फिर से रुक गया।

1777-80 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया था।

सन् 1809 में काशी के हिन्दुओं ने जबरन बनाई गई मस्जिद पर कब्जा भी  कर लिया था, क्योंकि यह संपूर्ण क्षेत्र ज्ञानवापी मं‍डप का क्षेत्र है जिसे आजकल ज्ञानवापी मस्जिद कहा जाता है।

4 . कृष्ण जन्मभूमि –

मथुरा भगवान कृष्ण की जन्मभूमि है। औरंगजेब ने 1660 में इस मंदिर को तोड़कर ईदगाह बनवा दिया। ऐसा मन जाता है कि जहा पहले मंदिर  था ,वह कारगर हुआ करता था। ऐसा भी कहा जाता है कि पहला भव्य मंदिर ईसा पूर्व बनवाया गया होगा। इस भव्य मंदिर को भी 1017 -1018 में महमूद गजनवी ने तोड़वा दिया था। बाद में इस ामदिर को महाराज विजय पाल देव के शाशन में बनवाया गया। लेकिन 16 वी शताब्दी  के प्रारम्भ में सिकंदर लोधी ने इस मंदिर को पूरी तरह नष्ट कर  दिया।

ऐसा कहा जाता है कि ओरछा के शासक राजा वीरसिंह जूदेव बुंदेला ने फिर एक बार  इस खंडहर जगह  पर एक भव्य और पहले की अपेक्षा विशाल मंदिर बनवाया।ऐसा भी कहा जाता थाउस समय  कि यह इतना ऊंचा और विशाल था कि यह आगरा से भी  दिखाई देता था। लेकिन इसे भी सन् 1660 में नष्ट कर दिया गया और जन्मभूमि के आधे हिस्से पर एक भव्य ईदगाह बनवा दी, जो कि आज भी विराजमान है।

5 . श्री राम जन्मभूमि –

अयोध्या हिन्दुओ के लिए बहुत ही महत्त्व रखता है ,क्योकि हिन्दुओ के आराध्य श्री राम का जन्म यही हुआ था। राम एक महापुरुष थे और उनके जन्म के प्रमाण भी है। ऐसा माना  जाता है कि भगवान्  राम का जन्म 5114 ईसा पूर्व यही हुआ था।

ऐसा कहा जाता है कि बाबर के सेनापति मीर बकी ने ही राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवायी थी। बाबर एक तुर्क था, उसने हिन्दुओ का कत्ले -आम भी किया था। इसी गुंबद को 1992 में तोड़ दिया गया था। अभी भी इसका मसला कोर्ट  में  चल रहा है।

6 . सोमनाथ मंदिर –

सोमनाथ मंदिर गुजरात प्रान्त के काठियावाड़ में समुद्र के किनारे स्थित है ,जो विश्व प्रसिद्ध है। इस सोमनाथ-ज्योतिर्लिंग की महिमा महाभारत, श्रीमद्भागवत तथा स्कंद पुराणा में भी  में विस्तार से बताया गया है। माना जाता है कि चन्द्रदेव का एक नाम सोम भी है। उन्होंने भगवान शिव को ही अपना नाथ-स्वामी मानकर यहां तपस्या की थी इसीलिए इसका नाम ‘सोमनाथ’ हो गया।

सर्वप्रथम इस मंदिर का उल्लेख मिलता है ,जो कि ईसा पूर्व था। ऐसा माना जाता है कि प्रथम बार  इस मंदिर को 725 ईस्वी में सिन्ध के मुस्लिम सूबेदार अल जुनैद ने तोड़ दिया था ,जिसको फिर से  प्रतिहार राजा नागभट्ट ने 815 ईस्वी में  बनयाया।

इसके बाद महमूद गजनवी ने सन् 1024 में मंदिर में हमला किया था और मंदिर को नस्ट करने के साथ -साथ  की सम्पति को भी लूट ले गया। उस दौरान काफी निहत्ते लोग भी मारे  गए थे।

औरंगजेब के समय में भी मंदिर को दो बार तोडा गया। औरंगजेब ने ना केवल मंदिर को अपवित्र किया बल्कि बहुत सारे हिन्दुओ की हत्या भी किया। इंदौर की रानी अहिल्याबाई ने भी मूल स्थान से हटकर कुछ दुरी पर फिर से मंदिर का निर्माण कराया था।

इस समय जो मंदिर खड़ा है उसे भारत के गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने बनवाया और 1ली दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित कर  दिया।

7 . हम्पी के मंदिर –

कभी हम्पी मध्यकालीन हिन्दू राज्य विजयनगरम् साम्राज्य की राजधानी था। यह मंदिर  भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित है और  यह नगर यूनेस्को द्वारा ‘विश्व विरासत स्थलों’ की सूची में भी शामिल है। कभी  यहां दुनिया के सबसे बेजोड़  और विशाल  मंदिर बने थे, जो अब खंडहर में बदल चुके हैं।ऐसा कहा जाता है कि एक समय हम्पी रोम से भी ज्यादा  समृद्ध था। यहां मंदिरों की खूबसूरत श्रृंखला है इसलिए इसे ‘मंदिरों का शहर’ भी कहा जाता है।

 राजा कृष्णदेव राय ने 1509 से 1529 के बीच हम्पी में शासन किया था। विजयनगरम् साम्राज्य में कभी  कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश के भी  राज्य आते थे। कृष्णदेव राय की मृत्यु के बाद इस विशाल साम्राज्य को मुस्लिम सेनाओं ने 1565 में क्रूरतम हमला करके नष्ट कर दिया। इस हमले को  इतिहास का सबसे हमला माना जाता है ,  वैसा ही हमला जैसा कभी दिल्ली में नादिरशाह और अहमदशाह अब्दाली ने  हमला किया था।

8 . मीनाक्षी मंदिर –

मीनाक्षी मंदिर तमिलनाडु राज्य के मदुरै शहर में विराजमान  एक विशाल , अदभुत  और प्रसिद् मंदिर। है  यह मंदिर 2,500 साल पुराना है और यहाँ के लोगो की जीवन है जीने का आधार है। ऐसा कहा जाता है कि सर्वप्रथम इस मंदिर की स्थापना राजा इन्द्र ने की थी। इस तरह की मान्यता है कि  हिन्दू संत थिरुग्ननासम्बंदर ने इस मंदिर का वर्णन 7वीं शताब्दी से पहले ही कर दिया था।  ऐसा भी कहा जाता था कि प्राचीन पांडियन राजा मंदिर निर्माण के लिए लोगों से कर की वसूली करते थे।

कहा जाता है कि 14वीं शताब्दी में मुगल मुस्लिम कमांडर मलिक काफूर ने मंदिर को तोड़ा और लूटा था। क्योकि  वो मंदिर से मूल्यवान आभूषण और धन लूटकर ले जाना चाहता था। इस मंदिर के वर्तमान स्वरूप को 1623 और 1655 ईस्वी के बीच बनाया गया था। लोग कहते है कि  बाद में 16वीं शताब्दी में ही यही के  शासक विश्वनाथ नायक ने इस मंदिर को फिर से बनवाया।

तो यह थे ऐसे कुछ मंदिर जिन्हे, मुस्लिम शासको ने लूटने और अपनी शक्ति प्रदर्शन और इस्लामिक राज्य को स्थापित करने के उद्देश्य से ,इन मंदिरो पर हमला किया और सब कुछ नष्ट कर दिया। ऐसे  बहुत सारे मंदिर होंगे ,जिन्हे पूरी तरह समाप्त कर दिया गया होगा। और शायद इतिहास में उनका कोई उल्लेख भी नहीं होगा।

Durga Prasad

Durga Prasad

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