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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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आरम्भ है प्रचंड देखो: लोकतांत्रिक देश भारत के सबसे बड़े त्यौहार ‘चुनाव’ का बिगुल

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११ अप्रैल यानी २०१९ के प्रचंड लोकतान्त्रिक त्यौहार का बिगुल बज गया है । ऐसे में हर भारतीय का ये विशेषाधिकार और कर्त्तव्य भी है कि, इस त्यौहार में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें ।

हमारा देश लोकतांत्रिक देश है यही हमारी ताकत है हमारे देश की शासन व्यवस्था हमारे देश की जनता तय करती है । सही रूप में कहा जाय तो भारत में प्राचीन कल से ही लोकतांत्रिक व्यवस्था रही है ।

आखिर लोकतंत्र है क्या ? लोकतंत्र संस्कृत भाषा की उपज है यह दो शब्दों के मेल से बानी है “लोक” यानि की जनता और “तंत्र” यानि की शासन। “जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन ” यही तो है लोकतंत्र । हमारा देश दुनिया का दूसरी आबादी वाला देश है लेकिन यहाँ जनता के मतदान यानि की वोट डालने की मात्रा अभी भी कम है । तो ऐसे में अगर हम कहे लोकतंत्र तो है पर पूरी तरह नहीं तो गलत नहीं होगा । क्योकि जब तक एक एक जनता अपने वोट नहीं करेगी तब तक सही निष्कर्ष नहीं निकल सकता ।

लोकसभा चुनाव सबसे बड़ा त्यौहार

चुनाव एक लोकतांत्रिक देश के लिए सबसे बड़ा त्यौहार है और उस त्यौहार को सभी को मानना चाहिए ये उनका अधिकार है । सच तो ये है आपका वोट ही आपके भविष्य को तय करती है । वोट करना आपकी जिम्मेदारी है जो लोग ऐसा सोचते है चलो क्या होगा एक वोट नहीं ही देंगे तो उनके लिए ये कहना गलत नहीं होगा कि अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे है ।आज हमारे देश में इस सबसे बड़े त्यौहार का आगाज हो चूका है सभी पार्टिया अपने अपने प्रचार प्रसार में लगी है ऐसे में हमारी जनता को समझना है की कौन अच्छे है कौन बुरे वैसे अच्छे बुरे का आकलन हम उनके स्वभाव से और उनके किये गए विकास से ही पता कर सकते है ।

युवा हमारे देश की ताकत

हमारे देश में युवावो की संख्या ज्यादा है और युवा ही हमारे देश की ताकत है । हमारे देश के युवावो को ये सोचने और समझने की जरुरत है की कौन हमारे और हमारे देश का भविष्य बेहतर बना सकता है । युवा वर्ग के राजनिति करने का अंदाज़ भी अलग होता है उनके सोचने समझने का हर पहलु अलग होता है।

लोकसभा चुनाव में युवा वर्ग की एक अहम भूमिका

चाहे चुनाव लोकसभा का हो या चाहे राज्य सभा का दोनों ही चुनावो में हमारे युवा वर्ग अपनी अहम भूमिका निभाते रहे है जब २००४ में लोकसभा का चुनाव हुआ था तब हमारे देश के युवाओं की भूमिका लगभग ५२% थी यह धीरे धीरे बढ़ कर २००९ में ५४% हुई लेकिन २०१४ का जब लोकसभा चुनाव हुआ था उसमे हमारे देश के युवाओं ने काफी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और लगभग ६७% युवा ने वोट डाले थे । ४४% वोटर सिर्फ युवा वर्ग के वो लोग थे जिनमे से कुछ पहली बार वोट डाले थे जिनकी आयु १८ से २२ साल की थी । आज जरुरत है हमारे देश युवावो को आगे बढ़ने की २०१९ के इस लोकतंत्रिक त्यौहार में हिस्सा लेकर अपने होने का प्रमाण देने की ।

हमारा वोट ही हमारा भविष्य तय करती है

अगर हम वोट नहीं डालते है तो समझो अपने भविष्य से खेल रहे है क्योकि वोट करना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है । अतः हमें लोकसभा चुनाव २०१९ में अपने इस अधिकार का प्रयोग करके एक अच्छे जनप्रतिनिधि को चुने जो समाज और राष्ट्र को उन्नति की और ले जाये। पिछले चुनावो के अकड़े की बात करे तो चौकाने वाले आकड़े सामने आती है। जब २००४ में लोकसभा चुनाव हुआ था तब लगभग ५८ % वोट ही डाले गए थे। यानि ४२ % लोग वोट डालने से वंचित रह गए थे ,लेकिन २००९ में ५ चरणों के चुनाव नतीजे जब सामने आये तो कुछ ख़ास बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली। लेकिन जब २०१४ में ९ चरणों में लोकसभा चुनाव हुआ तब लगभग ६६% वोट पड़े और और मात्र ३४ % लोग वोट से वंचित रह गए थे या कंफ्यूज थे किसे अपना प्रतिनिधि किसे चुने। अब २०१९ के लोकसभा चुनाव का आगाज हो चुका है और ७ चरणों में वोट डाले जाएंगे  जिसमे पहले चरण का मतदान ११ अप्रैल है सभी लोगो से निवेदन है अपने बहुमूल्य वोट जरूर दे और ६६ से बढ़कर कम से कम ८६% जरूर पहुंचे तभी सही मायने में लोकतंत्र का सही निर्णय सामने आ पायेगा ।

लोकसभा इलेक्शन                   वोट परसेंट
२००४          –                      ५८ %
२००९          –                  ५९ %
२०१४          –                      ६६ %

ऊपर के अकड़े ये साफ दिखा रहे है कि अभी भी एक सबसे बड़े लोकतंत्रिक देश की की जनता सबसे बड़े त्यौहार लोकसभा चुनाव में अपनी भूमिका पूरी तरह नहीं निभा पा रही है ।

अब प्रश्न यह है की हम किसे अपना प्रतिनिधि चुने ?

यह प्रश्न अपने आप में उलझा देने वाला प्रश्न है हमें अपने जनप्रतिनिधि का चुनाव बहुत सोच समझ कर करना चाहिए । जब चुनाव का समय होता है सभी पार्टियों के प्रतिनिधि और कार्यकर्त्ता जनता से मिलती है और उनका हल पूछती है जीतते ही गायब हो जाति है हमें ऐसे प्रतिनिधियों और उनके कार्यकर्त्ता से सावधान रहने की जरुरत है। हमें तो एक ऐसा प्रतिनिधि चाहिए जो हमारे सुख दुःख में साथ दे ना की अपने पार्टियों बखान करती रहे करे कुछ नहीं । देश की भोली भली जनता को ठग पाना मुश्किल है क्योकि अब हमारी जनता समझदार हो गई है वो अपना अच्छा बुरा समझ सकती है और वो आने वाले दिनों में अपने वोट का प्रयोग बहुत सोच समझ के करेगी ।

वैसे वोट हमें किसी जाति, धर्म,समुदाय आदि के आधार पे कभी नहीं करनी चाहिए हमारा ऐसा मानना है कि वोट हमें व्यक्ति विशेष के आधार पे करना चाहिए चाहे वो जिस पार्टी का क्यों न हो । हमारे लिए तो वही अच्छा /अच्छी है जो हमें और हमारे देश को हमेशा विकास पथ पे ले जाये।

अतः निष्कर्ष के रूप में कह सकते है कि हम सब मिलकर ये संकल्प ले हम अपना वोट जरूर डालेंगे क्योकि ये हमसबका जन्मसिद्ध अधिकार है आज इस अधिकार का प्रोयग करने का समय हमें मिला है मतदान के त्यौहार के रूप में। एक एक वोट बहुमूल्य है अतः अपने वोट का सही से इस्तेमाल करके एक बुद्धिजीवी, सामजसेवी, जिम्मेवार व्यक्ति को अपने देश की वागडोर उनके हाथ में दे। आपका एक वोट ही आपका भविष्य तय करती है ।अपने भविष्य को बेहतर बनाये एक वोट डाल कर ।

मतदान जरूर करे ।