प्रताप सारंगी ओडिशा से चुने गए सांसद जो मोदी सरकार में मंत्री भी बने हैं, उन्हें हर कोई ओडिशा के ‘मोदी’ के नाम से जानता है। प्रताप सारंगी ने जब 30 मई को मंत्री पद की शपथ ली थी तो उस वक्त पूरा समारोह तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था। इसके बाद सोशल मीडिया पर ओडिशा के मोदी साहब ‘सारंगी’ को लेकर कई तरह की बातें शेयर की गई, उनके जीवनशैली, रहन-सहन और सादगी की बातें सामने निकल कर आई, कई लोगों ने बहुत तारीफ की। कुछ लोगों ने उन्हें सबसे सादगी से रहने वाला शख्स बताया, तो किसी ने कुछ और। इसके अलावा उन्हें मोदी मंत्रिमंडल का सबसे कम संपत्ति वाला सदस्य भी बताया गया है।
लेकिन अगर आप सारंगी के चुनावी हलफनामे पर नजर डालेंगे तो हां बेशक उनके पास केवल 15,000 रुपये की नकदी हैं। लेकिन उनकी चल संपत्ति 1.5 लाख रुपये और अचल संपत्ति 15 लाख रुपये की है। इसके अलावा उनके हलफनामे के हवाले से कुछ और तथ्य भी सामने आए हैं। अब यहां पर सवाल ये उठता है कि अगर वो इतने गरीब है, जितना सोशल मीडिया पर बताया जा रहा है तो उनके पास 15 लाख से ऊपर की संपत्ति क्या कर रही है।
क्योंकि मेरे देश में किसी गरीब इंसान के पास जो झुग्गी में रहता है वो 15 लाख का हक तो नहीं रखता होगा। क्या ये सही में गरीब है और इन्हें उन झुग्गी वालों के साथ तराजू में तोलना चाहिए जिन्हें ये सोचना पड़ता है कि वो 2 वक्त के खाने में क्या खा रहे हैं, क्या उनका पूरा परिवार भर पेट खाना खा रहा है या नहीं। या फिर ये महज गरीबी के नाम पर ढोंग कर जनता को अपनी तरफ खींच कर वोट बटौरना था।
इन ओडिशा के मोदी साहब का किस्सा यहीं पर खत्म नहीं होता है। सारंगी के हलफनामे से पता चलता है कि उनके खिलाफ तो 7 आपराधिक मामले भी लंबित पड़े हैं। जिनमें दंगा करने, धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच घृणा को बढ़ावा देने और आपराधिक धमकी जैसे मामले दर्ज हैं। तो इसे कहते हैं साफ छवि और सादा जीवन।
जिसके पास 15 लाख से ऊपर की संपत्ति है और 7 आपराधिक मामलों में लिप्त है वो व्यक्ति साफ छवि का, गरीब और सादा जीवन जीने वाला है। महज साइकिल पर चलकर सादा जीवन जीया जाता तो फिर तो हीरो कंपनी सबसे ज्यादा सादे लोग निकालती और हीरो कंपनी के मालिक को इसका ब्रांड अंबेस्डर बनाना चाहिए।
आरएसएस के सदस्य प्रताप सारंगी पर 7 आपराधिक मामले लंबित हैं। लोकसभा चुनावों के लिए भरे गए हलफनामे में उन्होंने इस बात की जानकारी दी है। सारंगी पर धर्म के आधार पर नफरत फैलाने, जबरन वसूली, दंगा करने जैसे मामले दर्ज हैं। इनमें से ज्यादातर मामले तब दर्ज हुए, जब ओडिशा में बीजेपी-बीजेडी की सरकार थी। वाह रे सादा जीवन जीने वाले नेताजी वसूली करते हैं आप पर छवि साफ है। साल 1991 में ओडिशा में ऑस्ट्रेलियन मिशनरी ग्राहम स्टेन्स और उनके दो बेटों को जिंदा जला दिया गया था। इसका आरोप बजरंग दल संगठन के लोगों पर लगा था, जिसके अध्यक्ष उस समय सारंगी थे। जांच के दौरान, दक्षिणपंथी ग्रुप से ताल्लुक रखने वाले व्यक्ति दारा सिंह समेत 12 अन्य लोगों को 2003 में दोषी करार दिया गया था। सिंह को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे दो साल बाद ओडिशा हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया था।
इस घटना के बाद सारंगी का इंटरव्यू लेने वाले ओडिशा के वरिष्ठ पत्रकार संदीप साहू ने एक निजी वेबसाइट को बताया कि
सारंगी ने बच्चों की हत्या करने की तो निंदा की थी, लेकिन स्टेन्स की हत्या करने पर सिंह को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की थी। स्टेन्स की मौत के बाद उन्होंने मिशनरी को रोकने की भी बात कही थी। सारंगी को ओडिशा विधानसभा पर हमले के बाद भी गिरफ्तार किया गया था। मार्च 2002 में सारंगी को दंगा कराने और सरकारी प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
हालांकि एनडीटीवी से बातचीत करते हुए सांसद महोदय ने इन सभी आरोपों को खारिज किया और स्टेन्स की हत्या केस में कोई लिंक होने से इनकार कर दिया है। बिलकुल कोई चोर कभी नहीं कहता कि उसने चोरी की है। हालांकि हमारे न्यायिक प्रक्रिया में जब तक आरोप सिद्ध नहीं होता आरोपी बेगुनाह ही रहता है और अब तो आरोपी केंद्र सरकार में मंत्री है। क्योंकि उसकी छवि बहुत साफ है और वो सादा जीवन जीता है। साथ ही सारंगी जी का कहना है कि ये सभी केस झूठे आरोपों पर आधारित हैं। पुलिस ने ऐसा जानबूझकर किया है, मैंने इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ी है और इसलिए मैं कई भ्रष्ट अधिकारियों का दुश्मन बन गया था। इसीलिए सभी एंटी-सोशल लोगों ने मेरे खिलाफ केस किए है। कोर्ट में कई केस झूठे साबित हुए और बाकी भी जल्द ही होंगे। जी बिलकुल बहुत कम ही होता है कि कोई मंत्री जेल जाता हो। अक्सर उसे क्लीन चिट मिल ही जाती है।
सात केसों के बावजूद, प्रताप सारंगी सोशल मीडिया पर एक हीरो हैं। मोदी सरकार में उनके मंत्री बनते ही सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें वायरल होने लगीं, जहां लोगों ने उनकी सिंपल लाइफस्टाइल से लेकर कामकाज तक की तारीफ की। दरअसल उनके सिंपल रहन-सहन के कारण उनकी चरमपंथी विचारधारा को अनदेखा कर दिया जाता है। उन्हें एक आदर्श राजनेता के रूप में देखा जाता है, ऐसा व्यक्ति जिसने चीजों को त्याग दिया है। इसे एक ढोंग नहीं कहेंगे तो और क्या कह सकते हैं। सारंगी के समर्थक उनके सामाजिक कार्यों की सराहना करते हुए नहीं थकते हैं। तो वहीं अंधभक्तों का तो क्या ही कहना है।