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क्या आप जानते हैं कि गिरफ्तार होते वक्त भी है आपके पास कई कानून

Information Taranjeet 28 July 2019
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पुलिस के साथ हमारा कब सामना हो जाए ये बात हम नहीं जानते। कई बार आपने खबरों में सुना होगा कि पुलिस किसी को उठा कर ले गई या पुलिस ने किसी व्यक्ति को पुछताछ के नाम पर परेशान किया। कई ऐसे भी वायरल वीडियो हमने देखें हैं जिसमें पुलिसवाला कहता है कि मैं तुझे झूठे केस में फंसा दूंगा और वो व्यक्ति डर जाता है। हम ये नहीं कह रहे कि पुलिस हमेशा ही गलत होती है लेकिन कभी-कभी वो भी गलत कदम उठा लेती है। इसलिए आज हम आपको ऐसे ही 10 अधिकारों के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि गिरफ्तारी के वक्त आपके काम आएंगे।

1- गिरफ्तारी का कारण जानने का अधिकार CrPC 50(1)

पुलिस आपको गिरफ्तार करती है तो इस अधिकार के तहत आप पुलिस से पूछ सकते है कि किस वजह से गिरफ्तारी की जा रही है। पुलिस को गिरफ्ततारी का कारण बताना होगा।

2- पुलिस के यूनिफॉर्म पर उसका नाम और डेजिगनेशन होना अनिवार्य

पुलिस के यूनिफॉर्म पर उसका नाम और डेजिगनेशन होना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होता है तो पुलिस आपको गिरफ्तार नहीं कर सकती है। वहीं अगर पुलिस सिविल ड्रेस में आपको गिरफ्तार करती है तो आप उसका आईडी कार्ड देख सकते हैं। जिसमें पुलिस अधिकारी का नाम और डेजिगनेशन लिखा होगा।

3- महिला को सिर्फ महिला पुलिस ही गिरफ्तार करेगी CrPC 46(1) / सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद महिला की गिरफ्तारी नहीं CrPC 46 (4)

CrPC 46(1) की धारा कहती है कि एक महिला को सिर्फ महिला पुलिस अधिकारी ही गिरफ्तार कर सकती है। वहीं CrPC 46 (4) के मुताबिक एक महिला को सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है यानी कि सुबह 6 बजे से पहले और शाम को 6 बजे के बाद पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकती है।

4- किस अपराध में वॉरंट देखने का अधिकार

छोटे-छोटे अपराध जैसे कि किसी के साथ धोखाधड़ी करना, ऐसे अपराध में पुलिस आपको बिना वॉरेंट के गिरफ्तार नहीं कर सकती है। अगर पुलिस आती है तो आपको वॉरेंट देखने का अधिकार है। पुलिस बिना वॉरेंट के तभी गिरफ्तार कर सकती है, जब आपने किसी तरह का संगीन अपराध किया हो यानी की ऐसा अपराध जिसमें सजा 3 साल से ज्यादा की हो। जैसे कि मर्डर, रेप इत्यादि।

5- अरेस्ट मेमो बनवाने का अधिकार CrPC 41B

जब पुलिस आपको गिरफ्तार करती है तो उस दौरान अरेस्ट मेमो बनाती है। अगर नहीं बनाती है तो आप CrPC 41 B के तहत अरेस्ट मेमो बनाने को कह सकते हैं, ये आपका अधिकार है। अरेस्ट मेमो बहुत जरूरी कागज होता है। ये एक डॉक्यूमेंट होता है, जिसमें गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी का नाम, आपका नाम, आपको किस आधार पर गिरफ्तार किया जा रहा है, किस समय और कहां से गिरफ्तार किया जा रहा है, गिरफ्तारी के समय क्या-क्या सामान बरामद हुआ है, जैसी जरूरी जानकारी होती है। उस अरेस्ट मेमो पर आपका और एक विटनेस  के भी हस्ताक्षर होते हैं। वो विटनेस कोई भी हो सकता है, आपका परिवार का सदस्य, रिश्तेदार, आपका पड़ोसी कोई भी हो सकता है।

6- पुलिस को गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के परिवार या रिश्तेदार को सूचना देनी होगी CrPC 50A

पुलिस वालों के लिए ये अनिवार्य है कि वो गिरफ्तारी के 12 घंटे के अंदर आपके परिवार को सूचना दें। साथ ही आपके परिवार को पूरी जानकारी भी देनी होगी।

7- गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की हेल्थ और सुरक्षा का ध्यान रखना CrPC 55A

अगर आपको गिरफ्तार किया गया है तो आपकी हेल्थ और सुरक्षा का ध्यान रखना पुलिस की जिम्मेदरी है। पुलिस गिरफ्तार कर लेती है तो ये आपका अधिकार है कि पुलिस आपकी हेल्थ और सुरक्षा का ध्यान रखें।

8- इंटेरोगेशन के दौरान अपने वकील से मिलने का अधिकार CrPC 41D

CrPC 41D के तहत आपके पास अधिकार है कि आप अपनी पसंद का वकील चुन सकें। आपको अपने वकील से मिलने का भी अधिकार है। इसके अलावा आप चाहें तो चुप भी रह सकते है, आप पुलिस को कह सकते हैं कि मैं तभी कुछ बोलूंगा जब वकील से मिलूं। ताकि आपसे पुलिस गलत बयान ना लें सके।

9- 24 घंटे से अधिक हिरासत में नहीं CrPC 57, और 24 घंटे के अंदर मजिस्ट्रेट के सामने पेशी CrPC 56

अगर पुलिस आपको हिरासत में लेती है तो उसके 24 घंटे के अंदर ही उसे आपको मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होगा। CrPC 56 के तहत आप पुलिस से कह सकते हैं कि मुझे मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाए।

10-पुलिस से अनुरोध कर मेडिकल टेस्ट कराना CrPC 54

CrPC 54 के तहत पुलिस को गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के अनुरोध पर मेडिकल टेस्ट कराना होगा। जब आपको गिरफ्तार किया जाता है तो आप पुलिस से मांग कर सकते हैं कि मेरा मेडिकल टेस्ट कराया जाए। अगर आपको किसी तरह की बीमारी है तो वो भी आप पुलिस को बता सकते हैं। मेडिकल टेस्ट में शरीर पर लगी चोटों को रिकॉर्ड लिया जाता है। ये इसलिए जरूरी है क्योंकि कई बार जेल जाने से पहले इतनी चोटे नहीं होती है जितनी गिरफ्तारी के बाद हो जाती है। कोर्ट के सामने पेश करने से पहले दोबारा मेडिकल टेस्ट होता हैं, अगर आप पहले ही टेस्ट करा लेंगे तो जब कोर्ट में आपका दोबारा टेस्ट होगा तो उसमें चोटों के अंतर से पता चल जाएगा कि पुलिस ने आपके साथ मार-पीट की है या नहीं। पहले ही मेडिकल टेस्ट करा लेने से पुलिस आपके साथ मार-पीट नहीं करेगी इसके अलावा, मेडिकल टेस्ट में आपको कोई गंभीर बीमारी है तो कोर्ट से बेल मिलने में आसानी भी होती है।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.