पुलिस के साथ हमारा कब सामना हो जाए ये बात हम नहीं जानते। कई बार आपने खबरों में सुना होगा कि पुलिस किसी को उठा कर ले गई या पुलिस ने किसी व्यक्ति को पुछताछ के नाम पर परेशान किया। कई ऐसे भी वायरल वीडियो हमने देखें हैं जिसमें पुलिसवाला कहता है कि मैं तुझे झूठे केस में फंसा दूंगा और वो व्यक्ति डर जाता है। हम ये नहीं कह रहे कि पुलिस हमेशा ही गलत होती है लेकिन कभी-कभी वो भी गलत कदम उठा लेती है। इसलिए आज हम आपको ऐसे ही 10 अधिकारों के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि गिरफ्तारी के वक्त आपके काम आएंगे।
पुलिस आपको गिरफ्तार करती है तो इस अधिकार के तहत आप पुलिस से पूछ सकते है कि किस वजह से गिरफ्तारी की जा रही है। पुलिस को गिरफ्ततारी का कारण बताना होगा।
पुलिस के यूनिफॉर्म पर उसका नाम और डेजिगनेशन होना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होता है तो पुलिस आपको गिरफ्तार नहीं कर सकती है। वहीं अगर पुलिस सिविल ड्रेस में आपको गिरफ्तार करती है तो आप उसका आईडी कार्ड देख सकते हैं। जिसमें पुलिस अधिकारी का नाम और डेजिगनेशन लिखा होगा।
CrPC 46(1) की धारा कहती है कि एक महिला को सिर्फ महिला पुलिस अधिकारी ही गिरफ्तार कर सकती है। वहीं CrPC 46 (4) के मुताबिक एक महिला को सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है यानी कि सुबह 6 बजे से पहले और शाम को 6 बजे के बाद पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकती है।
छोटे-छोटे अपराध जैसे कि किसी के साथ धोखाधड़ी करना, ऐसे अपराध में पुलिस आपको बिना वॉरेंट के गिरफ्तार नहीं कर सकती है। अगर पुलिस आती है तो आपको वॉरेंट देखने का अधिकार है। पुलिस बिना वॉरेंट के तभी गिरफ्तार कर सकती है, जब आपने किसी तरह का संगीन अपराध किया हो यानी की ऐसा अपराध जिसमें सजा 3 साल से ज्यादा की हो। जैसे कि मर्डर, रेप इत्यादि।
जब पुलिस आपको गिरफ्तार करती है तो उस दौरान अरेस्ट मेमो बनाती है। अगर नहीं बनाती है तो आप CrPC 41 B के तहत अरेस्ट मेमो बनाने को कह सकते हैं, ये आपका अधिकार है। अरेस्ट मेमो बहुत जरूरी कागज होता है। ये एक डॉक्यूमेंट होता है, जिसमें गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी का नाम, आपका नाम, आपको किस आधार पर गिरफ्तार किया जा रहा है, किस समय और कहां से गिरफ्तार किया जा रहा है, गिरफ्तारी के समय क्या-क्या सामान बरामद हुआ है, जैसी जरूरी जानकारी होती है। उस अरेस्ट मेमो पर आपका और एक विटनेस के भी हस्ताक्षर होते हैं। वो विटनेस कोई भी हो सकता है, आपका परिवार का सदस्य, रिश्तेदार, आपका पड़ोसी कोई भी हो सकता है।
पुलिस वालों के लिए ये अनिवार्य है कि वो गिरफ्तारी के 12 घंटे के अंदर आपके परिवार को सूचना दें। साथ ही आपके परिवार को पूरी जानकारी भी देनी होगी।
अगर आपको गिरफ्तार किया गया है तो आपकी हेल्थ और सुरक्षा का ध्यान रखना पुलिस की जिम्मेदरी है। पुलिस गिरफ्तार कर लेती है तो ये आपका अधिकार है कि पुलिस आपकी हेल्थ और सुरक्षा का ध्यान रखें।
CrPC 41D के तहत आपके पास अधिकार है कि आप अपनी पसंद का वकील चुन सकें। आपको अपने वकील से मिलने का भी अधिकार है। इसके अलावा आप चाहें तो चुप भी रह सकते है, आप पुलिस को कह सकते हैं कि मैं तभी कुछ बोलूंगा जब वकील से मिलूं। ताकि आपसे पुलिस गलत बयान ना लें सके।
अगर पुलिस आपको हिरासत में लेती है तो उसके 24 घंटे के अंदर ही उसे आपको मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होगा। CrPC 56 के तहत आप पुलिस से कह सकते हैं कि मुझे मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाए।
CrPC 54 के तहत पुलिस को गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के अनुरोध पर मेडिकल टेस्ट कराना होगा। जब आपको गिरफ्तार किया जाता है तो आप पुलिस से मांग कर सकते हैं कि मेरा मेडिकल टेस्ट कराया जाए। अगर आपको किसी तरह की बीमारी है तो वो भी आप पुलिस को बता सकते हैं। मेडिकल टेस्ट में शरीर पर लगी चोटों को रिकॉर्ड लिया जाता है। ये इसलिए जरूरी है क्योंकि कई बार जेल जाने से पहले इतनी चोटे नहीं होती है जितनी गिरफ्तारी के बाद हो जाती है। कोर्ट के सामने पेश करने से पहले दोबारा मेडिकल टेस्ट होता हैं, अगर आप पहले ही टेस्ट करा लेंगे तो जब कोर्ट में आपका दोबारा टेस्ट होगा तो उसमें चोटों के अंतर से पता चल जाएगा कि पुलिस ने आपके साथ मार-पीट की है या नहीं। पहले ही मेडिकल टेस्ट करा लेने से पुलिस आपके साथ मार-पीट नहीं करेगी इसके अलावा, मेडिकल टेस्ट में आपको कोई गंभीर बीमारी है तो कोर्ट से बेल मिलने में आसानी भी होती है।