इस साल के अंत तक हरियाणा के अंदर विधानसभा चुनाव होने हैं, जहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी की तरफ से मनोहर लाल खट्टर मैदान में हैं, तो वहीं कांग्रेस एक बार फिर से चेहरों के बीच में फंसती हुई नजर आ रही है। लगभग हर राज्य में ये कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी समस्या खड़ी होती है कि उसका चेहरा कौन है? कांग्रेस के पास हरियाणा में 2 मुख्य चेहरे हैं एक तो मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर और दूसरा चेहरा हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का है। इन दोनों नेताओं के बीच में लंबी तकरार देखी जा रही है। जिस वजह से हुड्डा की तरफ से कांग्रेस पार्टी के खिलाफ बगावती तेवर अपनाए हुए हैं।
लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि हरियाणा के पूर्व मुख्य मंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कांग्रेस के खिलाफ बगावती तेवर खत्म हो सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक तंवर ने कहा है कि हुड्डा पार्टी छोड़कर नहीं जा रहे हैं। बल्कि, जो भी नेता गए हैं, कांग्रेस में उनकी वापसी होने वाली है। जानकारों का मानना है कि ऐसे में तंवर की कुर्सी कांग्रेस आलाकमान हुड्डा को दे सकता है। इसके अलावा हुड्डा चुनाव अभियान का मुख्य चेहरा भी बनाए जा सकते हैं। हालांकि ये सिर्फ अनुमान ही है इसपर कोई पुख्ता जानकारी कांग्रेस की तरफ से नहीं दी गई है।
आगामी विधानसभा चुनाव के लिए हरियाणा कांग्रेस की कमान हुड्डा के हाथों में न सौंपे जाने से खफा पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा नई पार्टी बनाने के ऐलान के बाद से ही कांग्रेस के खेमे में बेचैनी सी पैदा हो गई है। पिछले दिनों फरीदाबाद में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने कहा कि भूपेंद्र हुड्डा पार्टी छोड़कर नहीं जा रहे हैं। वो पार्टी के साथ ही रहेंगे और चुनाव में जीत दिलाने के लिए आगे आकर काम करेंगे। अशोक तंवर ने कहा कि जो भी लोग कांग्रेस छोड़कर बीजेरी में शामिल हुए हैं उनकी भी वापसी होगी।
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यीक्ष की इस बात पर ऐसा तभी मुमकिन है जब अशोक तंवर बड़ा दिल दिखा कर पूर्व मुख्यमंत्री के लिए अपनी कुर्सी खाली करें, क्योंकि हुड्डा इस वक्त झुकने के मूड में बिलकुल भी नजर नहीं आ रहे हैं। इसके अलावा आगामी विधानसभा चुनाव की कमान भी उनके हाथों से निकल जाएगी। जानकारों का कहना है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने चुनाव में पार्टी की कमान न मिलने के विरोध के तौर पर बगावती तेवर अख्तियार किया था। ऐसे में अगर वो पार्टी में उसी शर्त पर वापसी करेंगे, जब वो अपनी मांग को पूरा करा लेंगे। वैसे भी भूपेंद्र सिंह कांग्रेस के दिग्गज लीडर हैं और अशोक तंवर से ज्यादा उनका प्रभाव राज्य की सियासत में माना जाता है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कांग्रेस में बने रहने पर भारतीय जनता पार्टी की मुख्य लड़ाई कांग्रेस के साथ ही होने वाली है, लेकिन अगर हुड्डा कांग्रेस से अलग हो जाते हैं औऱ वो अपनी अलग पार्टी बना लेते हैं तो विपक्ष पूरी तरह से कमजोर हो जाएगा, जिसका सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिलेगा। वैसे भी पहले से हरियाणा के अन्य दलों में फूट पड़ी हुई है। ऐसे में हुड्डा की वापसी राज्य की सियासत का समीकरण बदल देगी। और भारतीय जनता पार्टी जो लगातार हर चुनाव में मजबूत होती जा रही है उसके लिए भी थोड़ा खतरा तो होगा। हालांकि अभी ये मामला पूरी तरह से शांत तो नहीं हुआ है, लेकिन माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान हुड्डा के सामने झुक जाएगा और उन्हें पार्टी में रोकने में सफल रहेगा। वैसे भी हुड्डा का राज्य की राजनीति में काफी बड़ा योगदान रहा है, वो मुख्यमंत्री रहते हुए कई अच्छी बुरी खबरों की वजह से चर्चा में बने रहे हैं। उनकी एक कद्दावर छवि का फायदा कांग्रेस जरूर उठाना चाहेगा औऱ हरियाणा में कांग्रेस वापसी की कोशिश जरूर करेगा।