Headline

सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

TaazaTadka

मोदी जी आप जीडीपी के दाग किस रेनकोट में छिपाएंगे?

30 अगस्त 2019 को जीडीपी के नए आंकड़े सामने आए। ये सिर्फ आंकड़ें नहीं थे बल्कि मोदी सरकार के लिए एक सिरदर्द बन कर रह गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार जीडीपी के आंकड़े 5 फीसदी पर आ गए हैं। कहां नरेंद्र मोदी अर्थव्यवस्था के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते थे, लेकिन पिछले 5 सालों की मोदी सरकार में ये अपने सबसे निचले स्तर पर है। विपक्ष सरकार को घेरने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ रहा है और सरकार भी इनसे बचने के बहाने खोजने में पूरी जी जान से लगी हुई है। लेकिन ये जीडीपी में हो रही गिरावट नई नहीं है, इसकी भविष्यवाणी दो साल पहले ही कर दी गई थी, ये किसी ज्योतिषी या फिर पंडित ने नहीं बल्कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने की थी। उन्होंने तभी करार कर दिया था कि जीडीपी गिरने की पटकथा लिख दी गई है। और 2 साल बाद इसका असर नजर आएगा।

ये बात है साल 2016 की, 24 नवंबर को संसद में नोटबंदी के विषय पर बहस चल रही थी। तब तक नोचबंदी को 15 दिन से ज्यादा का वक्त हो चुका था और जनता लाइन में लगी हुई थी। जिस वजह से संसद से लेकर सड़क तक माहौल काफी ज्यादा गर्म हो गया था। कुछ जानें भी जा चुकी थी, कहीं पर लोग परेशानी में थे, बैंकों के चक्कर, एटीएम खाली पड़े थे, पुराने और नए नोटों के बीच में खेल चल रहा था। तभी राज्यसभा में भाषण देने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह खड़े हुए और उन्होंने नोटबंदी को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरा करार दिया, उन्होंने साफ रूप से कहा था कि इससे देश की जीडीपी में लगभग 2 फीसदी की गिरावट आएगी। साथ ही डॉ मनमोहन सिंह ने कहा था कि ये आंकड़ा अनुमान से कम ही है, अधिक नहीं। जिस तरह से सरकार हर दिन नए नियम बना रही है, उससे यही लग रहा है कि नोटबंदी को लागू करने से पहले कोई रणनीति नहीं बनाई गई थी। इसकी वजह से सरकार इसे लागू कर पाने में असफल रही हैं, मैं नोटों को रद्द किए जाने के उद्देश्य से असहमत नहीं हूं, लेकिन इसे ठीक तरह से लागू नहीं किया गया।

मनमोहन सिंह के साथ-साथ कई अर्थशास्त्रियों ने एक ही सुर में कहा था कि नोटबंदी गलत नहीं है लेकिन इसका तरीका गलत रहा है। मनमोहन सिंह ने कहा था कि नोटबंदी को मान्यमेंटल मिसमैनेजमेंट यानी की गलत तरीके से किया गया प्रबंधन, जिसे कभी भूला नहीं जा सकता है बताया था। बीजेपी ने पूर्व प्रधानमंत्री की बातों को सिरे से नकार दिया था। तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इसे लॉन्ग टर्म में अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद बताया था और इसके साथ ही पीएम मोदी ने भी डॉ. मनमोहन सिंह पर तंज भी कसा था। फरवरी 2017 में संसद के बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण का जवाब देते हुए पीएम ने कहा था कि मनमोहन सिंह जी पूर्व पीएम हैं, आदरणीय हैं। पिछले 30-35 सालों से भारत के आर्थिक फैसलों के साथ उनका सीधा संबंध रहा है। आधा समय उनका ही दबदबा था, ऐसा देश में कोई नहीं रहा होगा। लेकिन हम राजनेता मनमोहन सिंह से सीख सकते हैं। मनमोहन सिंह पर कभी कोई दाग नहीं लगा और बाथरूम में रेनकोट पहन कर नहाना ये कला मनमोहन जी के अलावा कोई नहीं जानता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उस वक्त का ये अहंकार आज पूरी तरह से चूर-चूर हो रहा है, जब उन्होंने मनमोहन सिंह जैसे लोगों की बात को नजरअंदाज कर अपने तानाशाही फैसलों को जनता पर थोप तो दिए। लेकिन आज इनका परिणाम क्या है, वो जगजाहिर है, हां हो सकता है कुछ भक्त अभी भी नरेंद्र मोदी की भक्ति में लीन होंगे, लेकिन सच को झुठला नहीं सकते हैं। और सच यही है कि मनमोहन सिंह की तब कही हुई बात आज सच बनकर हमारे सामने हैं। आज क्या कहेंगे नरेंद्र मोदी जी, आप अपने इन दागों को किस रेन कोट से छिपाएंगे?

सच साबित हो रही डॉ. मनमोहन सिंह की बात?

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जीडीपी 5.8 फीसदी से घटकर 5 फीसदी पर आ गई है। मोदी सरकार में ये सबसे निचले स्तर पर है और रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की जीडीपी का अनुमान घटाकर 6.9 फीसदी किया है। पहले चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी 7 फीसदी रहने का अनुमान रखा गया था। वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही के दौरान जीडीपी की रफ्तार 7.9 फीसदी थी। यानी नोटबंदी के बाद से लगातार जीडीपी में गिरावट आई है। ऐसे में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भविष्यवाणी सही साबित होती दिख रही है।

5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का है लक्ष्य

ये आंकड़े ऐसे समय में आए हैं जब दुनियाभर की रेटिंग एजेंसियां भारत के जीडीपी अनुमान को घटा रही हैं। हाल ही में इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड ने भारत की सालाना जीडीपी ग्रोथ का अनुमान भी 7.3 फीसदी से घटाकर 6.7 फीसदी कर दिया है। एजेंसी का मानना है कि खपत में कमी, मॉनसून की बारिश अपेक्षा से कम, मैन्युफैक्चरिंग में कमी आदि की वजह से लगातार तीसरे साल अर्थव्यवस्था में सुस्ती रह सकती है।

सबसे मजेदार बात ये है कि मोदी सरकार ने अगले पांच साल में देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा हुआ है। लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके लिए लगातार कई साल तक सालाना 9 फीसद की ग्रोथ रेट होनी चाहिए।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.