नई दिल्ली: वैश्विक भूख सूचकांक यानी कि किस देश में कितनी भुखमरी है. इसमें जब भारत 102वें स्थान पर आया तो लोगों ने हल्ला काट दिया. बोले देश की सरकार ने आखिर अब तक किया क्या. लेकिन ये नासमझ लोग सरकार की असली चाल नहीं समझ रहे हैं कि आखिर इस अंक तक लेकर क्यों आए हैं. हम बताते हैं इसके पीछे वाली असली वजह.
देखों मित्रों सबसे जरूरी बात पहले. राम मंदिर बनवाना सरकार का और देश की जनता का मुख्य उद्देश्य है. अब इसके लिए कहा गया था कि आधी रोटी खाएंगे राम मंदिर बनवायेंगे. तो इसीलिए ऐसा किया गया है. सरकार आपके राम मंदिर बनवाने के संकल्प को कमजोर नहीं करना चाहती थी इसीलिए उसने ऐसे हालात बना दी कि आपको खाने के लिए आधी रोटी ही मिले. अब बताइए ये कहा गलत हुआ. राम मंदिर जब बन जाए तो फिर वैसे भी सबके घर में खाना खुद चलकर आएगा और कहेगा “प्रभु आज भोजन नहीं लेंगे का अब तो मंदिरों बन गया”.
यार हमारे नेताओं और मीडिया का यहाँ तक कि पीएम का हर समय एक ही उद्देश्य रहता है की कैसे पाकिस्तान से हम आगे निकले. वैसे तो हर जगह आगे हैं और उससे अधिक अंक हैं तो यहाँ कैसे कम रहते. इसीलिए पाकिस्तान अगर 94 नम्बर पर है तो हमने कहा कि नहीं हमें कम से कम सौ से अधिक अंक चहिये. भूख से लोग मरते हैं तो क्या पाकिस्तान से आगे होना चहिये बस. ये बात थी मित्रों असली, समझे की नहीं. दिमाग लगाओ दिमाग….
अभी खबर आई थी की यूपी में पच्चीस हजार होम गार्ड एक साथ निकाल दिए गए. पच्चीस हजार मतलब समझ रहे हैं ना. इतने ही परिवारों के ऊपर खाने का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में वो कहाँ जायेंगे उन्हें खुद नहीं पता. सड़कों में भीख मांग रहे हैं. तो सरकार ने उन्हें ये बताने के लिए ये रैंकिंग निकलवाई है की भईया आप नहीं बल्कि पूरे देश में भुखमरी है. जिससे वो लोग नौकरी ना मांगे और उन्हें दिलासा मिलती रहे की चलो सब साथ हैं. मोदी जी ने इसीलिए कहा था “सबका साथ, सबका विकास”.
अब ये मत कहिना कि ये नारा आपने सुना नहीं है. भाईसाब ये वही नारा है जो चिल्ला-चिल्लाकर चुनावों के समय प्रधान सेवक द्वारा बोला जाता रहा है. अब आप इसे भले ही भूल गए हों लेकिन सरकार और हमाए मोदी जी इसे नहीं भूले हैं. उन्होंने कहा था ना खाऊंगा ना खाने दूंगा. बस इसे थोडा चेंज करके ये कर दिया है कि “खाने नहीं दूंगा” क्योकि वो जनता की पहले सोचते हैं. इन्ही शब्दों का ध्यान रखते हुए सरकार ने ऐसे कदम उठाए की देश में भुखमरी आ गई. अब बताइए फिर आप कहेंगे की सरकार वादा पूरा नहीं कर रही है. हिपोक्रेसी की भी सीमा होती हैं मित्रों……
वैसे मोदी ने हर कोशिश करके देख ली है कि लोग उनकी वाली गरीबी और आभाव महसूस करें. यानी की फकीरी जो उनमे है(प्रसून जोशी वाली). मोदी जी जैसे आर्थिक तंगी से गुजरे, जैसे भिक्षा मांगकर खाई ये सब. सरकार और पीएम चाहते थे कि पूरा देश उनके दिश-निर्देशों पर चले. यानी की मोदी जी के बताये और जिए हुए रास्ते पर. ऐसे में पहले नोट्बंदी करके सबसे पैसा ले लिया और फिर नौकरी छीनकर बेरोजगार कर दिया. इसके बाद खाने का संकट. अब बताओं आप कैसे नहीं चलोगे मोदी जी के पथ पर. यार देश में अपने पथ में चलाने वाले पहले प्रधानमंत्री मोदी जी. बोलो मित्रों क्या मैं गलत हूँ…
तो समझे आप कि आखिर किस वजह से सरकार ने ऐसा प्लान किया है कि लोग भूखे रहे. आपको लगता होगा की ये सब गलत है. लेकिन भाइओ-भेनों ये सब एक सोची समझी बेहतर नीति है. अब बताओं विकास हुआ की नहीं,..हुआ की नहीं….. तो चाहिए फिर (बिग थैंकू फॉर बीइंग हियर)