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एनसीआरबी के आंकड़ों पर सबकी चुप्पी बहुत कुछ कह जाती है

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी की एनसीआरबी ने सोमवार को साल 2017 के अपराध के आंकड़ें जारी कर दिए हैं। एनसीआरबी के द्वारा लगभग 1 साल देरी से साल 2017 में हुए अपराध संबंधी रिपोर्ट जारी कर दी
Information Taranjeet 23 October 2019

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी की एनसीआरबी ने सोमवार को साल 2017 के अपराध के आंकड़ें जारी कर दिए हैं। एनसीआरबी के द्वारा लगभग 1 साल देरी से साल 2017 में हुए अपराध संबंधी रिपोर्ट जारी कर दी। ये रिपोर्ट तय समय से लगभग एक साल देरी से तो आई ही है। लेकिन दिलचस्प बात तो ये है कि इन आंकड़ों को जारी भी ऐसे वक्त पर किया गया है, जब किसी का ध्यान इन पर नहीं जाएघा। वैसे तो ये माना जाता है कि मोदी सरकार आंकड़ों से डरने वाली सरकार है। या फिर ये भी कह सकते हैं कि सरकार को इन आंकड़ों पर यकीन नहीं होता है। लेकिन हम तो इन पर बात करेंगे, क्योंकि न तो हम सरकार है और न उन मीडिया संस्थानों में से है जो इन मामलों पर चुप्पी साधे बैठे रहते हैं। ये रिपोर्ट 2 राज्यों के चुनाव के बीच में आई, दीवाली का मौका भी है, लोगों के पास इन आंकड़ों पर नजर डालने का वक्त नहीं है। शायद यहीं सरकार की कोशिश है कि इस पर ज्यादा ध्यान न जाएं।

महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार तीसरे साल बढ़ा

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के साल 2017 के नए आंकड़ों के मुताबिक देश भर में साल 2017 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,59,849 मामले दर्ज किए गए हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में लगातार तीसरे साल भी वृद्धि हुई है। साल 2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,29,243 मामले दर्ज किए गए थे और 2016 में 3,38,954 मामले दर्ज किए गए थे। महिलाओं के खिलाफ अपराध के दर्ज मामलों में हत्या, बलात्कार, दहेज हत्या, आत्महत्या के लिए उकसाना, एसिड हमले, महिलाओं के खिलाफ क्रूरता और अपहरण आदि शामिल हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार अधिकतम मामले उत्तर प्रदेश (56,011) में दर्ज किए गए है। उसके बाद महाराष्ट्र में 31,979 मामले दर्ज किए गए। आंकड़ों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में 30,992, मध्य प्रदेश में 29,778, राजस्थान में 25,993 और असम में 23,082 मामले दर्ज किए गए। रिपोर्ट के मुताबिक बलात्कार के मामले पिछले पांच सालों में अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं।

मॉब लिचिंग के आंकड़े गायब

एनसीआरबी के द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में मॉब लिंचिंग के आंकड़ों को कोई जगह नहीं दी गई है। इस पर इंडियन एक्सप्रेस से एक अधिकारी ने बात की और कहा कि एनसीआरबी ने अपने पूर्व अध्यक्ष ईश कुमार के नेतृत्व में डेटा इकट्ठा करने की प्रक्रिया में बदलाव किया था। इसमें हत्या वाली श्रेणी में भीड़ या खाप पंचायतों द्वारा या फिर धार्मिक कारणों से की गई हत्याओं के आंकड़े अलग से दिए जाने थे। अधिकारी के मुताबिक साल 2015-16 में ही इन्हें जुटाने का काम शुरू हो गया था, लेकिन अब रिपोर्ट में इनका न होना हैरानी भरा है

बच्चों के खिलाफ अपराध 28 फीसदी बढ़ें

बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले साल 2016 में 1,06,958 केस दर्ज हुए जो 2017 में करीब 28 फीसदी बढ़कर 1,29,032 हो गए हैं। इस मामले में यूपी पहले पायदान पर है, जहां ऐसे मामले 2016 की अपेक्षा 19 फीसदी ज्यादा दर्ज हुए। यूपी में 19145, मप्र में 19038, महाराष्ट्र में 16918, दिल्ली में 7852 और छत्तीसगढ़ में 6518 केस दर्ज हुए।

अपहरण की घटनाएं बढ़ी

एनसीआरबी के नए आंकड़ों के मुताबिक साल 2017 में देश भर में संज्ञेय अपराध के 50 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए है। इस तरह 2016 में 48 लाख दर्ज प्राथमिकी की तुलना में 2017 में 3.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। साल 2017 में हत्या के मामलों में 5.9 प्रतिशत की गिरावट आयी। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में हत्या के 28653 मामले दर्ज किए गए जबकि 2016 में 30450 मामले सामने आए थे। इसमें कहा गया कि हत्या के अधिकतर मामले में ‘विवाद’ (7898) एक बड़ा कारण था। इसके बाद ‘निजी रंजिश’ या ‘दुश्मनी’ (4660) और ‘फायदे’ (2103) के लिए भी हत्याएं हुईं। साल 2017 में अपहरण के मामलों में नौ प्रतिशत की बढोतरी दर्ज की गयी। उससे पिछले साल 88008 मामले दर्ज किए गए थे जबकि 2017 में अपहरण के 95893 मामले दर्ज किए गए थे।

किसी को परवाह नहीं

इन आंकड़ों के आने के बाद किसी को न तो कोई फर्क पड़ा, न तो मीडिया ने इन आंकड़ों पर बड़े-बड़े 18 लोगों के पैनल बुला कर चर्चा करना सही समझा, और न तो नेताओं की तरफ से कोई बयान आया। 21 अक्टूबर को आंकड़ें आते हैं और उस दिन हर मीडिया चैनल शाम को 5 बजे से लेकर रात के 10 बजे तक कैसे बीजेपी दोनों राज्यों में सरकार बनाने जा रही है, इस पर चर्चा करता नजर आया। किसी ने इस दिन तो 10 मिनट की भी जगह नहीं दी, जो कुछ मिला वो अगले दिन लेकिन प्राइम टाइम से ये मुद्दा गायब रहा है। महिलाओं की रक्षक बनने वाली नरेंद्र मोदी की सरकार में लगातार 3 साल से महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ा हैं, लेकिन मोदी जी के मुताबिक सब चंगा है। बच्चे पहले तो भूखे ही थे अब इस रिपोर्ट से साफ हो गया कि सुरक्षित भी नहीं है, लेकिन सब अच्छा है। सरकार शुक्र कर रही होगी कि एनसीआरबी मॉब लिंचिंग के आंकड़ें नहीं निकालता, तो शायद तस्वीर कुछ और होती। इन सब मामलों पर भी सब चुप है और ये चुप्पी बहुत कुछ कहती है। ये बताती है कि हम लाचार हो गए हैं। सरकार के खिलाफ बोलने की क्षमता रखना जोखिम है, इसलिए खामोश है। ये चुप्पी बताती है कि हमारी राजनीति सबसे निचले स्तर पर है, क्योंकि विपक्ष तक इन मुद्दों पर खामोश है। ये चुप्पी बहुत कुछ बताती है, बस हमें सुनने की जरूरत है।

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Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.