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भारत में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की नींव रखने वाले महान वैज्ञानिक की मौत का रहस्य

आज भारत एक परमाणु शक्ति संपन्न देश है तो इसमें भारत के महान वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा की सबसे बड़ी भूमिका है। भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने की नींव दरअसल उन्होंने ही डाली थी।
Information Anupam Kumari 16 February 2020
भारत में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की नींव रखने वाले महान वैज्ञानिक की मौत का रहस्य

आज भारत एक परमाणु शक्ति संपन्न देश है तो इसमें भारत के महान वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा की सबसे बड़ी भूमिका है। भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने की नींव दरअसल उन्होंने ही डाली थी। भारत में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की शुरुआत का श्रेय डॉ होमी जहांगीर भाभा को ही जाता है। भाभा एक समृद्ध पारसी परिवार से नाता रखते थे। वर्ष 1909 में उनका जन्म हुआ था। वैज्ञानिक तो वे जरूर थे, लेकिन उनकी रुचि संगीत, नृत्य और चित्रकला आदि में भी थी। भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया था। हालांकि 1966 में रहस्यमई तरीके से उनकी एक विमान दुर्घटना में मौत हो गई थी।

भारत को परमाणु ऊर्जा से संपन्न बनाना ही उनके जीवन का प्रमुख उद्देश्य था। यही वजह थी कि वे इसके लिए बहुत पहले से प्रयासों में जुट गए थे। उन्होंने जेआरडी टाटा की मदद ली। उनकी मदद से उन्होंने मुंबई में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की स्थापना की। होमी जहांगीर भाभा 1945 में इसके निदेशक बन गए। उन्होंने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की अपनी कोशिशें जारी रखीं। इन्हीं कोशिशों के तहत आखिरकार 1948 में उन्होंने भारत में परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना कर डाली। देश को आजादी मिलने के बाद उन्होंने दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जो भारतीय वैज्ञानिक थे, उन सभी से उन्होंने भारत लौटने की अपील कर डाली, ताकि यहां आकर वे अपने देश की उन्नति में योगदान दे सकें और भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बना सकें।

ये बुलाते थे लियोनार्डो द विंची

भारत के महान वैज्ञानिक डॉक्टर सीवी रमन, जिन्हें नोबल पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था, वे होमी जहांगीर भाभा को भारत के लियोनार्डो द विंची के नाम से बुलाया करते थे। देश को परमाणु ऊर्जा से संपन्न होमी जहांगीर भाभा जरूर बनाना चाहते थे, लेकिन वे शांतिपूर्ण कार्यों के लिए इसका इस्तेमाल करने के पक्षधर थे। जब 60 के दशक में बहुत से देश यह तर्क दे रहे थे कि विकासशील देशों को परमाणु ऊर्जा से खुद को संपन्न करने की बजाय अन्य मूलभूत चीजों पर ध्यान देना चाहिए, उस वक्त होमी जहांगीर भाभा इसका यह कहकर जोरदार खंडन करने में लगे हुए थे कि परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल और भी कई विकास के कार्यों के लिए किया जा सकता है। होमी जहांगीर भाभा ने जिस तरीके से विज्ञान के क्षेत्र में अपना योगदान दिया, उसके लिए उन्हें पांच बार भौतिकी के नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था। हालांकि, भारत के ये महान वैज्ञानिक कभी भी नोबेल पुरस्कार के लिए नहीं चुने गए।

ऑल इंडिया रेडियो से की थी घोषणा

भारत परमाणु ताकत बन सकता है, इसे लेकर वे पूरी तरह से आशान्वित थे। उन्होंने तो ऑल इंडिया रेडियो से वर्ष 1965 के दौरान यह घोषणा तक कर दी थी कि यदि उन्हें छूट दी जाती है तो भारत को परमाणु ताकत से संपन्न बनाने में उन्हें मुश्किल से 18 महीने ही लगेंगे। शांतिपूर्ण कार्य जैसे कि देश की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति करना, कृषि के क्षेत्र में पैदावार बढ़ाना और दवाईयों के क्षेत्र में उन्नति करना, उनके परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल के यही सब उद्देश्य थे। यही वजह रही कि उन्होंने प्रयास करना नहीं छोड़ा और जवाहर लाल नेहरू को परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना के लिए भी मना लिया। उन्होंने जो 1950 में इसके अध्यक्ष की जिम्मेवारी संभाली, 1966 तक वे इस पद पर बने रहे। भारत सरकार के सचिव के तौर पर भी भाभा ने काम किया और उनके बारे में तो यह भी कहा जाता है कि कभी भी वे अपने चपरासी उन्होंने अपना ब्रीफकेस नहीं उठाने दिया था।

वो रहस्यमयी दुर्घटना

मॉन्ट ब्लां के नजदीक उनकी बोइंग 707 विमान दुर्घटना में मौत 1966 में 24 जनवरी को हो गई थी। यह एयर इंडिया का विमान था और न्यूयॉर्क जा रहा था। अब यह विमान दुर्घटनाग्रस्त कैसे हुआ, इसका पता आज तक नहीं चल पाया है। कई रिपोट्र्स में तो ऐसी बातें भी सामने आई थीं कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने इसे अंजाम दिया था, मगर कभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई। वर्ष 2008 में CIA के एक अधिकारी रॉबर्ट टी क्राओली के एक पत्रकार ग्रेगरी डगलस के साथ कथित बातचीत को एक वेबसाइट ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था।

CIA धिकारी से बातचीत

इसमें रॉबर्ट को यह कहते हुए बताया गया था कि 60 के दशक में भारत परमाणु ताकत बनने की ओर बढ़ रहा था, जिसमें उसे रूस का सहयोग मिल रहा था। कहते हैं कि इसी दौरान इस सीआईए अधिकारी ने होमी जहांगीर भाभा का भी जिक्र कर दिया था और कहा था कि वे यकीनन बड़े ही खतरनाक थे। उनके हवाले से यह भी कहा गया था कि दुर्भाग्यपूर्ण हादसे में उनकी मौत हो गई थी। समस्या को और बढ़ाने के लिए उन्होंने वियना के लिए उड़ान भरी थी। उसी दौरान बोइंग 707 के कार्गो में जो बम रखा गया था, उसमें विस्फोट होने की वजह से प्लेन क्रैश हो गया था। हालांकि, सीधे तौर पर कभी इस बातचीत की भी पुष्टि नहीं हो पाई थी और भारत के इस महान वैज्ञानिक की मौत बस एक रहस्य बन कर ही रह गई।

Anupam Kumari

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