कोरोनावायरस (corona virus) दुनियाभर में बेहद गंभीर रूप धारण करता जा रहा है। इससे संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। यहां तक कि भारत भी इससे अछूता नहीं रह गया है। भारत में भी कोरोनावायरस से संक्रमण के 100 से भी अधिक मामले सामने आ चुके हैं और अब तक 3 लोगों को इसकी वजह से अपनी जान तक गंवानी पड़ी है। ऐसे में सोशल मीडिया में भी कोरोनावायरस से जुड़ी कई तरह की जानकारी वायरल हो रही है। फेसबुक और व्हाट्सएप आदि के जरिए तरह-तरह के दावे कोरोनावायरस को लेकर किए जा रहे हैं। ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी आगे आकर इस मामले में अपनी तरफ से बयान देना पड़ा है। यहां हम आपको कुछ ऐसे ही दावों के बारे में बता रहे हैं जो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल तो हो रहे हैं, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (who) ने इन्हें नकार दिया है।
आयुर्वेद में लहसुन के सेवन के बहुत से फायदे बताए गए हैं। आयुर्वेद में बताया गया है कि जो लोग लहसुन का सेवन करते हैं, सर्दी’ खासी जैसी बीमारियां उन्हें कम प्रभावित करती हैं। यही नहीं, कोलेस्ट्रोल जैसी समस्याओं से भी लड़ने में लहसुन बड़ा ही मददगार होता है। वैज्ञानिकों ने भी लहसुन के फायदे को स्वीकार किया है। सोशल मीडिया में इन दिनों तेजी से ऐसे मैसेज वायरल हो रहे हैं कि यदि आपको कोरोनावायरस से बचना है तो आप लहसुन का खूब सेवन करें। लोग इस मैसेज को फॉरवर्ड करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। हालांकि यदि आप कोरोनावायरस के शिकार होते हैं या फिर कोरोनावायरस नहीं होने पर भी लहसुन का सेवन अधिक मात्रा में करते हैं तो इससे आपको नुकसान पहुंच सकता है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में एक खबर भी बीते दिनों प्रकाशित हुई थी, जिसमें बताया गया था कि एक महिला ने इसी चक्कर में करीब डेढ़ किलो लहसुन खा लिया, जिसकी वजह से उसके गले में काफी समस्या पैदा गई थी।
सोशल मीडिया पर इन दिनों यह मैसेज भी तेजी से वायरल होता हुआ नजर आ रहा है कि हर 15 मिनट में आप कोरोनावायरस से बचने के लिए पानी पीते रहें। इस मैसेज में यह दावा किया जा रहा है कि यदि आप हर 15 मिनट में पानी पीते रहते हैं तो इससे सांसों के जरिए जो कोरोनावायरस आपके शरीर में पहुंचा है, वह पानी के साथ अंदर पेट में चला जाएगा। पेट में पहुंचने के बाद हाइड्रोक्लोरिक एसिड इस कोरोनावायरस का खात्मा कर देगा। वैसे, पानी पीने में कोई बुराई नहीं है। पानी तो हर इंसान को पर्याप्त मात्रा में पीते रहना चाहिए, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से बताया गया है कि हर 15 मिनट में पानी पीने से कोरोनावायरस का इलाज होने का अब तक कोई भी प्रमाण नहीं मिला है।
एक और मैसेज सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है कि जैसे ही गर्मी का मौसम आएगा कोरोनावायरस खत्म हो जाएगा, क्योंकि यह गर्मी को नहीं झेल सकता है। भारत के लोगों को डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि मार्च के बाद जब गर्मी आ जाएगी तो वायरस भी समाप्त हो जाएगा। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि कोरोनावायरस उन देशों में भी फैल रहा है, जहां गर्मी का मौसम है और बेहद उमस भरा मौसम भी है। इसलिए इस भुलावे में रहने की जरूरत नहीं है।
सोशल मीडिया में यह भी बताया जा रहा है कि शराब पीने वालों पर कोरोनावायरस का असर नहीं होगा। इसलिए जिन्हें कोरोनावायरस से बचना है, वे शराब पीएं। हालांकि, इसे भी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गलत करार दिया है। ईरान में तो कोरोना वायरस से बचने के चक्कर में अधिक शराब पीने की वजह से करीब 27 लोग अपनी जान से हाथ भी धो चुके हैं।
सोशल मीडिया में यह मैसेज भी वायरल हो रहे हैं कि जिनकी नाक नहीं बह रही, मगर उन्हें सूखी खांसी है, वे कोरोनावायरस के शिकार हैं। कोरोनावायरस के लक्षणों में से यह भी एक जरूर है और साथ ही बुखार थकान और खांसी होना भी कोरोनावायरस के लक्षणों में है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया है कि कई मरीजों में बहती हुई नाक और डायरिया की शिकायत तक देखी गई है। कई मरीजों में तो किसी तरह के कोई लक्षण ही नजर नहीं आए।
ठंडा मौसम के कोरोनावायरस को वायरस को मारने वाली बात पर यकीन करने की कोई वजह ही नहीं है। इंसानों के शरीर का सामान्य तापमान लगभग 36.5 डिग्री सेल्सियस से 37 डिग्री सेल्सियस तक रहता है चाहे बाहर का तापमान या मौसम कैसा भी हो। सबसे बढ़िया तरीका खुद को कोरोनावायरस से बचाने का यही है कि बार-बार अल्कोहल वाले सैनिटाइजर हाथों में रगड़ते रहें या फिर साबुन और पानी से अच्छी तरह से हाथ धोते रहे।
जी नहीं, ऐसा नहीं है। आप जिस गर्म पानी से नहा रहे हैं, उसका तापमान चाहे कितना भी हो, मगर आपके शरीर का तापमान लगभग 36.5 डिग्री सेल्सियस से 37 डिग्री सेल्सियस तक ही रहता है। ज्यादा गर्म पानी से भी यदि आप नहाते हैं तो यह भी आपके शरीर को नुकसान पहुंचाता है, क्योंकि इसकी वजह से आप जल भी सकते हैं। सबसे बढ़िया तरीका है कि हाथों को आप लगातार धोते रहें, क्योंकि इससे वायरस दूर होंगे और संक्रमण से भी आपका बचाव होगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक यह भी गलत है। आज तक ऐसा कोई भी प्रमाण नहीं मिला है, जो यह साबित करता हो कि मच्छरों के काटने की वजह से कोरोनावायरस फैलता है। नया कोरोनावायरस पूरी तरह से एक श्वसन वायरस है जो मूल रूप से उन कणों के जरिये फैलता है जो इससे संक्रमित लोगों के खांसने या छींकने पर निकलता है या फिर उन कणों से फैलता है जो उनके लार या नाक से निकलने वाले पानी के जरिये बाहर आते हैं। जिन्हें खांसी आ रही हो या जो छींक रहे हों, उनसे आप ऐसे में दूरी बनाकर ही रखें तो अच्छा होगा।
नहीं ऐसा नहीं है। हैंड ड्रायर नये कोरोनावायरस को नहीं मार सकते। खुद को बचाने के लिए आपको बस अपने हाथों को धोकर साफ करते रहना है। आप हाथों से सुखाने के लिए पेपर टावल या फिर सूखे एयर ड्रायर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
अल्ट्रावायलेट लैंप का प्रयोग हाथों को वायरस से मुक्त करने के लिए या फिर शरीर की किसी भी त्वचा पर नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसकी वजह से त्वचा में एलर्जी की समस्या पैदा हो सकती है।
थर्मल स्कैनर से जिन लोगों को कोरोनावायरस के संक्रमण की वजह से बुखार हुआ है, उन लोगों की पहचान हो जाती है, लेकिन कोरोनावायरस के ऐसे मरीज जो संक्रमित हैं, लेकिन उन्हें अब तक बुखार ने नहीं जकड़ा है, उनकी पहचान इससे नहीं हो पाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कोरोनावायरस के संक्रमण की चपेट में आने के बाद करीब दो से 10 दिन लग जाते हैं लोगों के बीमार पड़ने और बुखार आने में।
नहीं ऐसा संभव नहीं है। यदि वायरस पहले ही आपके शरीर में प्रवेश कर गये हैं तो फिर इन्हें छिड़कने से भी वे नहीं मरने वाले। इन्हें छिड़कने से उल्टा कपड़ों के साथ आपके आंख, मुंह आदि को नुकसान पहुंच सकता है। अल्कोहल और क्लोरीन का इस्तेमाल सतह को साफ करने के लिए किया जा सकता है, लेकिन उन्हें सही तरीके से इस्तेमाल में लाने की जरूरत होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक न्यूमोनिया में लगने वाला कोई भी टीका कोरोनावायरस से आपका बचाव नहीं कर सकता है। यह वायरस इतना नया और अलग है कि इसके लिए एक अलग ही टीके की जरूरत पड़ेगी। शोधकर्ता इसका टीका विकसित करने में लगे हुए हैं और डब्ल्यूएचओ भी उन्हें समर्थन दे रहा है।
किसी भी तरह का एंटीबायोटिक वायरस के खिलाफ काम नहीं कर सकता है। यह केवल बैक्टीरिया यानी कि जीवाणु के खिलाफ ही लड़ सकता है। नया कोरोनावायरस दरअसल एक वायरस यानी कि विषाणु है। इसलिए इसे रोकने या फिर इसके इलाज के लिए एंटीबायोटिक का प्रयोग करना ही नहीं चाहिए। हालांकि यदि आप कोरोनावायरस के संक्रमण की वजह से अस्पताल में भर्ती हैं तो आपको एंटीबायोटिक दी जा सकती है, क्योंकि यहां बैक्टीरिया का भी संक्रमण होना संभव है।