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विक्रम हो या सोफिया, दोनों को ही नहीं मिली दबंग पुलिस से मदद

गाजियाबाद में पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या और लखनऊ विधानसभा के सामने आत्मदाह करने वाली महिला सोफिया की अस्पताल में मौत। में पुलिस कठघरे में।
Logic Taranjeet 26 July 2020
विक्रम हो या सोफिया, दोनों को ही नहीं मिली दबंग पुलिस से मदद

जब विकास दुबे को कथित एनकाउंटर में मारा गया तो क्या संदेश देने की कोशिश थी? क्या ये कि यूपी में जो अपराध करेगा वो बचेगा नहीं? अगर हां तो फिर क्यों इस ठोको नीति के बाद भी विक्रम,सोफिया की मौत केवल इसलिए क्योंकि उन्होंने दबंगो के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई। 

गाजियाबाद में बीच सड़क पर बदमाश गोली मारकर चले गए? यूपी की 2 घटनाएं एकदम दोनों दिल तोड़ देने वाली हैं और बहुत ज्यादा डरावनी भी है। गाजियाबाद में पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या और लखनऊ विधानसभा के सामने आत्मदाह करने वाली महिला सोफिया की अस्पताल में मौत। विक्रम,सोफिया मर्डर केस में पुलिस कठघरे में है।

गाजियाबाद में पत्रकार की हत्या

गाजियाबाद में पत्रकार विक्रम जोशी का परिवार एक साल से पुलिस से गुहार लगा रहा था कि प्लीज हमारी मदद कीजिए। कुछ गुंडे हमारी लड़की को छेड़ते हैं, 16 जुलाई को भी परिवार ने लिखित शिकायत दी थी, लेकिन एक्शन नहीं हुआ। उल्टा बदमाश एक्शन में आ गए और उन्होंने 20 जुलाई की रात को विक्रम जोशी को बीच सड़क गोली मार दी।

विक्रम की बहन पायल ने कहा है कि अगर पुलिस समय पर एक्शन ले लेती तो आज ये वारदात नहीं होती। पुलिस अब हरकत में आई है, जब काफी देर हो चुकी है। 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और स्थानीय चौकी इंचार्ज को सस्पेंड किया गया है।

लोगों में आक्रोश

इस मामले पर लोगों में काफी गुस्सा है कि इलाके के पत्रकार बुधवार को धरने पर बैठ गए। एकदम रटे रटाए अंदाज में विक्रम जोशी की हत्या के बाद शासन ने परिवार को 10 लाख रुपए का मुआवजा देने का ऐलान कर दिया और पत्नी को नौकरी दी जाएगी और उनके बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी।

हालांकि इस मामले पर अब राजनीति भी शुरु हो गई है और प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर दिया है। उन्होंने लिखा कि गाजियाबाद NCR में है तो आप पूरे यूपी में कानून-व्यवस्था का अंदाजा लगा लीजिए। एक पत्रकार को इसलिए गोली मार दी गई क्योंकि उन्होंने भांजी के साथ छेड़छाड़ की तहरीर पुलिस में दी थी। इस जंगलराज में कोई भी आमजन खुद को कैसे सुरक्षित महसूस करेगा?

विधानसभा के सामने आत्मदाह

वहीं लखनऊ में विधानसभा के सामने मां सोफिया और बेटी गुड़िया ने आत्मदाह करने की कोशिश की थी, इनकी मौत भी 22 जुलाई को ही हुई। अब इसके पीछे की कहानी सुनिए। सोफिया की बेटी गुड़िया ने कहा कि दबंग मेरी मां को पीट रहे थे। मैं बचाने गई तो मुझे भी पीटा, मेरे कपड़े फाड़े, छेड़छाड़ की और मैंने मामला दर्ज कराया। दबंग थाने आकर ही मामला दर्ज न करने का दबाव बनाने लगे। किसी तरह का मामला दर्ज कराकर घर पहुंची तो वो मेरे घर आए और मुझे उठाकर ले गए।

मुझे बंधक बनाकर रखा, पीटा, छेड़छाड़ की और मिट्टी का तेल डालकर जलाने की कोशिश की। मैं किसी तरह बचकर भागी और घर बार छोड़कर इलाके से बाहर चली गई। कुछ नेता, आरोपी और दारोगा ने मिलकर उल्टा मेरे ऊपर ही झूठी एफआईआर दर्ज करा दी है। मुझे समझौता न करने पर जान से मारने की धमकी दी जा रही है। थाने के लोग आरोपियों और नेताओं से मिले हुए हैं। मुझे वहां से इंसाफ नहीं मिलेगा। मेरे खिलाफ मामला खत्म किया जाए।

गौर कीजिएगा कि गुड़िया और उसकी मां ये सब मई से झेल रही थीं। पूरा जून बीता और मदद के लिए 6 जुलाई को उन्होंने चिट्ठी लिखी थी। लेकिन मदद नहीं मिली और हारकर दोनों ने 17 जुलाई को विधानसभा के सामने आत्मदाह करने की कोशिश की। अब गुड़िया की मां गुजर चुकी हैं। इसका जिम्मेदार कौन है?

Taranjeet

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A writer, poet, artist, anchor and journalist.