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बिहार में क्यों कट गया नीतीश के भरोसेमंद सुशील मोदी का पत्ता

सुशील मोदी की ऐसी कार्यशैली ही राज्य में भाजपा को छोटा भाई और फॉलोवर बनाती है। अब जैसे ही नतीजों में जेडीयू पर भाजपा पूरी तरह से भारी पड़ी है।
Logic Taranjeet 19 November 2020

अब नीतीश कुमार एक बार फिर से मुख्यमंत्री बन गए हैं। लेकिन उनके ‘भरोसेमंद’ डिप्टी सीएम सुशील मोदी का ‘पत्ता’ कट गया है। इस बार उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी नहीं बने हैं और इसका दर्द भी साफ झलका है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि कार्यकर्ता का पद तो कोई छीन नहीं सकता। इसी ट्वीट के बाद उनके सहयोगी और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी हिदायत दे दी और कहा कि सुशील जी आप बीजेपी के नेता रहेंगे ,पद से कोई छोटा बड़ा नहीं होता। ऐसा माना जाता है कि नीतीश कुमार के लिए अक्सर ‘फिल्डिंग’ करते नजर आते सुशील कुमार मोदी से बिहार भाजपा का एक हिस्सा काफी नाराज था।

जहां एक तरफ चुनाव से पहले बिहार भाजपा के नेता संजय पासवान, सीपी ठाकुर जैसे कई लोग नीतीश कुमार की जगह किसी और को मुख्यमंत्री बनाने की बात कहते दिख रहे थे। तो वहीं सुशील मोदी पूरे दमखम के साथ नीतीश का साथ दे रहे थे। ऐसे में कुछ लोग ऐसा भी मानने लगे थे कि सुशील मोदी की ऐसी कार्यशैली ही राज्य में भाजपा को छोटा भाई और फॉलोवर बनाती है। अब जैसे ही नतीजों में जेडीयू पर भाजपा पूरी तरह से भारी पड़ी है तो लगाम को ध्यान में रखते हुए सुशील कुमार मोदी का पत्ता कटा है।

अगला नेता भी तो तैयार करना है

एक और बात ध्यान देने की है कि अगर सोचा जाए तो बिहार में नीतीश कुमार के बाद एनडीए का अगला नेता कौन है? जो नेता 31 साल के युवा तेजस्वी यादव को टक्कर दे सके इतना दम बिहार में अब किसके पास है। भाजपा के मन में यही सवाल है, जहां राज्य में टक्कर देने लायक कोई नया चेहरा नहीं है। अब भाजपा भले ही किसी यंग लीडर को ये डिप्टी सीएम का पद दे या ना दे लेकिन इस बदलाव के बाद वो जता देगी कि भविष्य में राज्य को वो अकेले अपने दम पर भी संभालन के लिए तैयार है। कुल मिलाकर बिहार सरकार में भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा सुशील मोदी की राज्य की सियासत अब खत्म होने की कगार पर आ गई है, हालांकि हो सकता है कि उन्हें केंद्र में जगह मिल जाए।

सुशील मोदी का सियासी सफर

बात अगर सुशील मोदी के सियासी सफर की करें तो उन्होंने पटना छात्रसंघ के महामंत्री से लेकर डिप्टी सीएम तक की भूमिका निभाई है। वो साल 2000 में पहली बार संसदीय कार्यमंत्री बने और साल 2005 से 2013 तक बिहार सरकार में डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री की भूमिका निभाते रहे हैं। सुशील कुमार मोदी ने GST सिस्टम लागू करने और उसके बाद पैदा हुई कई दिक्कतों को हल करने में अहम भूमिका निभाई है। वहीं कांग्रेस शासन के दौरान सुशील मोदी GST सिस्टम को लागू किए जाने के लिए बनाई गई एक सशक्त समिति के अध्यक्ष भी थे।

साल 1986 तक संघ के प्रचारक के नाते वो विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता रहे। सुशील मोदी पहली बार साल 1990 में विधानसभा पहुंचे थे और पटना केंद्रीय विधानसभा क्षेत्र से ही साल 1995 और 2000 में भी जीतकर वो विधायक बने थे। साल 2004 में उन्होंने संसद का रुख किया और भागलपुर से लोकसभा पहुंच गए थे। लेकिन अगले ही साल इस्तीफा देकर विधान परिषद के रास्ते बिहार सरकार में पहुंचे और डिप्टी सीएम का पदभार ग्रहण किया था। 2012 और 2018 में विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित हुए थे। अब हो सकता है कि वो केंद्र सरकार में कोई पद संभालने की तरफ आगे जाएं।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.