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देश भर के किसान छीनने जा रहे हैं मनोहर लाल खट्टर की कुर्सी

मनोहर लाल खट्टर की चुनौतियां और मुश्किलें अपनी जगह हैं, दुष्यंत चौटाला के लिए सरकार में बने रहने है या फिर अलग होने का फैसला सबसे ज्यादा कठिन है।
Logic Taranjeet 5 December 2020

कैप्टन अमरिंदर सिंह इस वक्त कांग्रेस के लिए खास कर भूपिंदर सिंह हुड्डा के लिए मसीहा बने हुए हैं। जिस तरह से अमरिंदर सिंह किसानों का समर्थन कर रहे हैं, उससे हुड्डा और कांग्रेस को जरूर फायदा होगा। हुड्डा पहले भी कैप्टन का तरीका अपना कर राजनीतिक फायदा ले चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनावों में भी भूपिंदर सिंह हुड्डा कैप्टन के स्टाइल में नजर आए थे। भूपिंदर सिंह हुड्डा ने सोनिया गांधी के साथ हुई मुलाकात से पहले बिलकुल कैप्टन अमरिंदर के स्टाइल में मैसेज देना शुरू कर दिया था कि वो नई पार्टी बना सकते हैं।

उसके बाद तो जैसे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने कट्टर विरोधी और राहुल गांधी के करीबी प्रताप सिंह बाजवा को ठिकाने लगाया था, भूपिंदर सिंह हुड्डा ने उससे भी बुरा हाल अशोक तंवर का किया था। हालांकि नतीजे जरूर दोनों चुनावों में अलग रहे थे। भूपिंदर सिंह हुड्डा लाख कोशिशें करने के बावजूद, कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरह मुख्यमंत्री की कुर्सी के करीब पहुंचते पहुंचते रह गए।

लेकिन भूपिंदर सिंह हुड्डा के ये अरमान अब लग रहा है पूरे हो सकते हैं, क्योंकि हरियाणा की खट्टर सरकार दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी के समर्थन पर टिकी हुई है। फिलहाल जेजेपी ने धमकी दी है कि अगर आंदोलन खत्म नहीं हुआ तो वो अपना समर्थन वापिस ले लेंगे। अब जब तक कि किसान आंदोलन खत्म नहीं हो जाता, खट्टर सरकार पर तलवार लटकती रहेगी। लिहाजा खतरा बरकरार रहेगा, लेकिन जिस तरीके से खाप पंचायतें एक्टिव हुई हैं और वो भी निकाय चुनावों के वक्त खतरा टलने के आसार भी कम ही दिखते हैं।

खाप भी कर रहे हैं परेशान

कृषि कानूनों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन पर नीतीश कुमार और दुष्यंत चौटाला के नजरिये में कोई खास फर्क नहीं है। नीतीश कुमार भी सपोर्ट कर रहे हैं और दुष्यंत चौटाला एमएसपी पर ठोस आश्वासन चाहते हैं। नीतीश कुमार की तरह दुष्यंत चौटाला गलतफहमी की आशंका तो नहीं जताते, लेकिन ये जरूर साफ कर चुके हैं कि किसानों की नाराजगी खत्म नहीं हुई तो खट्टर सरकार को बचाना भाजपा के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होगा। किसान आंदोलन के बीचों-बीच हरियाणा में 40 खाप पंचायतों की एक महापंचायत बुलाई गयी थी। इस महा पंचायत में तमाम फैसलों के साथ साथ हरियाणा की भाजपा सरकार गिराने को लेकर मुहिम शुरू करने का फैसला भी किया गया है।

खाप पंचायतों के तेवर देखने से तो यही मालूम होता है कि वो खट्टर सरकार को छोड़ने के मूड में नहीं है। अपने मिशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए सबसे पहले खाप पंचायतें इलाके के विधायकों को टारगेट कर रही हैं और महापंचायत में तय हुआ है कि पहले तो शांति के साथ विधायकों से अपील की जाएगी, उसके बाद गांवों में विधायकों की एंट्री बंद कर दी जाएगी। इसके साथ ही, जिन विधायकों के समर्थन से खट्टर सरकार चल रही है, उन पर समर्थन वापस लेने के लिए दबाव बनाने की कोशिश की जाएगी।

एक विधायक छोड़ चुके सरकार

खापों की महापंचायत में एक और बड़ा फैसला हुआ है कि किसान आंदोलन का नेतृत्व पंजाब के किसान ही करेंगे और हरियाणा वाले सपोर्ट करेंगे। इसका असर दिखना शुरु हो गया है क्योंकि दादरी से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने मौजूदा सरकार को किसान विरोधी बताते हुए सपोर्ट वापस ले लिया है। 90 विधायकों वाली हरियाणा विधानसभा में भाजपा के पास 40 विधायक हैं और दुष्यंत चौटाला के पास 10 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के पास 31 विधायक हैं।

राज्य में 7 निर्दलीय विधायक है। अगर दुष्यंत चौटाला समर्थन वापस ले लेते हैं तो भाजपा की खट्टर सरकार गिर सकती है। वैसे दुष्यंत चौटाला के समर्थन वापस लेते ही खट्टर सरकार गिर जाएगी ऐसा भी नहीं है। हो सकता है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को बहुमत साबित करने के लिए कहा जाए। फिर उसको जैसे तैसे मैनेज करने की कोशिश करनी होगी। 7 निर्दलीयों में से अभी एक ने ही घोषित तौर पर सरकार से अलग होने का फैसला लिया है। बाकी 6 अभी भी बाकी है।

भाजपा को मालूम है दुष्यंत की हकीकत

किसान आंदोलन के बीच मनोहर लाल खट्टर सरकार को लेकर कम से कम दो महत्वपूर्ण सवाल तो हैं ही। अगर इन सवालों का जवाब पहले मिल गया तो हरियाणा की भाजपा सरकार का भविष्य समझना आसान हो जाएगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की चुनौतियां और मुश्किलें अपनी जगह हैं, लेकिन दुष्यंत चौटाला के लिए सरकार में बने रहने है या फिर अलग होने का फैसला सबसे ज्यादा कठिन है। वहीं दुष्यंत चौटाला किसान आंदोलन को दरकिनार कर भाजपा का साथ भी नहीं दे सकते हैं।

लेकिन अगर वो सरकार से समर्थन वापिस लेते हैं तो भाजपा को नाराज कर देंगे और इसका आगे जाकर खामियाजा भुगतना पड़ सकता है, क्योंकि जिस तरह से भाजपा की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है, ऐसे में उसके खिलाफ जाना महंगा जरूर पड़ेगा। वहीं दुष्यंत चौटाला के डिप्टी सीएम की कुर्सी पर बैठने से पहले उनके पिता ओम प्रकाश चौटाला को जेल से छोड़ा गया था और वो घर आ गए। ऐसे में सरकार गिरने की स्थिति में इसका उलटा भी हो सकता है।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.