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मायावती की राह पर चल रहे हैं अरविंद केजरीवाल लेकिन रास्ता बेहद अलग

Logic Taranjeet 19 December 2020
मायावती की राह पर चल रहे हैं अरविंद केजरीवाल लेकिन रास्ता बेहद अलग

अरविंद केजरीवाल ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर जंग छेड़ दी है। तो देखा जाए इस बार साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी लगभग हर राज्य में हाथ आजमाएगी।

पिछली बार आम आदमी पार्टी पंजाब और गोवा में चुनाव लड़ी थी, जिसमें उसे मिले जुले परिणाम मिले थे, जहां पंजाब में वो काफी अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाब रही तो गोवा में कुछ असर नहीं हुआ। इस बार पहले ही उत्तराखंड की सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने का मनीष सिसोदिया ऐलान कर चुके हैं। वहीं अब यूपी में भी लड़ने का निर्णय काफी बड़ा और अहम साबित होता है।

2022 के लिए जोर-शोर से तैयारी कर रहे हैं केजरीवाल

हालांकि इस बार जिला परिषद चुनाव में आप का खाता खुला है। जिससे लगता है कि केजरीवाल की हिम्मत बढ़ी है। हालांकि पंजाब में विपक्ष का नेता बनने के अलावा आम आदमी पार्टी दिल्ली से बाहर कहीं भी कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सकी है चाहे फिर वो गोवा हो या गुजरात और हरियाणा। हर जगह पर फीका प्रदर्शन ही रहा है।

अब तो मान कर चलना होगा कि अरविंद केजरीवाल 2022 में होने वाले गोवा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में जोर शोर से हिस्सा लेने जा रहे हैं। दिल्ली में भले ही आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को 2013 के बाद से खड़े तक नहीं होने दिया और भाजपा जैसी पार्टी को भी धूल चटवा रखी है। लेकिन दिल्ली से बाहर जितनी बार चुनाव लड़ने की कोशिश हुई है, अरविंद केजरीवाल की पार्टी को हर बार खराब ही नतीजे लाई है। लेकिन इस बार ऐसा क्या है कि केजरीवाल इतने बड़े पैमाने पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं?

उत्तर प्रदेश के मैदान में उतर रहे अरविंद केजरीवाल कहीं बसपा नेता मायावती की ही तरह तमाम चुनावों में हाजिरी लगाने की कोशिश तो नहीं कर रहे हैं। जिस तरह मायावती पार्टी का जनाधार बचाये रखने के लिए चुनाव लड़ती है, केजरीवाल भी तो कहीं ऐसा नहीं कर रहे हैं। वैसे भी प्रदर्शन दोनों का ही एक जैसा नजर आ रहा है। फर्क सिर्फ राजनीति की शैली का है क्योंकि मायावती सिर्फ दलितों की राजनीति करती है और केजरीवाल पब्लिक वेलफेयर पर जोर देते हैं।

यूपी में क्या कर पाएंगे केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के साथ ही आप सांसद संजय सिंह को यूपी में किस्मत आजमाने की मंजूरी दे दी थी, लेकिन लॉकडाउन और कोरोनावायरस के प्रकोप के चलते सब कुछ ठप पड़ गया।

अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद संजय सिंह ने लखनऊ पहुंचते ही यूपी की योगी सरकार पर हमले शुरू कर दिए थे। केजरीवाल ने अपने सबसे भरोसेमंद साथी संजय सिंह को यूपी का प्रभारी भी बनाया। साल 2017 में पंजाब के प्रभारी भी संजय सिंह ही थे।संजय सिंह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर ठाकुरवाद करने और ब्राह्मण विरोधी राजनीति करने का आरोप लगा चुके हैं।

यूपी चुनाव 2022 लड़ने की घोषणा करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों के लोगों को स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा और अन्‍य मूलभू‍त सुविधाओं के लिए दिल्‍ली क्‍यों आना पड़ता है? आखिर वो इन सुविधाओं का लाभ अपने राज्‍य में क्‍यों नहीं उठा सकते? फिर पूछ भी लिया कि अगर संगम विहार में मोहल्‍ला क्‍लीनिक हो सकती है तो गोमती नगर में भी ऐसा किया जा सकता है। और फिर एक आश्वासन भी दिया कि मैं आपको आश्‍वासन देता हूं कि उत्तर प्रदेश की जनता बाकी सभी पार्टियों को भूल जाएगी।

हालांकि दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं का हाल कोरोना काल में काफी खराब रहा है। इतना बुरा कि केंद्र सरकार को स्थिति संभालने के लिए आगे आना पड़ा। कई चीजों में तो केजरीवाल के हाथ बंधे हुए होते हैं लेकिन कोरोना पर काबू पाने के लिए वो पूरी तरह से स्वतंत्र थे और उनके सारे दावे फेल साबित हुए। वो हर बार इंतजाम की बात करते रहे हैं लेकिन मौका आने पर नजर नहीं आया। हालांकि इसका मतलब ये बिलकुल भी नहीं है कि योगी सरकार ने कोरोना काल में बहुत अच्छा काम किया है उनका हाल भी वैसा ही रहा है। लेकिन भाजपा हेल्थकेयर को मुद्दा बना कर चुनाव नहीं लड़ती ना।

Taranjeet

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A writer, poet, artist, anchor and journalist.