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अमृता शेरगिल भारत की ना होकर भी भारत की संस्कृति को बखूबी दर्शाने वाली चित्रकार

Information Komal Yadav 4 February 2021
अमृता शेरगिल भारत की ना होकर भी भारत की संस्कृति को बखूबी दर्शाने वाली चित्रकार

वैसे तो कला का जादू हमेशा कलाकार पर भारी पड़ता है। लेकिन अमृता शेरगिल उन गिनीचुनी कलाकारों में शुमार थी जो अपनी कला से कहीं ज्यादा जादू भरी थी। हालाँकि उतनी ही जादुई उनकी छोटी-सी उमर की लंबी कहानी है।

भारत के लिए इतना समर्पण दिखाने वाली अमृता शेरगिल जन्म से इतनी भारतीय नहीं थीं। उन्होंने 30 जनवरी, 1913 को हंगरी में पंजाबी पिता और हंगेरियन माता की संतान बनकर जन्म लिया था। हालाँकि पांच साल की उम्र में ही अमृता ने रंगों से अनोखा रिश्ता जोड़ लिया। सन 1921 में जब वे आठ साल की थीं तब वे अपने माता पिता के साथ पहली बार भारत आईं थी और फिर यहीं की होकर रह गईं।

फिर दो साल बाद ही उन्हें उनकी माता के साथ इटली जाना पड़ा। रंगो से उनके रुझान को देखकर उनके पिता ने उन्हें इसकी शिक्षा दिलवाने का निश्चय किया और वहां के प्रसिद्ध कला स्कूल में दाखिला भी करा दिया। हालाँकि अमृता को न तो वह स्कुल रास आया न ही वह देश। और फिर वे इटली छोड़कर भारत लौट आईं। शायद यह अमृता की पहली जिद रही होगी जो उन्होंने पूरी करवाई।

अमृता का दुनिया को देखने का अलग ही नजरिया था

20वीं शताब्दी की शुरुआत तक भी भारत की स्त्रियां चारदीवारी के अंदर की रौनक समझी जाती थीं। हालाँकि पेशेवर औरतें या तो मजदूर या नौकर हुआ करती थी। ऐसे में अमृता का खुद के काम के लिए किसी भी यूरोपीय देश के मुकाबले में भारत को महत्व देना उनकी अलग सोच को दिखाता है। शायद जो उस समय किसी आम औरत की सोच नहीं हो सकती थी।

और उसकी तो बिल्कुल नहीं जिसकी पूरी तरह से परवरिश पश्चिमी तौर-तरीकों से हुई हो। और यह अमृता की दूसरी जिद थी। इस दौरान अजंता की गुफाएं, दक्षिण भारत की संस्कृति, आदि को कैनवास पर उतारते अमृता अनजाने में ही एक नए युग की शुरुआत कर चुकी थीं। और हाँ, क्लासिकल इंडियन आर्ट को मॉर्डन इंडियन आर्ट की और दिशा देने का श्रेय अमृता शेरगिल को ही मिलता है।

16 साल की उम्र में बनी पेरिस के ग्रैंड सालों की एसोसिएट

16 वर्ष की उम्र में अमृता शेरगिल अपनी माता के साथ चित्रकला सीखने पेरिस गयीं। पेरिस में उन्होंने कई प्रसिद्द कलाकारों से चित्रकारी सीखी। उन्होंने अपने शिक्षक, चित्रकार मित्रों और अपने प्रेमी बोरिस तेज़लिस्की से प्रेरणा ली। हालाँकि उनकी शुरूआती पेंटिंग्स में यूरोपिय प्रभाव साफ़ झलकता है। फिर सन 1932 में उन्होंने अपनी पहली सबसे महत्वपूर्ण पेंटिंग ‘यंग गर्ल्स’ प्रस्तुत की। उसके परिणाम स्वरुप उन्हें सन 1933 में पेरिस के ग्रैंड सालों का एसोसिएट बना दिया गया । और तो और यह सम्मान पाने वाली वे पहली एशियाई और सबसे कम उम्र की कलाकार थीं।

1934 में भारत वापस आकर उन्होंने अपने आप को भारत की परंपरागत कला की खोज में लगा दिया और अपनी मृत्यु तक वे यही कार्य करती रहीं। इसी के दौरान उन्हें ब्रिटिश पत्रकार मैल्कम मग्गरिज से प्रेम हो गया था। हालाँकि वे कुछ समय तक शिमला के अपने पुस्तैनी घर में रहीं और फिर सन 1936 के आस-पास भारतीय कला की खोज में यात्रा के लिए निकल गयी। इस कार्य में उनकी मदद कार्ल खंडालावाला ने की थी। अमृता मुग़ल और पहाड़ी चित्रकारी से बहुत ही ज्यादा प्रभावित हुईं और अजंता के गुफाओं की चित्रकारी ने भी उनको बहुत प्रभावित किया था।

ईस्वी सन 1937 में अमृता ने दक्षिण भारत की यात्रा शुरू की और अपनी दक्षिण भारतीय रचना ‘ब्रह्मचारीज’, त्रय– ‘ब्राइड्स टॉयलेट’(Brides toilet), और ‘साउथ इंडियन विल्लेजर्स गोइंग टू मार्केट’ – आदि प्रस्तुत की। हालाँकि इन रचनाओं में उनकी भारतीय विषयों से सहानुभूति साफ़ झलकती है। और यह वो समय था जब उनकी कला में परिवर्तन हो चुका था।

अमृता के शादी से पहले भी थे कई अफेर

सन 1938 में उन्होंने अपने चचेरे भाई विक्टर एगन के साथ शादी कर ली।हालाँकि ऐसा माना जाता है की अमृता शेरगिल कई पुरुषों और स्त्रियों से प्रेम-सम्बन्ध थे। इनमें से कई स्त्रियों के उन्होंने पेटिंग्स भी बनाई। ऐसा कहा जाता है कि उनकी एक प्रसिद्ध पेंटिंग ‘टू वीमेन’ में उनकी और उनकी एक प्रेमिका मारी लौइसे की पेंटिंग है।

सन 1941 में अमृता शेरगिल बहुत बीमार हो गयीं और कोमा में चली गयीं। ये दिन 6 दिसम्बर 1941 का था जब अमृता शेरगिल इस दुनिया को छोड़ कर चली गयी। हालाँकि उनकी मृत्यु का सही कारण तो आजतक किसीको नहीं पता चल पाया पर ऐसा कहा जाता है कि असफल गर्भपात ही उनकी मृत्यु का कारण बना था।

Komal Yadav

Komal Yadav

A Writer, Poet and Commerce Student