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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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सत्ता को खुश करने में लीन कलाकारों और खिलाड़ियों पर क्रोध क्यों ना आए

Logic Taranjeet 5 February 2021
सत्ता को खुश करने में लीन कलाकारों और खिलाड़ियों पर क्रोध क्यों ना आए

किसान 70 दिनों से ज्यादा वक्त से दिल्ली की ठंड में सड़क पर बैठे हैं। कड़ाके की ठंड में वॉटर कैनन झेला, लाठी-डंडे खाएं, आंसू गैस का सामना किया। यहां तक की बिजली पानी बंद हो गया। फिर भी जब इनके हौंसले नहीं टूटे तो सरकार ने पूरी तरह से किलाबंदी कर दी है। लोहे की कीले सड़कों पर गाढ़ दी, हर तरफ कांटे की तारें लगा दी, पक्के बैरिकेड लगा दिए, कुछ वक्त के लिए तो पुलिस वालों को स्टील की लाठियां दे दी गई। फिर भी अटूट खड़े किसानों के समर्थन में जब कुछ अंतरराष्ट्रीय लोगों ने ट्वीट किया तो हमारे देश के ही दोगले स्टार्स को मिर्ची लग गई।

किसान जैसा सलूक अगर एक्टर के साथ हो तो?

अगर ऐसा किसी स्टार, या क्रिकेटर के साथ जो बहुत हल्ला मचा रहे हैं, उनके साथ किया जाए तो वो चिल्लायेंगे कि ये उनका मूल अधिकार है, जीवन जीने का अधिकार है। पूरी दुनिया के ताकतवर उनके पक्ष में आवाज उठाएंगे। हम भी मौलिक अधिकारों के लिए आवाज उठाएंगे। ये स्वाभाविक भी है और होना भी चाहिए। लेकिन देश के किसानों के लिए, आम लोगों के लिए सबकी यही स्वाभाविक प्रतिक्रिया क्यों नहीं है? क्या सत्ता में बैठे ताकतवर लोग आम जनता का खाना-पानी बंद करने का अधिकार रखते हैं? अगर ये आपके साथ हो, आपके बच्चों के साथ हो तब क्या होगा?

आज किसान बैठे हैं और इंटरनेट तक बंद कर दिया गया है ताकि वो अपनी बात जनता को न बता सके। मीडिया को तो सरकारी पीआर ऑफिस बना दिया गया है। स्वतंत्र पत्रकारों और सरकार पर सवाल उठाने वाले लोगों को जेल भेजा जा रहा है। जब सरकार को लगा कि मामला तूल पकड़ रहा है तो भारत की एकता और अखंडता की दुहाई दे रहे हैं। क्या रिहाना नाम का कोई देश है जिसने भारत के अंदरूनी मामले में हस्तक्षेप कर दिया है?

उस ट्वीट में ऐसा क्या था जो सरकार ने अपने सारे लोगों को इकट्ठा कर लिए और अभियान चला दिया? पीछे छोड़ दी कंगना रनौट। ये काम भारत की सरकार कर रही है। भारत के अमीर करोड़पति खिलाड़ी, हीरो, नेता और बिजनेसमैन सब सरकार के साथ खड़े हो कर कह रहे हैं कि स्टैंड टुगेदर, पर यहां किसी को तोड़ कौन रहा है। ये अभियान दरअसल उस नाकामयाबी को छुपाने की साजिश है जो सरकार कर रही है।

सत्ता को खुश करने में मग्न है लोग

अगर आपको भी लग रहा है कि अपने हक के लिए विरोध करने वाली आम जनता देश की दुश्मन है तो आप भी काफी बेवकूफ हैं। अपने ही देश की आम जनता का विरोध कीजिए, उनके खिलाफ दुष्प्रचार कीजिए, नफरत फैलाइये और फर्जी राष्ट्रवाद का मंतर जपते रहिए। आपका ये राष्ट्रवाद बेहद घिनौना और क्रूर है। भारत में सत्ता की दलाली पुराना राष्ट्रीय रोग है। यहां कलाकारों की इतनी ही औकात है कि वो राजाओं को खुश करने के लिए अपनी उनका राग अलापते रहते हैं। आज भी वो ऐसा कर रहे हैं तो आश्चर्य कैसा? अक्षय कुमार, सचिन तेंडुलकर, विराट कोहली, शिखर धवन, सायना नेहवाल, समेत कई सितारों ने रिहाना के ट्वीट के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। हालांकि सिर्फ रिहाना ने यही कहा कि किसान पर बात क्यों नहीं हो रही है।

ऐसे में कई लोगों ने इन सरकारी तंत्र से चलने वाले कलाकारों का विरोध भी किया है। फिर चाहे वो तापसी पन्नू हो या इरफान पठान। तापसी ने जहां एक तरफ बोला कि किसी का एक ट्वीट हमारे देश की एकता को कैसे तोड़ सकता है, तो वहीं इरफान ने भी पूछ दिया कि जब हम जॉर्ज फ्लॉयड के मुद्दे पर अपनी बात सामने रख रहे थे, तो रिहाना हमारे आंतरिक मामले पर अपनी बात क्यों नहीं रख सकती है। देश को जहां एक तरफ अंधभक्तों से आजादी की जरूरत है तो वहीं इन्हें दोगुले कलाकारों से भी आजादी चाहिए।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.