देश की राजधानी में रिंकू शर्मा नामक व्यक्ति की हत्या कर दी गई. और रिंकू की ह्त्या के साथ एक और घटना हमारे देश में हुई जिसके बारे में आपको बताया नहीं गया. वो ये कि हत्या के ठीक बाद हमारे विपक्षी नेताओं का सेकुलरिज्म तुरंत छुट्टी पर चला गया. शायद उसी जगह जहाँ हर साल महाशय जाते हैं. और सरजी का क्या, सरजी को देखकर तो लगता है जैसे खांसी के आगे कुछ बोल ही नहीं पा रहे हैं.
दिल्ली में रिंकू शर्मा की हत्या के बाद तुरंत छुट्टी पर चले जाना वाला भ्रामक शब्द सेकुलरिज्म अब तब लौटेगा जब इसके अंदर वोट दिलवाने की क्षमता आएगी. यानी किसी जगह चुनाव होगा या फिर विपक्षी वोटरों को कोई नुकसान होगा तो ये फटाक से अगली फ्लाइट पकड़कर भारत लौट आएगा. इसके बाद विपक्षी नेताओं और सरजी के ट्विटर हैंडल के जरिए आप सबके सामने परोस दिया जाएगा.
वैसे ही जैसे हर बार होता आया है और इसबार भी कभी ना कभी होगा. देश के अलग-अलग हिस्से में कई सारी ऐसे हत्याएं हुईं जिनके लिए ये शब्द इस्तेमाल किया गया. इस शब्द के नाम पर सरकार से सवाल पूछे गए. सवाल पूछने वाले वही विपक्षी नेता थे जो आज चुप हैं. जिनके मुंह में दही जमा हुआ है. हमारे सरजी तो और ज्यादा पूछते थे. हालाँकि उस समय उनको खांसी अधिक आती थी लेकिन ऐसे मामलों में जाने कहाँ गायब हो जाती है.
ऐसे मौकों पर सरजी इस शब्द को फ्री का टिकट देकर कहीं भगा देते हैं. रिंकू शर्मा की हत्या पर लोग धार्मिक एंगल ढूंढ रहे हैं. ऐसा आप कह सकते हैं लेकिन पहले जो केस हुए उनमें भी आपने धार्मिक एंगल ढूंढें थे. तब आपके पास इस शब्द और इसके कई सारे मायने थे लेकिन आज ये शब्द खुद कहीं गायब हो गया है या फिर इसे गायब कर दिया गया है.
बेशक आपको लगता होगा कि रिंकू शर्मा की हत्या पर धामिक चर्चा नहीं होनी चाहिए लेकिन ऐसा सोचने से पहले आप ये तय कर लें की आगे आने वाले ऐसे किसी केसेस में आप सेकुलरिज्म का डंका नहीं पीटेगे.
रिंकू शर्मा की हत्या पर ना बोलने वाल केजरीवाल को हम कहेंगे की आप तो लगे रहो. लेकिन जब आने वाले समय में ऐसी कोई भी हत्या होगी या कोई भी काण्ड होगा तो नीली वाली वैगनार लेकर एक करोड़ का चेक देने नहीं पहुच जाना.
हम तो कहते हैं धन्य ये शब्द. जाने कहाँ से आता है और कहाँ चला जाता है.