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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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Hypocrisy Queen कंगना रानौत के दोगलेपन के 15 सबूत जो भक्तों को चुभ जाएंगे

Logic Taranjeet 25 March 2021
Hypocrisy Queen कंगना रानौत के दोगलेपन के 15 सबूत जो भक्तों को चुभ जाएंगे
  • कंगना रनौत  (Hypocrisy Queen)– 4 बार की नेशनल अवॉर्ड विनर, एक ऐसी अदाकारा जो अपने दम पर फिल्मों को सुपरहिट करा ले जाती है। बिना किसी दूसरे साथी स्टार के भी कंगना की फिल्में सुपरहिट होती है। इनकी अदाकारी की जितनी तारीफ की जाए वो कम है। इसके बारे में उन्हें मिलने वाले 4 नेशनल अवॉर्ड गवाही देते हैं। जहां उनके अवॉर्ड और उपलब्धियां उनके कद से भी ऊंचे हैं तो वहीं लोगों का कंगना रनौत का दोगलापन (Kangana ranaut hypocrisy) भी बहुत खटकता है। इस बारे में हम आर्टिकल में विस्तार से बात करेंगे।
  • फिल्म पसंद करने वाले लोग कंगना को क्वीन कहते हैं, लेकिन जो फिल्मों में अपनी छाप कंगना ने छोड़ी है, क्या वो पर्दे के पीछे भी उतनी बेमिसाल है? कुछ लोगों के शब्दों में हां वो बेहद शानदार अभिनेत्री हैं, लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि वो एक घमंडी, सिरफिरी महिला है, जिन्हें बस हर बात में बीच में कूदना होता है। फिर चाहे वो देश का कोई भी मुद्दा हो।
  • Hypocrisy Queen , खुद के ही शब्दों में क्वीन, एक्टिंग की महारानी, फिल्मों को अपने दम पर हिट करवाने वाली है, लेकिन वो एक बहुत बड़ी पाखंडी और दोगली महिला भी है, जो कि राजनीतिक एजेंडा को सही ठहराने के लिए कितना भी झूठ फैला सकती हैं और जहर घोलने की महारानी भी आप इन्हें कह सकते हैं।
  • इन्होंने अपने ट्वीट्स के जरिये जितने लोगों को बुरा भला कहा जा सकता है वो कहती हैं। जितना सांप्रायिक, जातिगत, या किसी भी तरह से लोगों को भड़काया जा सकता है वो काम वो करती हैं। उन्हें झांसी की रानी जैसी उपाधियां दी जाती है, मेरी नजरों में जो शायद उस महान औरत की बदनामी है, जिनसे कंगना की तुलना की जाती है।
  • अब ये उनका खुद का नजरिया है या फिर वो किसी राजनीतिक मंशा के ऐसा करती है वो सिर्फ कंगना या उनसे ऐसा करवाने वाले लोग जानते हैं। लेकिन कंगना के इन ट्वीट्स के जरिये लोग आपस में भिड़ने और एक दूसरे से नफरत करने लग गए हैं।
  • इस आर्टिकल में हम एक से बढ़कर Hypocrisy Queen समझेंगे और हकीकत समझेंगे की क्यों इस महिला को जरूरत से ज्यादा फुटेज (footage)मिलती है और क्यों सत्तारूढ़ भाजपा इसको पूरा जोर देती है। सबसे पहले शुरुआत करते हैं सुशांत सिंह राजपूत से, क्योंकि इसी के बाद कंगना ने मौके पर चौका मारते हुए पूरी Political mileage हासिल की और लोगों ने भी आंख पर पट्टी बांध कर फॉलो करना शुरु किया। 

जीते जी तो सुशांत की तारीफ नहीं हुई?

अगर आप गौर करें तो सुशांत को फिल्मी माइलेज मिलने में काफी वक्त लगा, वो एक Self made star था। इसमें किसी को शक नहीं है कि वो एक बेहद शानदार अभिनेता था और अपने दम पर ही आगे बढ़ा है। लेकिन जब सुशांत की फिल्म केदारनाथ आई थी, तो इसी भाजपा और उसके सहयोगी संगठनों ने सुशांत की फिल्म बॉयकॉट करने की मांग की थी। सुशांत की फिल्म को बैन करवाना चाहते थे, लेकिन उसके मरने के बाद पूरी तरह  Political gain लेने के लिए गिद्द की तरह काम किया है। अब भाजपा और कंगना का क्या रिश्ता है ये सभी को मालूम है। अगर सुशांत की इतनी अपनी थी कंगना तो तब एक शब्द समर्थन में नहीं कहा।

चलिये ये भी छोड़िये की कंगना को सुशांत की तरफदारी करने का मौका नहीं मिला। बात करते हैं कंगना के द्वारा उठाये गए सबसे बड़े मुद्दे की तो वो था नेपोटिज्म। कंगना ने पूरा मोर्चा खोल दिया था और नेपोटिज्म के खिलाफ जंग छेड़ दी थी। हालांकि आज ये जंग ठंडे बस्ते में है और कंगना को कोई फर्क भी नहीं पड़ता उससे। लेकिन सुशांत की मौत के बाद कंगना ने नेपोटिज्म को ऐसे जिम्मेदार ठहराया जैसे उनके फेवरेट मोदी जी हर नाकामी के लिए नेहरू को जिम्मेदार बताते हैं। कंगना की थ्योरी कहती है कि नेपोटिज्म के कारण ही सुशांत सिंह राजपूत की जान गई और इसी वजह से सभी स्टार किड्स की फिल्म बॉयकॉट करनी चाहिए।

Hypocrisy Queen का दौगलापन (Kangana ranaut hypocrisy) देखना है तो उनके उस इंटरव्यू में समझ सकते हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि सुपरस्टार बॉयफ्रेंड होना सही है। तब कंगना इन सब उसूलों, आदर्शों को शायद नहीं मानती थी। आज ये सामने आ गए। क्योंकि इन्हें अपने शब्दों से पलटना बहुत अच्छा लगता है।

ठीक है चलो मान लिया कि नेपोटिज्म बहुत गंदा है। लेकिन तब कंगना के लिए Nepotism ठीक था जब वो ऋतिक, अधय्यन सुमन के साथ रिलेशनशिप में थी। तब नेपोटिज्म सही था जब वो एक इंटरव्यू में उसे सही ठहरा रही थी। तब भी नेपोटिज्म सही था जब वो एकता कपूर और महेश भट्ट (Mahesh Bhatt) की फिल्मों से अपनी पहचान बना रही थी और करोड़ों रुपये छाप रही थी।

कंगना मैडम बोलने से ज्यादा करने को महत्व दीजिये। आपने जब करोड़ों छापे तो नेपोटिज्म क्यों अपना लिया। तब तो आपने कहा था कि जनता के हवाले सब होता है, फिर सुशांत की मौत के बाद क्यों लगा कि ऐसा नहीं है। इस वीडियो में आप कंगना रनौत का दोगलापन देख सकते हैं। कंगना को सुपरहिट बनाने वाले महेश भट्ट के लिए आज वो बहुत बोलती है और उन्हें कोस कोस कर बुरे शब्द भी कहती है। लेकिन वो भी वक्त था जब कंगना ने महेश भट्ट को गॉडफादर, और पता नहीं क्या क्या कहा था। उन्हें फाइनेस्ट टीचर ऑफ आर्ट जैसे शब्दों से नवाजा है।

राजी में आलिया बेहतरीन एक्ट्रेस और गली बॉय में फ्लॉप

अगले दोगलापन की बात करें तो कंगना दीदी को एक फिल्म के लिए आलिया भट्ट बेहद अच्छी अभिनेता लगती हैं, तो वहीं दूसरी फिल्म के लिए उन्हें लगता है कि आलिया को एक्टिंग नहीं आती है। वहीं 2019 में गली बॉय जैसी फिल्म में उन्हें रणवीर सिंह तो अच्छे लगते हैं ( नेपोटिज्म रणवीर में भी है) लेकिन 2020 में उन्हें वो खराब। ये पलपल बदलने वाली गिरगिटगिरी कब लोगों को नजर आएगी। इसका नमूना भी नीचे वीडियो में देख सकते हैं।

फेमिनिस्ट लेकिन दूसरी महिला को सॉफ्ट पॉर्न आर्टिस्ट कहती हैं

Hypocrisy Queenएक ऐसी अभिनेत्री हैं, जो कब क्या बोल जायें किसी को कुछ पता नहीं होता। तभी तो देखिये ना एक वक्त में बॉलीवुड में बादशाहत जमाने वाली उर्मिला मातोंडकर को सॉफ्ट पॉर्नस्टार कह बैठी। अपनी Senior actress के लिए इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल तो कंगना ही कर सकती है। लेकिन अगर आप उन्हें कुछ बोलेंगे तो वो तुरंत ही फेमिनिज्म का झंडा खोल लेंगी और आपको उसमें लपेट लेंगी। 

मुंबई सुरक्षित ती लेकिन अब पाकिस्तान हो गई

कुछ समय पहले उन्होंने उर्मिला मातोंडकर (Urmila Matondkar) के साथ ही एक जुबानी जंग में जिसमें वो माहिर भी है उसमें मुंबई को पाकिस्तान तक कह दिया था। लेकिन बाद में वो मुंबई गई और सिद्धि विनायक गई। इतना ही नहीं उन्होंने मुंबई को प्यारा और सुरक्षित शहर भी बताया। मतलब एक दिन मुंबई कंगना को पाकिस्तान लगती थी, तो वही शहर कुछ ही दिनों में प्यारा हो जाता है। क्योंकि उनका पॉलिटिकल एजेंडा उनसे ये सब करवाता है। अब आप इसे कंगना रनौत का दोगलापन (Kangana ranaut hypocrisy) कहें या फिर राजनीति, वो आपकी समझ पर निर्भर करता है।

खुद ड्रग लेती थी कंगना

Hypocrisy Queen ने नेपोटिज्म के अलावा सुशांत की मौत के बाद लंबा मोर्चा खोला ड्रग्स के लिए और इसमें उनका साथ दिया देश के सबसे बड़े देशभक्त एंकर अर्णब गोस्वामी ने। जी हां इन दोनों ने मिलकर पूरे बॉलीवुड को नशेड़ी बना दिया था, हालांकि जिसके लिए ये लोग बोल रहे थे वो खुद ड्रग्स लेता था यानी सुशांत, लेकिन इन्हें क्या इन दोनों को तो अपना एजेंडा पूरा करना था ना। कंगना ने खूब चरसी, नशेड़ी बोला लोगों के नाम ले लेकर उनके खिलाफ जहर उगला, लेकिन वो भूल गई कि वो खुद एक इंटरव्यू में मान चुकी हैं कि वो ड्रग अडिक्ट थी। इसलिए कहते हैं कि इंसान को नाप तौल कर बोलना चाहिये। आप भी देखिये इंटरव्यू और कहिये कि क्यों हम कंगना को दोगला ना कहें।

इतना तो छोड़िये कंगना को संजय दत्त से भी काफी लगाव है। जी हां उनके साथ बेहद अच्छी तस्वीर है। वो भी ज्यादा पुरानी नहीं बीते नवंबर की है। अब संजय दत्त के नशे और ड्रग्स के चर्चे कितने मशहूर है ये तो आप सभी जानते हैं यहां तक की संजय दत्त के पिता तो कांग्रेसी भी थे और उनकी बहन भी कांग्रेसी है। वही कांग्रेस जो उन्हें सबसे बुरी लगती है। इतना ही नहीं संजय दत्त भी तो नेपोटिज्म से ही आए हैं। क्यों कंगना जी अब आपको नहीं लगता कि नेपोटिज्म और ड्रग्स वालों की वजह से सुशांत की जान गई।

जाति पर लंबी लंबी बातें करने वाली कंगना को कोटा सही लगता था

कंगना रनौत का मानना है कि जातिवाद खत्म होना चाहिए, क्योंकि इससे काबिल लोगों के मौके घट जाते हैं। बिलकुल सही बात है लेकिन कंगना रनौत तो कुद कौटा को सही बता रही थी। अरे वीडियो है उसमें बोला है। ये भी कंगना रनौत का दोगलापन (Kangana ranaut hypocrisy) ही है।

पीएमटी टेस्ट के लिए दीदी को कोटा लेना बिलकुल सही लगा था, क्योंकि उन्हें उनके परिवार की वजह से मिला था, लेकिन जब कोई और कोटा या परिवार से मिलने वाले लाभ को सही कहें तो दीदी का जहर चालू हो जाता है। कमाल है ना कंगना रनौत।

सलमान खान को करती थी एडोर

कंगना रनौत का एक और दोगलापन देखिये, कुछ वक्त पहले वो कह रही थी कि उन्हें सलमान खान बहुत अच्छे लगते हैं। वो सलमान खान को काफी पसंद करती है। वो उनके बहुत अच्छे दोस्त है। लेकिन अब उन्होंने अपने इस अच्छे दोस्त को भी नहीं छोड़ा है। उन्होंने कोई कमी नहीं छोड़ी है उनके खिलाफ जहर उगलने में। जूम को दिए इस इंटरव्यू में कंगना ने कितनी तारीफ की थी सलमान खान की वो आप भी देखिये और अब तय करें कि कंगना क्या सच में भारत की बेटी, झांसी की रानी बनने के लायक है या वो चलती फिरती झूठ और फरेब की दुकान है।

जींस / वेस्टर्न कपड़े अच्छे है या नहीं – कितना घुमाओगी कंगना?

कंगना रनौत को कुछ समय पहले दिक्कत थी वेस्टर्न कपड़ों से, अमेरिकन जींस के लिए भी ट्वीट कर रही थी। वो बारतीय सभ्यता का प्रचार करना चाहती थी, भारतीय कपड़ों को प्रमोट करती थी। लेकिन वो भूल गई कि उनकी सैंकड़ों तस्वीरें हैं जिसमें वो मॉडर्न कपड़ें पहने हुए हैं। बस कंगना बस कुछ भी बोलना जरूरी नहीं होता है और सबसे जरूरी बात हर वक्त बोलना भी जरूरी नहीं होता है। दोगलापन निकल आता है सामने। 3 मार्च को भारतीय कपड़ें पहनने थे और 18 मार्च को जींस में फोटो पोस्ट करनी थी।

सोशल मीडिया तो वेल्ले लोगों के लिए होता है

कंगना एक बार कपिल शर्मा शो में गई थी, और वहां पर बहुत लोगों की पोल भी खोल कर आई और खुद के लिए भी काफी कुछ कह कर आई। लेकिन सबसे दिलचस्प बात तो वो कह कर आई थी कि सोशल मीडिया वेल्ले लोगों के लिए होता है। इसका मतलब समझ रहे हो ना जो महिला पूरा दिन सिर्फ और सिर्फ ट्वीट करती है वो क्या होगी उसके बारे में कंगना ने कपिल शर्मा शो में कह दिया था। कंगना को लगता है कि सोशल मीडिया पर सिर्फ वेल्ले लोग रहते हैं, लेकिन जिस तरह से वो ट्विटर पर दिनभर और हर मुद्दे पर बेतुकी बात कर देती है उससे लगता नहीं है कि उनकी ये बात सही या फिर वो इतनी फिल्में करती है जितनी वो गिनवाती है।

कंगना रनौत का दोगलापन (Kangana ranaut hypocrisy) अब सबके सामने आ गया है और लोगों को भी समझ में आने लगा है। लेकिन ये खास उन लोगों को समझने की जरूरत है जो कंगना जैसे किसी भी अदाकार को सिर पर बिठा लेते हैं। दरअसल ये सबकुछ स्वार्थ भाव से किया जाता है। अगर मैं कहूं कि कंगना सत्तारूढ़ भाजपा के पक्ष में सब बात कहती है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं होगा।

एक अभिनेता को सिर्फ उसके टैलेंट के लिए प्यार दिया जाए तो ही सही रहता है। अगर आप उसका काम छोड़कर उसके विचारों में आने लगते हैं, तो इस तरह का हाल होना स्वभाविक है। मेरी कंगना से कोई निजी दुश्मनी नहीं है, उनकी एक्टिंग आज भी उतनी ही पसंद है लेकिन उनके विचारों में आने वाला दोगलापन साफ दर्शाता है कि वो एक राजनीतिक दल को लाभ पहुंचाने के लिए ये सब करती है, जिसका असर आम लोगों के विचारों पर हो रहा है।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.