शादी के बाद लड़की की विदाई काफी भावुक होती है, अब तक हम जिस तरह की विदाई देखते आए हैं उसमें लाल जोड़े में तैयार हुई दुल्हन शर्माते हुए और परिवार वालों से नम आंखों से गले मिलते हुए विदाई लेती है। लेकिन आज जिस विदाई की बात कर रहे हैं वो शायद आपका नजरिया बदल देगी।दरअसल सोशल मीडिया पर एक दुल्हन की विदाई की रस्म का वीडियो खूब वायरल हो रहा है। जिसमें अपनी विदाई पर दुल्हन खुद गाड़ी चलाते हुए जा रही है। और इस दुल्हन की खूब तारीफ भी हो रही है।
इस दुल्हन का नाम स्नेहा सिंघई (Sneha Singhai) है, जिसने भारत में सालों से परंपरा के नाम पर चली आ रही रूढ़िवादी सोच को तगड़ा झटका दिया है। अक्सर हम देखते हैं कि जब लड़की की विदाई होती है तो वो अपने परिवार वालों से लिपटकर खूब रोती है लेकिन इस दुल्हन ने ऐसी विदाई को ना कह कर कुछ अलग काम कर दिखाया है जो बाकी दुल्हनें भी कर सकती हैं। दरअसल स्नेहा ने अपनी विदाई में दूल्हे को बगल की सीट पर बिठाया, घरवालों को बाय किया और मायके से लेकर ससुराल तक खुद ही अपनी डोली वाली गाड़ी को ड्राइव कर ले आई। हालांकि इस समय दुल्हन काफी इमोशनल जरूर थी।
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एक दुल्हन का इस तरह अपनी विदाई में गाड़ी चलाना एक कल्पना जैसा है, क्योंकि ऐसा तो आजतक किसी ने नहीं सोचा था। कभी किसी ने नहीं सोचा होगा कि लाल जोड़ा पहने, हाथों में चूड़ा और पारंपरिक शादी के लिबाज पहने गाड़ी की स्टेयरिंग पकड़े दुल्हन की ऐसी वीडियो देखने को मिलेगी। लोग इसे काफी पसंद भी कर रहे हैं। स्नेहा ने साबित कर दिया है कि एक लड़की चाहे तो कुछ भी कर सकती है। कुछ लोगों को ये काफी छोटी बात लग सकती है, लेकिन असल में यटे बहुत बड़ी बात है। क्योंकि हमारे देश की रूढ़िवादी परंपराओं (Conservative traditions) को तोड़ना कोई आसान काम नहीं है।
स्नेहा ने अपने पति से महीनों पहले ही इस बारे में बात की थी। जिसमें उनके पति सौगात ने भी उनका पूरा साथ दिया और एक बार भी ना नहीं किया। स्नेहा ने जो कदम लिया है वो तो काबिल-ए-तारीफ है ही लेकिन उनके पति सौगात का भी उन्हें इस तरह साथ देना वाकई एक आदर्श पति की निशानी है। आपको बता दें कि स्नेहा कोलकाता में कैफे चलाती हैं और एक शेफ हैं। उनकी लव स्टोरी भी यहीं से शुरू हुई थी। दोनों शादी से पहले 8 साल तक रिलेशनशिप में रहे हैं।
स्नेहा की कहानी से पता चलता है कि लड़कियां पैसा तो खुद कमा सकती हैं लेकिन उनको साथ देने वाला पार्टनर चाहिए होता है और अगर वो मिल जाए तो कुछ भी मुश्किल नहीं होता है। स्नेहा ने कहा है कि मैं जैसे जीना चाहती हूं सौगात मुझे वैसे ही जीने देते हैं। मैं जो चाहती हूं वो करती हूं, वो मुझे हमेशा सपोर्ट करते हैं और वो इंसान बनने देते हैं जो मैं हूं।
हर लड़की को इसी तरह का ससुराल मिलना चाहिए। जो एक लड़की को खुलकर अपने हिसाब से अपनी जिंदगी जीने दे। हालांकि अब लोगों में कुछ परिवर्तन जरूर आ रहा है। लड़कियां शादी में सिर्फ सिर झुकाए खड़ी नहीं रहती है, अब वो भी अपनी शादी को पूरी तरह से एंजॉय करती है। साथ ही स्नेहा जैसी लड़कियां उन्हें और भी ज्यादा प्रोत्साहित करती है। लोगों को अब आस्था और ढोंग में फर्क समझना होगा। तभी हम रूढिवाद से बाहर निकल सकेंगे।