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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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सुनो सरकार, लोग System की मौत से नहीं तुम्हारी निष्क्रियता और लापरवाही से मर रहे हैं

ऐसी सरकार पर इन लोगों की मौत इसलिए नहीं हो रही कि इनकी उम्र हो गई थी,इनका समय आ गया था बल्कि ये असमय मार दिए गए. इनका हत्यारा है सरकार का लाचार System.
Troll Ambresh Dwivedi 27 April 2021
सुनो सरकार,लोग System की मौत से नहीं तुम्हारी निष्क्रियता और लापरवाही से मर रहे हैं

नई दिल्ली:

माँ के सामने बेटे की मौत हो रही है. पत्नी के हांथों में पति की मौत हो रही है, अस्पताल के बाहर बेड ना मिलने से दो बच्चों की माँ इस दुनिया को छोड़कर चली गई. और ठीक उसी वक्त इस देश का रहनुमा बंगाल की किसी रैली में कह रहा था कि “आज तक ऐसा जनसैलाब मैनें अपने जीवन में नहीं देखा”. थू है ऐसी सरकार पर क्योकि इन लोगों की मौत इसलिए नहीं हो रही कि इनकी उम्र हो गई थी या इनका समय आ गया था बल्कि ये असमय मार दिए गए. इनका हत्यारा है सरकार का लाचार सिस्टम. लापरवाही, गैर-जिम्मेदारी और घमंड में डूबे नौकरशाह.

अगर बद्दुआ होती है तो उसके लिए तैयार रहो-

मुझे नहीं पता है कि बद्दुआ नाम की कोई चीज होती है या नहीं. कहते हैं की दुखी आत्माओं की बद्दुआओं से बड़े-बड़े मठाधीश और सत्ता के सौदागर हिल गए. तो सुन लो सरकार अगर बद्दुआ होती है तो तुम्हें श्राप लगेगा इन सब मरने वाले लोगों के घरवालों का. तुम्हे श्राप देगा वो बच्चा जिसके माँ उसके सामने इसलिए मर गई क्योकि उसके सिलेंडर का ऑक्सिजन खत्म हो गया था. वो सिलेंडर जो तुम चंद मिनटों में दिलवा सकते थे. तुम्हारे कहने से एक आदमी की जान बच जाती लेकिन तुम नहीं बचा पाए.

लोग मर रहे हैं और आप बेशर्मो की तरह रैली में हैं-

शर्म नाम की चीज को आपने अपनी डिक्शनरी से निकालकर फेंक दिया है. शर्म आपके अंदर बची नहीं है. जिस देश में रोजाना तीन लाख से अधिक कोरोना के मामले आ रहे हैं वहां आप लाखों की संख्या में रैली कर रहे हैं. बड़ी बेशर्मी के साथ आप कह रहे हैं “दीदी ओ दीदी”. ठीक उसी वक्त कोई दीदी अपने भाई को छोड़कर इस दुनिया से चली गई क्योकि वक्त पर एम्बुलेंस उसे लेने नहीं आई. अस्पतालों में भीड़ है. कोरोना की जांचे नहीं हो रही हैं लेकिन आप एक दिन में चार रैलियां करते हैं. सरकार का लाचार सिस्टम शर्म आनी चाहिए आपको अरे बल्कि शर्म से मर जाना चाहिए. अब ऐसी स्थित आने के बाद तुम कुर्सी में बैठे हो तो निर्लज्ज हो तुम.

अरे उठ जाओ ना चले जाओ. भाग जाओ यहाँ से, कोई शक्ल नहीं देखना चाहता तुम्हारी, कोई निहारना नहीं चाहता कोई तुम्हारी तरफ क्योकि तुम हत्यारे हो उन सैकड़ों लोगों को जो तुमारी अव्यवस्था की वजह से मर गए.

आक थू……

Ambresh Dwivedi

Ambresh Dwivedi

एक इंजीनियरिंग का लड़का जिसने वही करना शुरू किया जिसमे उसका मन लगता था. कुछ ऐसी कहानियां लिखना जिसे पढने के बाद हर एक पाठक उस जगह खुद को महसूस करने लगे. कभी-कभी ट्रोल करने का मन करता है. बाकी आप पढ़ेंगे तो खुद जानेंगे.