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पर्वतारोही शिवांगी की जज्बे ने उसे कोरोना के आगे लड़ने की हिम्मत दी है

Motivation Komal Yadav 11 May 2021
पर्वतारोही शिवांगी की जज्बे ने उसे कोरोना के आगे लड़ने की हिम्मत दी है

हिसार की रहने वाली शिवांगी पाठक के माता-पिता का कहना है कि 9 अप्रैल को पर्वतारोही शिवांगी पाठक को वे खुशी-खुशी नेपाल छोड़ कर आए थे और उसी दिन से शिवांगी ने अपनी माउंट लहोत्से की चढ़ाई शुरू कर दी थी। 15 अप्रैल को वह लोबुचे पहुंच गई जोकि बेस कैंप से एक कैंप नीचे है।

इनकी की मां ने बताया कि एक रात वहां रुक कर अगले दिन बेस कैंप से नीचे गोरख शेप पहुंचकर उसने फोन किया कि मम्मी मेरी तबीयत काफी खराब हो रही है मेरा बुखार नहीं उतर रहा। उनकी माता जी ने उनसे दवाइयां लेने के लिए बोला, उसके बाद दवाइयां लेकर शिवांगी जैसे तैसे बेस कैंप जोकि 5364 मीटर की हाइट पर है वह तक पहुंच गयी ।

शिवांगी के फेफड़ों में भर गया था पानी

9 अप्रैल को सुबह 11 बजे शिवांगी का रेस्क्यू टीम द्वारा उसका रेस्क्यू कर उसे काठमांडू हॉस्पिटल ले जाया गया। उनका ऑक्सिजन लेवल 18 पर आ गया था जिसके बाद टेस्ट में पता चला की उनके फेफड़ों में पानी भर चुका है।

हालाँकि इनके माता-पिता ने ये भी बताया की शिवांगी कोरोना पॉजिटिव भी थी। उनके माता-पिता शाम को 7 बजे काठमांडू उनके पास पहुंच गए थे। वहां उनकी हालत बहुत ही ज्यादा खराब थी। ये शारीरिक रूप से तो बहुत ही ज्यादा कमजोर हो चुकी थी लेकिन मानसिक रूप से वो पहाड़ों जितनी शक्तिशाली थी।

डॉक्टर्डस भी हुए हैरान

इनकी हिम्मत देखकर डॉक्टर्स ने उनका इलाज शुर करके उनको एक होटल में ही आइसोलेट कर दिया गया। उसके बाद देसी काढ़ा और सारा ट्रीटमेंट शुरू कर दिया। तीन दिन तक शिवांगी की हालत बहुत खराब थी लेकिन चौथे दिन सबकी दुआओं और आशीर्वाद से उन्हें कुछ आराम मिला।

उसके बाद सबने शिवांगी से मिशन माउंट लहोत्से को छोड़कर अपने साथ भारत वापस चलने के लिए कहा और उनके माता-पिता ने उनसे कहा कि बेटा पहाड़ भी यहीं रहेंगे और अगर तुम भी अगर तुम ठीक रहोगी तो दोबारा से यहां आ पाओगी लेकिन इनकी हिम्मत और दृढ़ निश्चय ने सबको मजबूर कर दिया।

अभी तक बेस कैंप पर पहुंच चुकी हैं शिवांगी

वो दोबारा से 8 मई को बेस कैंप पहुंच और अब वह कैंप टू के लिए निकल चुकी है। उनके माता-पिता ने बताया कि शिवांगी 25 मई तक माउंट ल्होत्से विश्व की चौथी सबसे ऊंची चोटी जिसकी ऊंचाई 8516 मीटर है, उस पर तिरंगा लहरा देगी।

Komal Yadav

Komal Yadav

A Writer, Poet and Commerce Student