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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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एक रूपये में जरूरतमंदों का पेट भर रही प्रवीण गोयल की रसोई

Motivation Komal Yadav 14 May 2021
एक रूपये में जरूरतमंदों का पेट भर रही प्रवीण गोयल की रसोई

स्टील की थाली हाथ में लिए बच्चे, जवान और बूढ़े कतार में लगे हुए हैं। वो लोग बेसब्री से रसोई में तैयार गरमागरम रोटी, दाल, चावल, कढ़ी और सब्जियों के इंतजार में हैं। कुछ लोग बेरोजगार हैं तो कुछ पास में ही छोटी-छोटी फैक्ट्रियों में काम करने वाले दिहाड़ी मजदुर हैं।

प्रवीण गोयल ने एक रूपये में जरूरतमंदों को पेट भर खाना खिलाने का बीड़ा उठाया हुआ है। 51 साल के प्रवीण गोयल ने इस रसोई के लिए अपना बिजनेस छोड़ दिया और घर का पैसा भी लगा दिया। उन्हें इस काम के लिए परिवार का भरपूर समर्थन मिलता है।

कमला कांत पाठक भी पिछले छह महीने खाना खा रहे है 

हर रोज तड़के रसोई में काम करने वाले कर्मचारी दिन के हिसाब से भोजन तैयार करने के काम में जुट जाते हैं। बड़े-बड़े भगोनों में दाल, चावल, तरी वाली सब्जी और हलवा तैयार किया जाता है। कतार में लगे लोग अपनी जेब से एक रुपया का सिक्का एक डिब्बे में डालकर भोजन लेने आते है । वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके पास पैसे नहीं है लेकिन उन्हें भी भोजन दिया जा रहा है। 2020 लॉकडाउन के दौरान बेरोज   गार हुए कमला कांत पाठक भी पिछले छह महीने से यहां खाना खाने आते हैं।

साल के 365 दिन चलती रही है ये रसोई

हालाँकि कुछ लोगों का पेट एक बार खाना लेने के बाद भर जाता है लेकिन कुछ लोग दोबारा रोटी या चावल की मांग करते हैं तो उन्हें मना नहीं किया जाता है। यहाँ साल के 365 दिन रसोई चलती है और रोजाना खाना बनता है। उन लोगो के लिए किसी दिन छुट्टी नहीं है। ये किसी को खाना खाने से नहीं रोकते हैं, ये लोगों को भरपेट खाना खिलाते हैं। जिनके पास पैसे होते हैं वो देते हैं जिनके पास नहीं होते उन्हें भी खाना खिलाते हैं।

प्रवीण की तरह ही कई लोग  इस कोरोना काल में जरुरतमंदो के काम आते है और अपनी क्षमता के अनुसार मदद के लिए आगे आते है।

Komal Yadav

Komal Yadav

A Writer, Poet and Commerce Student