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ममता बनर्जी का दिल्ली दौरा क्या डूबते विपक्ष के लिए जीवनदान ला सकेगा?

Logic Taranjeet 31 July 2021
ममता बनर्जी का दिल्ली दौरा क्या डूबते विपक्ष के लिए जीवनदान ला सकेगा?

साल 2024 के लोकसभा चुनाव में अभी लगभग 3 सालों का वक्त बाकी है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर करने के लिए एक शक्तिशाली विपक्ष को तैयार करने का काम शरद पवार ने शुरु किया था। लेकिन चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बयान ‘मोदी के खिलाफ मोर्चा असंभव’ से हवा निकल गई थी। इस बात को खुद शरद पवार ने भी मान लिया था कि कांग्रेस को नजरअंदाज कर किसी मोर्चे का बनाया जाना नामुमकिन है।

लेकिन ममता बनर्जी ने इस बात को एक सबक की तरह लिया। पश्चिम बंगाल में खेला होबे का नारा लगाकर भाजपा को फिर से बाहर करने वाली ममता बनर्जी अब दिल्ली यात्रा पर निकल पड़ी है। तृणमूल कांग्रेस की ओर से जारी की गई ममता बनर्जी के दिल्ली दौरे की जानकारी के अनुसार वो कांग्रेस के तीन नेताओं से मुलाकात करेंगी। हालांकि इसमें कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का नाम नहीं है। लेकिन, वो उनसे भी मिली।

यास तूफान की समीक्षा बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुए विवाद के बाद ये पहला मौका होगा, जब ममता बनर्जी पीएम से मुलाकात करेंगी। ऐसा माना जा रहा है कि तृणमूल कांग्रेस मुखिया ने भी भाजपा के खिलाफ एक सशक्त मोर्चा बनाने की जिम्मेदारी अघोषित तौर पर प्रशांत किशोर के कंधों पर डाली है।

शायद यही वजह रही होगी कि प्रशांत किशोर ने हाल ही में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ मीटिंग की है। ऐसा बताया जा रहा था कि इस मीटिंग में सोनिया गांधी भी वर्चुअल तौर पर जुड़ी थीं। इस मीटिंग में किस बात को लेकर चर्चा हुई इस पर केवल कयास लगाए गए हैं, जो अभी तक केवल कयास ही साबित भी हुए हैं। लेकिन, ममता बनर्जी के इस दिल्ली दौरे पर विपक्ष के नेताओं से मुलाकात की बात से काफी हद कर स्थितियां साफ होती नजर आ रही हैं। भाजपा विरोधी दलों के संयुक्त मोर्चे में कांग्रेस को शामिल किए बिना ममता बनर्जी के मिशन 2024 की राह आसान नहीं होने वाली है।

कांग्रेस को नजरअंदाज नहीं कर पाएंगी ममता

एक बात तो तय हो चुकी है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद ममता बनर्जी और भाजपा के बीच शुरू हुए रण का अंत अब 2024 लोकसभा चुनाव में ही होगा। विपक्षी राजनीति का केंद्र बनकर उभरीं ममता बनर्जी भाजपा विरोधी राजनीतिक दलों के गठबंधन का संभावित चेहरा भी हो सकती हैं। लेकिन, बीती 21 जुलाई को शहीद दिवस के कार्यक्रम में ममता बनर्जी ने भाजपा को रोकने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट होकर देश बचाने की जो अपील की थी।

उससे काफी हद तक ये साफ हो गया है कि भाजपा के खिलाफ राजनीतिक दलों को एकत्र करने की मुहिम में वो कांग्रेस को भी साथ लेकर चल रही हैं। कांग्रेस नेताओं के साथ तृणमूल कांग्रेस मुखिया की ये प्रस्तावित मुलाकात इसी का नतीजा कही जा सकती है। ममता बनर्जी अब तक के तमाम मनमुटाव को भूलकर मिशन 2024 के लिए एक मजबूत विकल्प खोजने की ओर आगे बढ़ रही हैं।

ममता बनर्जी की जिन कांग्रेस नेताओं से मुलाकात हुई उनमें कमलनाथ, आनंद शर्मा और अभिषेक मनु सिंघवी का नाम शामिल है। इस लिस्ट में कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ जी-23 नेताओं में शामिल आनंद शर्मा का नाम चौंकाने वाला कहा जा सकता है। राहुल गांधी के खिलाफ सीधे तौर पर मोर्चा खोलने वाले जी-23 नेताओं में शामिल नेता से मुलाकात के कई संदर्भ निकल रहे हैं।

क्या ममता बनर्जी मिशन 2024 के लिए कांग्रेस के आंतरिक झगड़ों को सुलझाने में भी मदद करेंगी? जाहिर तौर पर इस मुलाकात में कमलनाथ और अभिषेक मनु सिंघवी कांग्रेस के पक्ष की बातचीत ही करेंगे। लेकिन, आनंद शर्मा से मिलकर वो कांग्रेस की कमजोरी को टटोलना चाहेंगी। आनंद शर्मा से मुलाकात के दौरान ये स्थिति साफ हो जाएगी कि कांग्रेस कितनी शिद्दत से राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद पर काबिज कराने के प्रयास कर सकती है।

राहुल गांधी पर्दे की पीछे से निभाते रहेंगे भूमिका

साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्षी दलों को तालमेल और साझा रणनीति के अभाव का खामियाजा भुगतना पड़ा था। ममता बनर्जी के नेतृत्व में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर इस बार ये गलती दोहराना नहीं चाहेंगे। विपक्षी दलों के नेताओं से लगातार की जा रही मुलाकात इस ओर एक बड़ा कदम माना जा सकता है। हालांकि, प्रशांत किशोर इस बात से इनकार करते रहे हैं। लेकिन, ये बात भी तय है कि तमाम सियासी दलों को बातचीत की मेज पर लाने का काम प्रशांत किशोर से बेहतर शायद ही कोई कर कर सके। टीएमसी सुप्रीमो के दिल्ली दौरे पर कांग्रेसी नेताओं से मुलाकात काफी हद तक कहानी साफ कर रही है। किशोर के साथ कांग्रेस आलाकमान की मुलाकात के बाद ममता बनर्जी का दिल्ली दौरा पर कांग्रेसी नेताओं से मुलाकात के लिए तैयार होना ज्यादा चौंकाता नही है।

सोनिया गांधी के साल 2024 तक कांग्रेस का अध्यक्ष बने रहने की खबरों से एक बात स्पष्ट हो जाती है कि राहुल गांधी फिलहाल विपक्ष का चेहरा बनने नहीं जा रहे हैं। वैसे भी मिशन 2024 के लिए अभी काफी समय बचा हुआ है और, ममता बनर्जी का दिल्ली दौरा पर पूरे समय में अपने लिए संभावनाओं को टटोलने के साथ कांग्रेस की रणनीति पर भी नजर बनाए रखेंगी।

पांच दिनों के ममता बनर्जी का दिल्ली दौरा पर कांग्रेस नेताओं से मुलाकात करें और सोनिया गांधी को नजरअंदाज कर दें ये मुश्किल नजर आता है। वो उनसे भी मुलाकात कर चुकी हैं। भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों को लामबंद करने की कोशिश बिना कांग्रेस को साथ लिए संभव नहीं है और, इसी के लिए सोनिया गांधी से मुलाकात बहुत जरूरी होती है। 

मिशन 2024 के तहत टीएमसी सुप्रीमो की नजर पीएम की कुर्सी पर तो है। लेकिन, ये बात ममता बनर्जी को भी पता है कि कांग्रेस को किनारे रखते हुए आम सहमति बना पाना टेढ़ी खीर है। ममता बनर्जी के दिल्ली दौरे पर सोनिया गांधी से चाय पर हुई उनकी मुलाकात से यही कहा गया है कि भाजपा को हराने के लिए सबका साथ आना जरूरी है।

इस बातचीत का मुद्दा विपक्ष का चेहरे भी रहा होगा। वैसे भी साल 2019 के बाद से अब तक राहुल गांधी जिस तरह पर्दे के पीछे से कांग्रेस के मुखिया बने हुए हैं। हो सकता है कि उसी तरह इस गठबंधन में भी राहुल गांधी ऐसे ही सारी भूमिकाएं निभाएं। वहीं, यूपीए के तमाम सहयोगी दलों का साथ कांग्रेस को मिलना तय ही है। तो, राहुल गांधी इस भाजपा विरोधी दलों के गठबंधन के अघोषित चेहरे अपनेआप ही हो जाते हैं। वहीं, अगर ममता बनर्जी खुद को चेहरा बनाने पर अड़ती हैं, तो साल 2019 की तरह ये गठबंधन बनने से पहले ही फेल हो जाएगा।

Taranjeet

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A writer, poet, artist, anchor and journalist.