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दुनिया का सबसे बड़ा नरसंहार- रवांडा, 100 दिन, हजारों महिलाओं का बलात्कार, 8 लाख लोगों की हत्या

रवांडा एक देश हैं जहाँ पर 1994 में महज 100 दिनों के अंदर 8 लाख लोगों की हत्या कर दी गई थी. महिलाओं का सामूहिक बलात्कार हुआ और बच्चों को सरेआम काटकर फेंक
Information Ambresh Dwivedi 6 October 2021
दुनिया का सबसे बड़ा नरसंहार- रवांडा, 100 दिन, हजारों महिलाओं का बलात्कार, 8 लाख लोगों की हत्या

यूं तो दुनिया में कई बड़े नरसंहार हुए हैं लेकिन रवांडा में हुए नरसंहार कि कहानी आज भी लोगों को झकझोर देती है. रवांडा एक देश हैं जहाँ पर 1994 में महज 100 दिनों के अंदर 8 लाख लोगों की हत्या कर दी गई थी. महिलाओं का सामूहिक बलात्कार हुआ और बच्चों को सरेआम काटकर फेंक दिया गया. रवांडा नरसंहार यानी rwanda genocide को दुनिया का सबसे बड़ा नरसंहार कहा जाता है. ये नरसंहार हुतु और तुत्सी समुदाय के लोगों के बीच हुआ था. rwanda genocide की कहानी पढ़कर हर कोई यही कहता है कि भगवान् दुश्मनों के साथ भी ऐसा न करे.

प्रेसिडेंट की हत्या के बाद बिगड़ा माहौल-

ये बात है 7 अप्रैल 1994 कि जब रवांडा के प्रेसिडेंट हेबिअरिमाना और बुरंडियन के प्रेसिडेंट सिप्रेन की हवाई जहाज पर बोर्डिंग के दौरान हत्या कर दी गई थी. इनकी हत्या के बाद देश में हालात बेकाबू हो गए. देश में उस वक्त हुतु समुदाय के लोगों की सरकार थी और उन्हें लगा कि यह हत्या तुत्सी समुदाय के लोगों ने करवाई थी. इसके बाद हुतु समुदाय के लोगों ने तुत्सी समुदाय के लोगों को मारना शुरू कर दिया। उनके साथ इस कृत्य में रवांडा की आर्मी भी शामिल थी. मारकाट का यह सिलसिला लगभग 100 दिनों तक चला और इसमें 8 लाख लोगों की मौत हो चुकी थी. मरने वाले लोगों में अधिक संख्या तुत्सी समुदाय के लोगों की थी.

महिलाओं के साथ हुआ सामूहिक बलात्कार

रवांडा में हुए इस नरसंहार के दौरान लाखों की संख्याओं में महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार की घटनाएं सामने आई. इतिहासकार कहते हैं कि नरसंहार के दौरान बहुत सी महिलाओं को सेक्स गुलाम बनाकर भी रखा गया और कुछ महिलाओं को तो जानबूझ कर एचआईवी से संक्रमित किया गया. बहुत ही महिलाओं ने तो आज तक अपने बच्चों को बताया ही नहीं है कि वे बलात्कार से पैदा हुए हैं. उन्होंने बाद में अपने पतियों को भी यह नहीं बताया कि उन पर क्या गुजरी. उन्हें डर था कि उनके पति कहीं उन्हें छोड़ ना दें. दरअसल हुतु समुदाय के लोगों ने तुत्सी समुदाय को खत्म करने के लिए महिलाओं का बलात्कार करना शुरू किया। उनका कहना था कि भविष्य में कोई तुत्सी समुदाय का लड़का जन्म न ले इसलिए महिलाओं से बलात्कार किए जाएं।

1918 से बिगड़े थे हालात

इस नरसंहार की कहानी 1918 में शुरू हुई. दरअसल इससे पहले रवांडा में हालात सामान्य थे. देश गरीब था लेकिन हिंसा नहीं थी. इसके बाद 1918 में बेल्जियम ने रवांडा पर कब्ज़ा कर लिया। कब्जे के बाद बेल्जियम की सरकार ने रवांडा के लोगों कि जनगणना करवाई। जनगणना के बाद वहां के लोगों को तीन समुदायों में बांटा गया जोकि हुतु, तुत्सी और तोतो थे. सरकार ने हुतु समुदाय के लोगों को उच्च वर्ग में रखा और उन्हें सरकारी सुविधाएं देनी शुरू कर दीं जिससे तुत्सी समुदाय के लोग भड़क गए. तुत्सी समुदाय के लोगों को नीचा बताया जाने लगा. इसके बाद दोनों समुदायों में हिंसक झड़पें शुरू हुईं। इसके बाद पश्चिमी देशों की मध्यस्था से 1962 में रवांडा आजाद हुआ और एक देश बना। 1973 में हुतु समुदाय के ‘हेबिअरिमाना’ रवांडा के प्रेसिडेंट बने. फिर उनकी प्लेन में हत्या हुई जिससे पूरे देश में हिंसा भड़क उठी जिसके बाद आठ लाख लोगों की हत्याएं कर दी गईं.

आज भी ताजा हैं जख्म

नरसंहार में मारे गए लोगों के परिवार वालों के जख्म आज भी ताजा हैं. इसके अलावा बलात्कार से पैदा हुए बच्चों का जीवन नर्क के सामान है. उन्हें ‘हत्यारे का बच्चा’ कहा जाता है और समाज में उन्हें कोई विशेष स्थान नहीं दिया जाता है. जो महिलाएं बलात्कार के बाद गर्भवती हुईं उन्होंने हालात सामान्य होने पर शादी कर ली लेकिन पैदा हुए बच्चे को बाप ने नहीं अपनाया। कई सारे लोगों को ये तक नहीं पता है कि उनका बाप कौन है.

ये है दुनिया के सबसे बड़े नरसंहार की कहानी जिसे पढ़कर आज भी लोगों की रूह काँप जाती है.

Ambresh Dwivedi

Ambresh Dwivedi

एक इंजीनियरिंग का लड़का जिसने वही करना शुरू किया जिसमे उसका मन लगता था. कुछ ऐसी कहानियां लिखना जिसे पढने के बाद हर एक पाठक उस जगह खुद को महसूस करने लगे. कभी-कभी ट्रोल करने का मन करता है. बाकी आप पढ़ेंगे तो खुद जानेंगे.