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सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार अभी हर चौथा व्यक्ति है बेरोजगार

भारत में 26 प्रतिशत से ज्यादा लोग बिना किसी काम के हैं, लाखों लोगों के जीवन में ऐसा तकलीफ हो गया है जो ज्यादा वक्त तक सहन नहीं किया जा सकता। ये अनुमान सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) द्वारा हाल ही में किए गए सर्वे से पता चला है। इस सर्वे से जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके अनुसार बेरोजगारी इस हद तक बढ़ी है कि अब सिर्फ हर चौथा व्यक्ति ही नौकरी कर पा रहा है। वहीं सरकार दावा कर रही है कि इस वायरस के तेजी से बढ़ते प्रसार को रोकने का लॉकडाउन ही एक सफल रास्ता है और कम संक्रमण के लिए लॉकडाउन की सफलता को जिम्मेदार भी बताया जा रहा है। हालांकि, विश्व स्तर के अनुभव से पता चलता है कि कई देश इस तरह के बंद किए बिना और इसके सभी परिणामों के बिना कोरोना वायरस को नियंत्रित करने में कामयाब रहे हैं।

7 से 26 प्रतिशत पहुंची बेरोजगारी दर

बेरोजगारी दर पिछले महीनों में 7-8 प्रतिशत के बीच झूम रही थी, जो अपने आप में काफी परेशान कर रहा था, लेकिन इस पर अब लॉकडाउन का प्रभाव साफ दिखाई दे रहा है क्योंकि लॉकडाउन की घोषणा के कुछ ही दिनों के अंदर बेरोजगारी दर 23.8 प्रतिशत पहुंच गई और अब तक ये 26.2 प्रतिशत पर पहुंच गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी बेरोजगारी का ये आंकड़ा लगभग 10 करोड़ बैठेगा। अब न केवल एक महीने के लिए उद्योग, कार्यालय, दुकानें आदि बंद कर दिए गए हैं, बल्कि इसके कारण विशाल अनौपचारिक क्षेत्र पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं। इस क्षेत्र में देश के करीब 44 करोड़ लोग लगे हैं, जो कृषि, उद्योग और सेवा तक फैले हैं। तीन दिनों तक सोचने के बाद, मोदी सरकार ने किसानों के मजबूत विरोध को देखते हुए कृषि क्षेत्र के काम को तालाबंदी के दायरे से बाहर कर दिया, क्योंकि इस वक्त फसलों की कटाई का वक्त है। फिर भी ये घोषणा इतने बेतरतीब तरीके से की गई कि सरकार की इस क्षेत्र को छुट देने की नीति कई खेतिहर मजदूरों को कटाई के पहले या फिर कटाई के बाद के काम के लिए प्रोत्साहित नहीं कर पाई।

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अब 27 करोड़ लोग ही काम करते हैं

महामारी से पहले की अर्थव्यवस्था में मंदी ने महामारी के फैलने से ठीक पहले के महीनों में श्रम भागीदारी दर को लगातार कम कर दिया था। इस साल 19 जनवरी को रोजगार व्यक्तियों की संख्या लगभग 41.8 करोड़ से 22 मार्च को 40.4 करोड़ हो गई है। लॉकडाउन के लागू होने के बाद, नौकरी के नुकसान में बड़ी तेजी से वृद्धि हुई है और पांच दिनों के अंदर लगभग 10 करोड़ लोगों के रोजगार खोने की खबर है। तब से स्थिति और अधिक खराब हुई है क्योंकि 19 अप्रैल के नवीनतम अनुमान के अनुसार केवल 27.1 करोड़ लोग की ही कार्यरत हैं जो संख्या अपने आप में बहुत कम है। ये कुल लोगों का मात्र 27 प्रतिशत हिस्सा है, जो हर समय के लिए काफी कम है।

मोदी सरकार ने घोषणा की थी कि किसी भी मजदूर को उसकी नौकरी से नहीं निकाला जाएगा और तालाबंदी अवधि के दौरान सभी को मालिकों द्वारा वेतन या उनकी मजदूरी का भुगतान किया जाएगा। केंद्रीय श्रम सचिव और गृह सचिव ने राज्य सरकारों को आधिकारिक रूप से पत्र भेजकर सलाह दी थी। प्रधानमंत्री ने स्वयं इस बात को दोहराया था। इस सब के बाद भी ऐसा नहीं हुआ और रोजगार को भी बड़ी तादाद में खत्म कर दिया गया है। हालांकि अभी तक पता नहीं है कि लॉकडाउन कोरोनावायरस रोकने में मददगार है या नहीं। लेकिन लॉकडाउन के कारण लाखों लोगों की जान को खतरे में डाल दिया गया है। ये सवाल तब और भी महत्वपूर्ण हो जाएगा जब लॉकडाउन हटाए जाने के बाद वायरस संक्रमन का खतरा बढ़ने लगेगा, क्योंकि अधिकांश विशेषज्ञ इस तरह की भविष्यवाणी कर रहे हैं।